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डाक्टर, पुलिस और टीचर, सभी हो रहे ठगी का शिकार, साइबर क्राइम से बचना है तो सावधानी है जरूरी

तमाम जागरूक लोग भी रोज साइबर जगत में सक्रिय हाइटेक ठगों का शिकार हो रहे हैं। ठगों के चंगुल में सीधे सादे या अनपढ़ ही नहीं बल्कि उच्च शिक्षित और समझदार माने जाने वाले शख्स भी फंस रहे हैं। वजह कभी लालच तो कभी जानकारी की कमी।

By Ankur TripathiEdited By: Updated: Fri, 16 Sep 2022 08:24 PM (IST)
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तमाम जागरूक लोग भी रोज साइबर जगत में सक्रिय हाइटेक ठगों का शिकार हो रहे हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। ट्रिपल आईटी चौराहे के पास रहने वाले रौनक सिंह पिछले हफ्ते भर से उदास-निराश हैं। एक दवा कंपनी में एरिया मैनेजर की नौकरी के अलावा एक निजी कारोबार में साझेदारी से अच्छी आमदनी हो रही थी लेकिन साइबर क्रिमिनल के जाल में फंसकर वह जमा-पूंजी लुटा बैठे।

ठग ने फोन किया तो लकी ड्रा में तीन करोड़ रुपये कैश के चक्कर में उन्होंने एक लिंक पर क्लिक किया और ओटीपी भी बता दी थी। बस फिर कुछ ही पलों में ठगों ने बैंक खाते से 21 लाख रुपये ट्रांसफर कर लिए। परिवार के लोगों के भय से उन्होंने पुलिस स्टेशन में कम्प्लेन नहीं की।

पढ़े-लिखे हैं लेकिन लापरवाही से बाज नहीं आते

रौनक जैसे तमाम जागरूक लोग भी रोज साइबर जगत में सक्रिय हाइटेक ठगों का शिकार हो रहे हैं। ठगों के चंगुल में सीधे सादे या अनपढ़ ही नहीं बल्कि उच्च शिक्षित और समझदार माने जाने वाले शख्स भी फंस रहे हैं। वजह कभी लालच तो कभी जानकारी की कमी। यहां एक पूर्व प्रोफेसर के मामला देखिए। इवि के पूर्व प्रोफेसर को फोन आया कि उनका डेबिट कार्ड ब्लाक होने वाला है। अगर रिन्यूअल कराना है तो फौरन कार्ड की डीटेल बतानी होगी, देर करने पर पछताना पड़ेगा। घबराए प्रोफेसर ने बैंक अकाउंट और डेबिट कार्ड नंबर के साथ सीवीवी और ओटीपी वगैरह सब बता दिया। बस फिर अगले कुछ मिनट में उनके बैंक खाते से चार लाख रुपये से रकम ट्रांसफर कर ली।

लगातार किया जा रहा अलर्ट तब भी बरत रहे लापरवाही

बैंकों से लगातार प्रचार माध्यमों के जरिए बताया जा रहा है कि किसी बैंक से फोन या SMS से कार्ड की डीटेल नहीं पूछी जाती है और कोई कॉल कर पूछे भी तो कुछ भी नहीं बताए क्योंकि यह फ्राड हो सकता है। लेकिन तब भी पूर्व प्रोफेसर ने लापरवाही की और मोटी रकम से हाथ धो बैठे। प्रोफेसर ही नहीं, ममफोर्डगंज में रहने वाले डॉक्टर, रेलवे इंजीनियर, कई शिक्षक, कारोबारी और यहां तक कि पुलिस अधिकारी भी साइबर क्राइम के जाल में फंस चुके हैं। कुछ समय पहले शहर के धूमनगंज इलाके में रहने वाले पीएसी के एक सिपाही को केबीसी के लकी ड्रा का लालच दिखाकर फोन के जरिए ही साढ़े तीन लाख की चपत लगा दी गई थी।

तमाम तरीकों से जाल में फंसाते हैं इंटरनेट के जालसाज

साइबर क्राइम से जुड़े गिरोह कई तरह से लोगों को झटका देते हैं। उनमें से प्रमुख तरीके यह हैं जिन पर ध्यान देकर आपको सावधानी बरतनी चाहिए।

- कार्ड क्लोनिंग यानी धोखे से डेबिट या क्रेडिट कार्ड को स्कैन कर डुप्लीकेट कार्ड बनाकर पैसे उड़ाना

- एटीएम बूथ में पैसे निकालने में मदद करने के बहाने कार्ड बदलकर शातिर उड़ा देते हैं मोटी रकम  

- फोन पर खुद को बैंक अफसर बताकर कार्ड रिन्यूअल का झांसा देकर खाते से पैसे निकालते हैं जालसाज

- फिशिंग यानी लकी ड्रा समेत अन्य लालच दिखाकर कार्ड का डीटेल लेने के बाद लोगों को चूना लगाना

- विदेश से फंड ट्रांसफर करने का झांसा देकर प्रोसेसिंग मनी के तौर पर 10 फीसद पैसे हड़पना

हर साल 12 से 15 फीसद बढ़ रहे हैं केस

अगर हम 10 साल का ट्रेंड देखें तो देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ने के साथ साइबर ठगी का खतरा भी बढ़ता दिखता है। वैसे यह भी सच है कि बैंक और यूपीआई आपके पैसों की सेक्योरिटी के लिए मजबूत सुरक्षा तंत्र भी इस्तेमाल करती हैं मगर साइबर क्रिमिनल इसमें लूप होल खोज लेते हैं और लापरवाही भी आपकी ही रहती है। यूजर्स की इसी लापरवाही की वजह से साइबर क्राइम में 10 से 12 फीसद का इजाफा हो रहा है।

साइबर क्राइम थाने से हो रही धरपकड़

लगातार बढ़ते साइबर क्राइम की वजह से ही जिलों में पहले साइबर सेल खोले गए। फिर प्रमुख महानगरों में साइबर क्राइम थाना भी स्थापित कर दिया गया है। प्रयागराज में आइजी कार्यालय स्थित साइबर क्राइम थाना प्रभारी राजीव तिवारी का कहना है कि थाना खुलने के बाद से कई बड़े साइबर क्राइम केस को वर्कआउट किया गया है। कई जालसाज गिरोह साइबर थाने की पुलिस के राडार पर हैं।

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