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Chhath Puja 2022: छठी मइया को रिझाकर मांगेंगी सुख-समृद्धि, जानिए क्या है नहाय खाय और खरना

सूर्योपासना का महापर्व डाला छठ कार्तिक शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को श्रद्धा से मनाया जाएगा। महिलाएं बच्चों की कुशलता परिवार की सुख-समृद्धि के लिए 36 घंटे निर्जला रहकर छठी मइया की स्तुति करेंगी। सूर्य षष्ठी पर अस्ताचलगामी अर्थात डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजन करने का विधान है।

By Sharad DwivediEdited By: Ankur TripathiUpdated: Thu, 27 Oct 2022 07:47 AM (IST)
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Chhath Puja 2022 सूर्योपासना का महापर्व डाला छठ कार्तिक शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाएगा।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। सूर्योपासना का महापर्व डाला छठ कार्तिक शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को श्रद्धा से मनाया जाएगा। महिलाएं बच्चों की कुशलता, परिवार की सुख-समृद्धि के लिए 36 घंटे निर्जला रहकर छठी मइया की स्तुति करेंगी। सूर्य षष्ठी पर अस्ताचलगामी अर्थात डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजन करने का विधान है। वहीं, सप्तमी तिथि पर उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

कल से शुरू होगा डाला छठ व्रत

डाला छठ की शुरुआत शुक्रवार 28 अक्टूबर को नहाय-खाय से शुरू होगी। इसके मद्देनजर बाजार सजने लगे हैं। फल, सूप व अन्य पूजन सामग्रियों की दुकानें सज गई हैं। महिलाएं व्रत की तैयारी में जुटी हैं। खरीदारी के साथ घर की साफ-सफाई कर रही हैं। ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार कार्तिक शुक्लपक्ष तृतीया तिथि शुक्रवार से डाला छठ व्रत आरंभ हो जाएगा। षष्ठी तिथि 30 अक्टूबर की सुबह 8.15 मिनट पर लगकर अगले दिन अर्थात 31 अक्टूबर की सुबह 5.53 बजे तक रहेगी। इसके बाद सप्तमी तिथि लग जाएगी। 30 अक्टूबर को सर्यास्त शाम 6.26 बजे होगा। तभी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

जीवन का स्त्रोत हैं सूर्य

पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि भगवान सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं, वे संपूर्ण जगत की अंतरात्मा हैं। सर्वत्र व्याप्त हैं और प्रतिदिन प्रत्यक्ष दर्शन देते हैं। सूर्य समस्त जीवन का स्त्रोत हैं। वे अपनी रोशनी से हमें जीवन देते हैं। अन्न, फल की पैदावार भी सूर्य की किरणों के कारण होती है। इसी कारण सूर्य की स्तुति में सबसे बड़ा मंत्र ''''गायत्री मंत्रÓ पढ़ा जाता है। डाला छठ पर्व के जरिए सूर्य के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है। सूर्योपासना से समस्त मन्नतें पूर्ण होती हैं। यदि व्रती व्रत करने में असमर्थ हैं तो यह व्रत उनकी बहू या बेटे रख सकते हैं।

क्या है नहाय खाय और खरना

28 अक्टूबर को नहाय खाय व 29 अक्टूबर को खरना है, जबकि छठ पूजा 30 अक्टूबर की शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर की जाएगी। व्रत का पारण 31 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर किया जाएगा। नहाय खाय के दिन घर की साफ-सफाई की जाती है. चूल्हा-चौका, बर्तन अच्छी तरह से साफ किया जाता है। सात्विक भोजन बनाए जाते हैं। खरना में व्रती महिलाए सुबह स्नान करके पूरे दिन का व्रत रखती हैं। रात में पूजा करने के बाद गुड़ की खीर, रोटी बनाई जाती है। खीर के अलावा पूड़ी, ठेकुआ, कई तरह के फल, सब्जियां, ईंख आदि प्रसाद में शामिल होते हैं। व्रती महिलाएं इसके बाद छठ पूजा के समाप्त होने तक अन्न और जल ग्रहण नहीं करतीं।

छठ पूजा का महत्व

ज्योतिर्विद आचार्य अविनाश राय के अनुसार छठ पूजा श्रद्धा भाव से करने पर घर में सुख-समृद्धि आती है। संतान की उम्र लंबी होती है। पूजा की सामग्री, प्रसाद आदि को भूलकर भी जूठा नहीं करना चाहिए, इससे छठी माई नाराज हो जाती हैं। डाला छठ का पर्व शुद्धता का प्रतीक है। व्रती महिलाओं के घर चार दिनों तक लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा का कोई सेवन नहीं करेगा।

भूमि पूजन कर मांगा आशीष

प्रयागराज : पूर्वांचल छठ पूजा एवं विकास समिति के अध्यक्ष अजय राय के नेतृत्व में बुधवार को मंत्रोच्चार के बीच संगम तट पर कैंप कार्यालय के लिए भूमि पूजन किया गया। पूजा करके गंगा मैया से पर्व के सकुशल संपन्न होने की प्रार्थना की गई। अजय राय ने कहा कि छठ पूजा से पूर्व हर वर्ष गंगा मैया से आशीष मांगा जाता है, जिससे यह पूरा कार्यक्रम निर्विघ्न से पूरा हो सके।

संस्था से जुड़े स्वयंसेवकों ने की सफाई करके उसे दुरुस्त किया। इसमें कृष्णानंद तिवारी, अरुण मालवीय, प्रसिद्ध नारायण पांडेय, संतोष कुमार शुक्ल, अभय नारायण पांडेय, राजेश, जेएन दुबे, ओपी सिंह आदि शामिल रहे। वहीं, बलुआघाट के बारादरी में डाला छठ पर्व के मद्देनजर घाट की सीढि़यों की सफाई आरंभ करा दी गई है।

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