Dharamveer Bharti Death Anniversary: पद्मश्री उपन्यासकार ने दुनिया को दिखाया 'गुनाहों का देवता'
Dharamveer Bharti Death Anniversary साहित्यकार रविनंदन सिंह बताते हैं कि धर्मवीर भारती जब अबोध थे तब ही उनके सिर से पिता का निधन हुआ था। मां मामा ने लालन-पालन किया। आर्थिक परेशानी झेले। बीए की पुस्तक खरीदने के लिए उन्होंने इंटरमीडिएट की पुस्तकें व कापियां रद्दी में बेची थी।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। उपन्यासकार पद्मश्री डा. धर्मवीर भारती, जिनकी अमर कृति 'गुनाहों का देवता' साहित्य के शीर्ष पर पहुंची थी, आप जानते हैं...उनका बचपन और भविष्य का चिंतन युवाओं के लिए प्रेरणादायी है। प्रयागराज के अतरसुइया मोहल्ले में चिरंजी लाल के घर जन्मे धर्मवीर के पास कभी इतने पैसे भी नहीं थे कि वह फिल्म देख सकें। मोतीमहल सिनेमाघर में फिल्म देवदास देखने गए, जेब में जितने पैसे थे वह टिकट के लिए कम पड़ गए। घर लौटने पर मां ने गुमसुम देखकर उन्हें कुछ पैसे दिए। धर्मवीर भारती ने उससे फिल्म न देखकर देवदास पर लिखी पुस्तक ही खरीद ली थी।
आर्थिक परेशानी में बीता था बचपन : साहित्यकार रविनंदन सिंह बताते हैं कि धर्मवीर भारती जब अबोध थे तब ही उनके सिर से पिता का साया उठ गया था। मां और मामा ने लालन पालन किया। आर्थिक परेशानी उनके साथ शुरू से ही थी। बीए की पुस्तक खरीदने के लिए उन्होंने इंटरमीडिएट की पुस्तकें व कापियां रद्दी में बेची थी। एक दिन मन हुआ फिल्म देखने के लिए। तब मोतीमहल सिनेमाघर में फिल्म देवदास लगी थी। वहां पहुंचे तो टिकट खरीदने के लिए पैसे कम पड़ गए। निराश होकर घर वापस लौट रहे थे तभी रास्ते में लाउडस्पीकर से बज रहे गीत 'दुख के जीवन बीतते नहीं' का उनके मन पर गहरा असर हुआ। घर में मां ने फिल्म् देखने के लिए कुछ पैसे दे दिए लेकिन उन्होंने उस पैसे की देवदास पुस्तक ही खरीद ली।
4 सितंबर 1977 में मुंबई में निधन हुआ था : डा. धर्मवीर भारती का चार सितंबर 1977 को मुंबई में निधन हो गया था। तब वह 70 वर्ष के थे। उनके निधन का समाचार आते ही प्रयागराज के साहित्यकार स्तब्ध रह गए थे।
डा. धर्मवीर भारती की कृतियां : उपन्यास गुनाहों का देवता (1949), सूरज का सातवां घोड़ा (1952), नाटक अंधा युग (1953), कहानी मुर्दों का गांव, स्वर्ग और पृथ्वी, चांद और टूटे हुए लोग, बंद गली का आखिरी मकान, निबंध ठेले पर हिमालय, कहनी-अनकहनी, शब्दिता आदि।