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दास्तां प्रयागराज जंक्शन के दिव्यांग वेंडर की जो भुखमरी के कगार पर, रेलवे ने सप्लाई कर दी बंद

रेलवे विजय को बेचने के लिए सामान ही नहीं दे रहा है। पानी मिलता था लेकिन रेलवे ने वह भी बंद कर दिया। बुधवार को वह सारा दिन बिना सामान के ही ठेला लगाकर खड़े रहे लेकिन रेलवे का कोई अधिकारी कर्मचारी उनका हाल जानने तक नहीं पहुंचा।

By Ankur TripathiEdited By: Updated: Thu, 28 Jul 2022 06:51 AM (IST)
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रेलवे दिव्यांग वेंडर विजय को स्टाल पर बेचने के लिए सामान ही नहीं दे रहा है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। दोनों पैर काम नहीं करते, लेकिन आत्मनिर्भरता का जुनून तन-मन में बसा है। जीवन के 22 साल जंक्शन पर गुजार दिए। हाकिंग स्टाल (ठेले पर दुकान) से अपनी रोजी रोटी जोड़ी, दो बेटियों समेत चार बच्चों का भी लालन पालन कर लिया। रेलवे ने वेंडर का कार्य छीना तो हाईकोर्ट गए। अदालती लड़ाई जीतकर 60 साल तक दुकान लगाने की अनुमति मिल गई लेकिन, अब रेलवे ठेले पर कुछ बेचने के लिए सामान ही नहीं दे रहा है। पानी मिलता था लेकिन, रेलवे ने वह भी बंद कर दिया। बुधवार को वह सारा दिन बिना सामान के ही ठेला लगाकर खड़े रहे लेकिन, रेलवे का कोई अधिकारी कर्मचारी उनका हाल जानने तक नहीं पहुंचा।

दो वक्त की रोटी के लिए भी मुश्किल हालात

प्रयागराज जंक्शन पर दिव्यांग विजय कुमार का काम वेंडर का है लेकिन, ना तो बेचने के लिए सामान न सम्मान । उम्र के इस पड़ाव में विजय दूसरा काम भीी नहीं कर सकते हैं। दो साल से हालात इतने खराब हैं कि दो वक्त की रोटी तक का इंतजाम नहीं हो पा रहा है। प्लेटफार्म पर अपना खाली ठेला लेकर खड़े विजय रेल प्रशासन की व्यवस्था पर तो सवाल खड़े ही कर रहे थे, अपने हालात पर आंसू बहाकर अधिकारियों से मदद मांगते रहे।

लाचार विजय को अधिकारियों से गुहार पर भी नहीं मिली राहत

विजय ने बताया कि पहले बहुत सा सामान बेचने को मिलता था, उससे जो कमीशन मिलता था उससे दो वक्त की रोटी मिल जाती थी। पर अब सब कुछ बंद है। पहले हेल्पर की अनुमति थी लेकिन, दिव्यांग होने के बावजूद भी कोई हेल्पर नहीं दिया गया है। विजय कहते हैं कि उम्र अब गुजर चुकी है, न हमें स्टाल आवंटित हो रहा है, न ठेले पर बेचने के लिए सामान मिल रहा है। डीआरएम, वाणिज्य प्रबंधक समेत अन्य स्थानों पर फरियाद भी पहुंचाई, लेकिन अधिकारियों ने कोई मदद नहीं की।

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