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कंफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स के प्रदेश अध्यक्ष बोले- थोक और खुदरा महंगाई दर में काफी अंतर है

कैट के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल का कहना है कि दो महीने में खाद्य वस्तु में दो गुनी और पेट्रोलियम उत्पाद में कई गुना की वृद्धि हुई। एक रोचक तथ्य यह है कि खुदरा महंगाई दर अप्रैल में 4.29 थी। थोक महंगाई से खुदरा महंगाई कम है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Updated: Sun, 23 May 2021 12:39 PM (IST)
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कैट के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि खाद्य वस्तु में दो गुनी, पेट्रोलियम उत्पाद में कई गुना की वृद्धि हुई।
प्रयागराज, जेएनएन। अभी कुछ दिन पूर्व अप्रैल महीने की थोक महंगाई सूचकांक के आंकड़े बाहर आए, जिसके मुताबिक महंगाई दर 10.49 हो गई है। दो महीने पहले फरवरी में महंगाई दर 4.83 थी और मार्च में यह 7.39 के आस-पास थी। कंफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल ने कहा कि महंगाई के बढऩे में सबसे बड़ा योगदान पेट्रोलियम उत्पादों के मूल्यों का बढऩा है। फरवरी की महंगाई में जहां यह दो प्रतिशत था वह मार्च में 10 और अप्रैल में 21 फीसद हो गया। इस दौरान खाद्य वस्तु फरवरी महीने में 3.58 फीसद के लगभग थी। जो अप्रैल में 21 प्रतिशत हो गई।

खुदरा महंगाई अभी भी पांच फीसद के नीचे है : कैट प्रदेश अध्‍यक्ष

कैट के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल का कहना है कि दो महीने में खाद्य वस्तु में दो गुनी और पेट्रोलियम उत्पाद में कई गुना की वृद्धि हुई। एक रोचक तथ्य यह है कि खुदरा महंगाई दर अप्रैल में 4.29 थी। देखने में यह खुश होने वाली बात है पर आश्चर्य का विषय यह है कि थोक महंगाई तो डबल डिजिट में आ गई है। हालांकि खुदरा महंगाई अभी भी पांच फीसद के नीचे है।

पेट्रोलियम कीमतों पर लगाम लगाने की मांग

उन्‍होंने कहा कि यह कैसे हो सकता है कि थोक में वस्तु की कीमत तो बढ़े पर खुदरा में कम हो गए। इसका मतलब हो यह लगाया जाना चाहिए कि निर्माण की लागत बढऩे से थोक कीमत तो बढ़ी। हालांकि खुदरा बाजार में बिक्री न होने से माल लागत से कम पर बिक रहा है, पर यह कैसे संभव हो सकता है। कोई व्यापारी क्यों लागत से कम पर माल बेचेगा और यह प्रक्रिया बार-बार करता रहेगा। यह अगर कहीं संभव है तो कृषि क्षेत्र में ही है। ऐसा इसलिए क्योंकि कृषि उत्पाद जल्द खराब होने वाले होते हैं और किसान के पास उनको रखने का कोई साधन नहीं होता है। प्रदेश अध्यक्ष ने सरकार से पेट्रोलियम कीमतों पर लगाम लगाने की मांग की, जिससे थोक कीमतों पर नियंत्रण लग सके।

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