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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 2005 के बाद से नहीं हुआ दीक्षा समारोह

विश्वविद्यालय में आए दिन बवाल, आगजनी के कारण अन्य अतिथियों ने आने से ही मना कर दिया। लिहाजा दीक्षा समारोह पर फिर से ग्रहण लग गया है।

By Ashish MishraEdited By: Updated: Wed, 14 Jun 2017 03:28 PM (IST)
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 2005 के बाद से नहीं हुआ दीक्षा समारोह
इलाहाबाद [अमरीश शुक्ल]। यहां संसाधन है, मेधा है, सुविधाएं हैं, बजट भी है, बस कमी सिर्फ इच्छाशक्ति की है। इसी के कारण इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 2005 के बाद से दीक्षा समारोह नहीं हुआ। यहां के टॉपर देश की प्रतिष्ठित भारतीय प्रशासनिक सेवा, शिक्षा और तकनीकी के क्षेत्र में नित नए कीर्तिमान गढ़ रहे हैं पर अफसोसजनक है कि उदासीनता की गर्द के चलते मेधा का सम्मान नहीं हो पा रहा। 

दीक्षा समारोह में मेधावियों को मेडल देने के लिए विगत वर्ष विश्वविद्यालय प्रशासन ने आवेदन भी मांगे थे। आवेदन आए भी पर दीक्षा समारोह नहीं हो सका। अब विश्वविद्यालय ने नई परंपरा शुरू की है। मेधावियों को 2016 से 15 अगस्त व 26 जनवरी के समारोह में मेडल व प्रमाण पत्र थमाकर इतिश्री कर ली जाती है। इसके विपरीत उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान में हर साल दीक्षा समारोह का आयोजन किया जाता है। इविवि के छात्र, शिक्षक और सेवानिवृत्त शिक्षक भी लगातार दीक्षा समारोह आयोजित करने की मांग करते रहे हैं। पूर्व कुलपति प्रो. एके सिंह ने इस दिशा में प्रयास किया पर सफल नहीं हो सके।


प्रो. रतन लाल हांगलू के कुलपति बनने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि दीक्षा समारोह होगा। इसकी आहट सुनाई भी पड़ी। नौ मई, 2017 को उन्होंने समारोह की तारीख भी तय की। समारोह कराए जाने का निर्णय भी लिया गया पर राष्ट्रपति का कार्यक्रम न मिल पाने के कारण इसे रद कर दिया गया। इसके अलावा विश्वविद्यालय में आए दिन बवाल, आगजनी के कारण अन्य अतिथियों ने आने से ही मना कर दिया। लिहाजा दीक्षा समारोह पर फिर से ग्रहण लग गया है। अब इस साल फिर यह मामला खटाई में पड़ गया है। दीक्षा समारोह में विभिन्न विषयों के मेधावियों को मेडल दिए जाते हैं। इसके अलावा पीएचडी और डीफिल की डिग्रियां भी प्रदान की जाती हैं।

2018 में दीक्षा समारोह कराया जाएगा
'हम प्रयासरत हैं। 2018 में दीक्षा समारोह कराया जाएगा। इस वर्ष भी हमने राष्ट्रपति से समय मांगा था पर नहीं मिल पाया। हमने पिछले वर्ष 26 जनवरी व 15 अगस्त से मेधावियों को मेडल व प्रमाण पत्र देने की परंपरा शुरू की है। दीक्षा समारोह न हो पाने के पीछे एक कारण विश्वविद्यालय में अराजकतत्वों द्वारा आए दिन बवाल किया जाना, विश्वविद्यालय के पास बड़े ऑडिटोरियम का न होना भी है।
- प्रो. रतन लाल हांगलू, कुलपति इलाहाबाद विश्वविद्यालय
 

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