Ganga Samagra: आरएसएस के गंगा समग्र की राष्ट्रीय बैठक में वक्ता बोले- आमजन के सहयोग से गंगा होंगी स्वच्छ
Ganga Samagra दूसरे दिन यानी रविवार को चार सत्र में बैठक होगी। उद्घाटन सत्र 10 बजे तक चलेगा। कार्यशाला 1030 बजे से 12 बजे तक है। तीसरा सत्र 215 बजे से शुरू होगा और 330 बजे तक चलेगा। समापन सत्र 345 बजे से पांच बजे तक रहेगा।
By Brijesh SrivastavaEdited By: Updated: Sun, 20 Jun 2021 10:05 AM (IST)
प्रयागराज, जेएनएन। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के आनुषंगिक संगठन गंगा समग्र की प्रयागराज में राष्ट्रीय बैठक शुरू हुई। पहले अनौपचारिक सत्र में सभी पदाधिकारियों ने अविरल, निर्मल गंगा का संकल्प लिया। साथ ही आमजनमानस को अभियान का हिस्सा बनाए जाने पर जोर दिया गया। कहा कि गंगा तीरे रहने वालों को सहभागी बनाने से उद्देश्य की प्राप्ति होगी।
प्रयागराज में झूंसी के गंगा धाम में देश भर से जुटे हैं पदाधिकारी झूंसी स्थित गंगा धाम में देश भर से एकत्रित पदाधिकारियों से परिचय प्राप्त करने के बाद राष्ट्रीय संयोजक रामाशीष ने प्रांत संयोजकों, सह संयोजकों और आयाम प्रमुखों से अब तक किए गए कार्यों और उनके प्रभावों पर चर्चा की। तमाम जगहों पर नदी के किनारे पौधारोपण, जैविक खेती का उपक्रम शुरू किए जाने की जानकारी दी गई। पदाधिकारियों ने गंगाजीवियों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए किए गए प्रयासों का भी विवरण प्रस्तुत किया। इस सत्र में सह सर कार्यवाह तथा आयाम प्रमुख कृष्णगोपाल नहीं शामिल हुए। वह रविवार को पदाधिकारियों का मार्गदर्शन करेंगे।
आज होगी चार सत्र में बैठकदूसरे दिन यानी रविवार को चार सत्र में होंगे। उद्घाटन सत्र 8:45 बजे शुरू होकर 10 बजे तक चलेगा। कार्यशाला 10:30 बजे से 12 बजे तक है। तीसरा सत्र 2:15 बजे से शुरू होगा और 3:30 बजे तक चलेगा। समापन सत्र 3:45 बजे से पांच बजे तक रहेगा।
संघ प्रमुख ने आरती कर लिया था संकल्पमाघ मेला के दौरान हुई गंगा समग्र की राष्ट्रीय बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल हुए थे। उन्होंने 19 फरवरी 2021 को गंगा आरती कर अविरल, निर्मल गंगा का संकल्प लिया था। कार्ययोजना बनाकर काम करने के लिए निर्देशित किया था। इसी क्रम में यह बैठक हो रही है। दूसरे और आखिरी दिन आगामी कार्ययोजना तय होगी। केंद्रीय जल नीति पर भी मंथन होने की उम्मीद है।
नदियों की स्वच्छता है उद्देश्यगंगा समग्र नदियों की स्वच्छता के लिए प्रयासरत है। जल संरक्षण, तालाबों, कुओं का निर्माण व उन्हें बचाने के लिए भी संगठन से जुड़े लोग कार्य कर रहे हैैं। नदी में गिरने वाले नालों को रोकने की कार्ययोजना स्थानीय स्तर पर तैयार की जा रही है। नदी किनारे गावों में हरियाली बढ़ाने पॉलीथिन के प्रयोग को हतोत्साहित करने जैसी पहल चल रही है। कोरोना महामारी काल में सेवा कार्य भी किए जा रहे हैं। नदियों किनारे गावों में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
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