रेलवे जीपीआर से खोजेगा चूहों की बिल
-सर्वे के दौरान मशीन स्कैन कर लेगी कहां पर है सुरंग या बिल -जमीन के नीचे की वास्तविक स्थिति
जासं, इलाहाबाद : चूहों द्वारा बिल और सुरंग करके रेलवे ट्रैक को पहुंचाने वाले नुकसान से बचने के लिए रेलवे अब ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) की मदद लेगा। तकनीक के माध्यम से विशेष मशीन द्वारा रेलवे ट्रैक का सर्वे किया जाएगा। मशीन जमीन के नीचे के सुरंग और बिल को स्कैन करके उसकी जानकारी दे देगी। इससे बिल को बंद करने में रेलवे को आसानी होगी।
रेलवे चूहों द्वारा की जाने वाली सुरंग और बिलों से आजिज आ चुका है। कुछ साल पहले चूहों को पकड़ने के लिए अलग से टेंडर किया गया था। कुछ समय तक चूहों की संख्या कम हो गई थी, लेकिन उसके बाद पश्चात स्थिति जस-की-तस हो गई। चूहे ट्रैक के नीचे जमीन में बड़ी-बड़ी बिल कर देते हैं, जब बारिश का सीजन आता है तो इसमें पानी भर जाता है। उसके पश्चात ट्रैक बैठ जाता है। इसको दुरुस्त करने में हर साल करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। चूहों की बिल अंदर-अंदर होती है तो यह आंखों से दिखाई नहीं देता है। इसके लिए रेलवे जीपीआर की मदद लेगा। इसके लिए एक विशेष मशीन खरीदी जाएगी, जो ट्रैक का सर्वे करेगी। मशीन से एक दिन में 150 किलो मीटर से ज्यादा सर्वे किया जा सकेगा। सर्वे के दौरान राडार टै्रक पर गिट्टियों की भी संतुलित करेगा और बिलों को स्कैन कर लेगा। उसके बाद रिपोर्ट देगा कि ट्रैक पर कहां कितने नीचे और कितना लंबी बिल या सुरंग बनी हुई है। फिर रेलवे इनके बंद कर देगा, ताकि बारिश के दौरान बिल के कारण टै्रक को कम नुकसान पहुंचे। उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी गौरव कृष्ण बंसल का कहना है कि इस तकनीक का इस्तेमाल अभी उत्तर रेलवे में शुरू हो गया है। धीरे-धीरे इसका विस्तार होगा। इसमें करोड़ों रुपये खर्च होते हैं।