अंग्रेजी हुकूमत में Allahabad एक दिन के लिए India की राजधानी बना था..., अनूठा है इतिहास
1 नवंबर 1858 को ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को समाप्त करने की घोषणा प्रयागराज में हुई थी। इस दिन ब्रिटिश सरकार ने इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में एक दिन का शाही दरबार लगाया था। इस दरबार में रानी विक्टोरिया के घोषणा पत्र को पढ़ा गया था।
By Brijesh SrivastavaEdited By: Updated: Fri, 23 Sep 2022 09:22 PM (IST)
प्रयागराज, जेएनएन। ब्रिटिश हुकूमत (British Rule) में इलाहाबाद (Allahabad) (अब प्रयागराज) का स्थान पूरे देश में था। मुगल शासकों (Mughal Rule) के लिए प्रयागराज का जितना महत्व था उतना ही अंग्रेजों के समय भी था। ब्रिटिश साम्राज्य में प्रयागराज संयुक्त प्रांत की राजधानी थी। यहां अंग्रेजों ने उच्च न्यायालय (High Court) से लेकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय (Allahabad University) की स्थापना की थी। त्रिवेणी संगम के निकट स्थित अकबर के किले में सेना रहती थी। प्रयागराज को ब्रिटिश शासन काल में एक दिन के लिए भारत की राजधानी बनने का गौरव मिला था।
शाही दरबार में रानी विक्टोरिया का पढ़ा गया था घोषणा पत्र : अंग्रेजी शासनकाल में प्रयागराज का महत्वपूर्ण स्थान था। कलकत्ता से दिल्ली जाने के लिए प्रयागराज होकर ही जाना पड़ता था। इसलिए भी इसका महत्व अधिक हो गया था। इसी कारण अंग्रेजों ने प्रयागराज को हर स्तर पर विकसित किया।
ईस्ट इंडिया कंपनी से शासन समाप्ति की घोषणा हुई थी : यहां बात 1 नवंबर 1858 की हो रही है। उस दिन ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को समाप्त करने की घोषणा प्रयागराज में की गई थी। इस दिन ब्रिटिश सरकार ने इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में एक दिन का शाही दरबार लगाया था। इस दरबार में रानी विक्टोरिया के घोषणा पत्र को पढ़ा गया था। शाही दरबार के दौरान ही प्रयागराज एक दिन के लिए भारत की राजधानी बनी थी।
वायसराय लार्ड केनिंग ने पढ़ा था घोषणापत्र : तत्कालीन वायसराय लार्ड केनिंग ने रानी विक्टोरिया का घोषणा पत्र यहां पढ़ा था। इसपत्र में इस बात की घोषणा की गई थी कि भारत का शासन अब रानी विक्टोरिया ने अपने हाथों में ले लिया है। कंपनी का शासन समाप्त हो गया है।
...और बन गया मिंटो पार्क : शाही दरबार और रानी विक्टोरिया का घोषणा पत्र प्रयागराज के जिस स्थान पर पढ़ा गया था, वहां 1910 में स्मारक स्थल बना दिया गया था। तत्कालीन वायरराय लार्ड मिंटो ने वहां मेमोरियल भी बनवाया था। उसका नाम मिंटो पार्क पड़ा था। वर्तमान में इस पार्क का नाम बदलकर मदन मोहन मालवीय पार्क रख किया गया। यह पार्क अकबर के किले के निकट व यमुना तट पर स्थित है।
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