CV Raman Birth Anniversary: सर को पसंद थे प्रयागराज में सत्यदास के समोसे और नमकीन, इवि से रहा गहरा नाता
नोबेल पुरस्कार विजेता सर चंद्रशेखर वेंकट रमन (सीवी रमन) का प्रयागराज से खास जुड़ाव रहा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञान के विभागाध्यक्ष रहे प्रो. मेघनाद साहा से उनकी गहरी मित्रता थी। बाद में सर सीवी रमन के शोध छात्र रहे प्रो. केएस कृष्णन भौतिक विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष बने।
By Ankur TripathiEdited By: Updated: Mon, 07 Nov 2022 06:45 AM (IST)
- 07 नवंबर को जन्मतिथि पर विशेष-
मृत्युंजय मिश्र, प्रयागराज। प्रतिष्ठित भारतीय भौतिक विज्ञानी नोबेल पुरस्कार विजेता सर चंद्रशेखर वेंकट रमन (सीवी रमन) का प्रयागराज से खास जुड़ाव रहा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञान के विभागाध्यक्ष रहे प्रो. मेघनाद साहा से उनकी गहरी मित्रता थी। बाद में सर सीवी रमन के शोध छात्र रहे प्रो. केएस कृष्णन भौतिक विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष बने। इसकी वजह से उनका अक्सर इवि आना हाेता था। वे व्याख्यान, परीक्षा और मूल्यांकन के सिलसिले में आते-जाते रहे हैं। यह सिलसिला नोबेल पुरस्कार मिलने के बाद 30 वर्ष तक जारी रहा। उन्हें चटपटा खाना पसंद था। खासतौर पर सत्यदास के समोसे और सेब नमकीन उनको सबसे ज्यादा पसंद थी। इसको चाव से खाते और शोध छात्रों और अध्यापकों को खिलाते थे।
1930 में मिला था भौतिकी का नोबल
तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में सात नवंबर 1888 को जन्में चंद्रशेखर वेंकट रमन देश के प्रख्यात विज्ञानी थे। उनकी खोज रमन स्कैटरिंग (रमन बिखराव) के लिए 1930 में भौतिक विज्ञान का नोबल पुरस्कार मिला था। सीवी रमन ने इस खोज का श्रेय नोबल भाषण में अपने शोध छात्र प्रो. केएस कृष्णन देते हुए कहा था कि सैद्धांतिक पक्ष उन्होंने और प्रायोगिक विश्लेषण प्रो. केएस कृष्णन ने किया था। भौतिक विज्ञान विभाग के प्रो. केएन उत्तम बताते हैं कि सीवी रमन 1925 में रायल सोसाइटी आफ लंदन के फेलो बने थे।
सर का 1927 से इवि में था आना-जाना
वे 1927 से विश्वविद्यालय में आते रहे हैं। इसकी प्रमुख वजह प्रख्यात भौतिक विज्ञानी प्रो. मेघनाद साहा से उनकी गहरी दोस्ती थी। प्रो. उत्तम बताते हैं कि प्रो. कृष्णन उनको लगातार अपने गुरु सीवी रमन को आमंत्रित करते रहे। इस दौर में प्रो. राजेंद्र सिंह रज्जू भैया और प्रो. एसके कर से भी आत्मीय लगाव बढ़ा। पूर्व केंद्रीय मंत्री व इवि में भौतिक विज्ञान विभाग के प्रो. मुरली मनोहर जोशी ने अपना शोध प्रबंध जमा करने से पूर्व सीवी रमन से सलाह ली थी। को हुआ था। 21 नवंबर 1970 को बेंगलुरु में उन्होंने अंतिम सांस ली।
रमन प्रभाव पर अध्ययन कर 100 से अधिक उत्पादों में खोजे यौगिकप्रो. केएन उत्तम बताते हैं रमन प्रभाव पर आधारित कंफोकल माइक्रो रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी के प्रयोग से कर फल, सब्जियों, अनाज, तेल, डेयरी प्रोडक्ट, मिट्टी सहित अन्य पदार्थों के यौगिकों का अध्ययन कर उनके चिकित्सकीय और पोषण से संबंधित जानकारियां सार्वजनिक की है। जल और मिट्टी की जांच के लिए विभिन्न प्रकार के रामन सेंसर भी बनाए हैं।
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