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Narendra Giri Case: महंत नरेंद्र गिरि की खुदकुशी में आनंद गिरि पर आज तय होगा आरोप, सीबीआई के वकील पहुंचे कोर्ट

Narendra Giri Death Case अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने आरोपी आनंद गिरि समेत 3 के खिलाफ जिला अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी। आज इस मामले में आरोप तय होने हैं।

By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj MishraUpdated: Thu, 01 Dec 2022 02:30 PM (IST)
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Narendra Giri Death Case: अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की खुदकुशी का मामला
प्रयागराज, जेएनएन। Narendra Giri Death Case अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की खुदकुशी मामले में आरोपी शिष्य आनंद गिरि पर आज आरोप तय होंगे। महंत नरेंद्र गिरि को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में चित्रकूट जेल में निरूद्ध आनंद गिरि व बड़े हनुमान के मुख्य पुजारी आद्या प्रसाद व उनके बेटे संदीप तिवारी पर गुरुवार यानी आज सुनवाई होनी है। सीबीआई के अधिवक्ता न्यायालय पहुंच गए हैं। जिला जज संतोष राय ने दो बजे तीनों आरोपितों को वीडियो काफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। कुछ ही देर में इस मामले में सुनवाई शुरू होगी।

आनंद गिरि करीब 14 महीने से जेल में हैं बंद

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि पिछले साल 20 सितंबर की शाम अल्लापुर स्थित श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी के अतिथि कक्ष में मृत मिले थे। उनका शव पंखे में रस्सी के फंदे से लटका मिला था। सेवादारों ने धक्का देकर दरवाजा खोलने के बाद रस्सी काटकर उनका शरीर फंदे से उतारा था। मौके पर पहुंचे तत्कालीन आइजी केपी सिंह और पुलिस को कमरे में कई पन्ने का सुसाइड नोट मिला था जिसमें नरेंद्र गिरि ने अपनी मौत के लिए पुराने शिष्य आनंद गिरि, मंदिर के पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी तथा उसके बेटे संदीप तिवारी को दोषी ठहराया था। आत्महत्या करने के लिए आनंद द्वारा तैयार किसी वीडियो का जिक्र किया था।

पुलिस ने आनंद गिरि को सुसाइड के बाद रात में हरिद्वार से पकड़ा था

पुलिस ने 20 सितंबर की रात मुकदमा लिखकर आनंद ग‍िरी को हरिद्वार से हिरासत में लिया था। तीसरे रोज गिरफ्तार दिखाया गया था। बाद में सीबीआइ ने रिमांड पर लेकर कई दिन तक पूछताछ के बाद आनंद को जेल भेज दिया था। हाल ही में इस मुकदमे के वादी अमर गिरि ने हलफनामा देकर केस से अपना नाम वापस लेने की मांग की है। अमर गिरि का कहना है कि उनके मुकदमेबाजी के चक्कर में नहीं पड़ना है।

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