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पेड़ पर देखी हनुमान जी की आकृति तो जुटने लगे प्रतापगढ़ में भक्त और करने लगे पूजन-अर्चन

वहां दर्शन को बहुत से लोग पहुंच रहे हैं। पेड़ों की मुड़ी डालियों व तनों को देख लोग प्रणाम करते हैं। लोग कहते हैं कि इस वृक्ष पर हनुमान जी का वास है। कुछ हाथ जोड़कर प्रणाम करते हैं तो ऐसे भी लोग हैं जो फूल-अगरबत्ती से पूजा करते हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Updated: Tue, 26 Oct 2021 08:03 PM (IST)
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पीपल के पेड़ पर हनुमान जी की आकृति उभरी देख लोग श्रद्धा वनत होकर पूजा करने लगे
प्रतापगढ़, जागरण संवाददाता। आस्था व विश्वास के कई रंग होते हैं। किसी को कहीं भी ईश्वर का आभास हो सकता है। और फिर लोग श्रद्धा से वहां पूजन में जुट जाते हैं। ऐसा ही हुआ है प्रतापगढ़ में विकास भवन स्थित पंचायत उद्योग कार्यालय के सामने जहां पीपल के पेड़ पर हनुमान जी की आकृति उभरी देख लोग श्रद्धा वनत हो गए।

चमेली के तेल और सिंदूर के लेप से और उभरी आकृति

खबर फैली तो वहां विकास भवन और पंचायत उद्योग कार्यालय के कर्मचारियों के अलावा बाहरी लोग भी पहुंचने लगे। डीएसटीओ के चालक हरिशंकर विश्वकर्मा ने चमेली के तेल व सिंदूर का मिश्रण कर उस आकृति पर लेप कर दिया। ऐसे में आकृति और भी उभरकर आ गई है। अब आलम यह है कि वहां दर्शन को बहुत से लोग पहुंच रहे हैं। पेड़ों की मुड़ी डालियों व तनों को देख लोग प्रणाम करते हैं। लोग कहते हैं कि इस वृक्ष पर साक्षात हनुमान जी का वास है। कुछ हाथ जोड़कर प्रणाम करते हैं तो ऐसे भी लोग हैं जो वहां फूल-अगरबत्ती से पूजा करने लगे हैं। वहां कुछ और भी पूजन सामग्री रख दी गई है। लोग धूप-अगरबत्ती सुलगाने लगे हैं। यह अब हनुमान जी पूजा स्थल बन गया है। लोगों का कहना है कि भगवान तो कण कण में हैं, जहां उनकी छवि दिखी, समझ लीजिए वहीं ईश्वर हैं।

श्रद्धा और भक्ति में डूबे हैं लोग

प्रेम रहित उपासना कभी भी लक्ष्य की प्राप्ति का साधन नहीं बन सकती है। लक्ष्य प्राप्ति के लिए अर्थात मोक्ष के लिए प्रेम आश्रय, प्रेममयी, करुणामयी साधना का आधार ही हमें मोक्ष का द्वार दिखाता है और इसके लिए हम सभी भक्तों को भगवान श्री कृष्ण के बाल लीला, रासलीला और कल्याणकारी कृतियों को अनुसरण करना चाहिए। जो श्रीमद् भागवत कथा का सार है। यह बात कथा व्यास पं. करुणा शंकर द्विवेदी ने शहर के सहोदरपुर पूर्वी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कही। श्री मद भागवत कथा सुनने के लिए लोग बड़ी संख्या में स्थानीय लोग पहुंच रहे हैं। लोग भक्ति में डूबे हुए हैं। यह कथा मुख्य यजमान विंध्यवासिनी प्रसाद श्रीवास्तव के संयोजन में चल रही है। इस दौरान विकास श्रीवास्तव, जीवेश श्रीवास्तव, आरपी मिश्रा, धीरेंद्र गौतम, सत्येंद्र तिवारी, दिवाकर त्रिपाठी, ओम शुक्ला किरन श्रीवास्तव, हिमांशु प्रकाश श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।

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