UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के ऐसे भी विधायक जो रहते थे कुटिया में, जानें कौन थी ये विभूति
UP Vidhan Sabha Election 2022 कुंवर तेजभान सिंह ने विधायक रहते कभी कोई दिखावा नहीं किया। वह जनता की सेवा में सदैव तत्पर रहे। उनका जीवन सादगी भरा रहा। प्रतापगढ़ जिले के लालगंज तहसील क्षेत्र के अगई गांव निवासी कुंवर तेजभान सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी रहे।
By Brijesh SrivastavaEdited By: Updated: Sat, 05 Feb 2022 05:01 PM (IST)
प्रयागराज, [रमेश त्रिपाठी]। कहा गया है धरती मेरी माता, पिता आसमान...। कुछ इसी तरह की सोच के रहे पूर्व विधायक कुंवर तेजभान सिंह। वह उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले की रामपुर खास विधानसभा सीट से तीन बार विधायक हुए इसके बावजूद अपना घर नहीं बनवा सके। वह अपने गांव में एक कुटिया में रहा करते थे। आज वहां पर एक हल्का ऊंचा टीला ही रह गया है। आज के विधायकों के जहां आलीशान बंगले होते हैं, वहीं लोग तेजभान सिंह की कुटिया को याद करके उनकी मिसाल पेश करते हैं।
विधायक कुंवर तेजभान सिंह ने कभी दिखावा नहीं किया कुंवर तेजभान सिंह ने विधायक रहते कभी कोई दिखावा नहीं किया। वह जनता की सेवा में सदैव तत्पर रहे। इंटर कालेज मोहन गंज के पूर्व प्रधानाचार्य डा. शक्तिधर नाथ पांडेय बताते हैं कि कुंवर तेजभान का जीवन सादगी भरा रहा। जिले के लालगंज तहसील क्षेत्र के अगई गांव निवासी कुंवर तेजभान सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी रहे। वर्ष 1962 में उन्होंने पहली बार सोशलिस्ट पार्टी से रामपुर खास विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। उन्होंने कांग्रेस की प्रत्याशी अमोला देवी को हराया। 1970 के विधानसभा चुनाव में कुंवर तेजभान सिंह दुबारा सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव लड़े और जीते। इसके बाद 1977 के चुनाव में वह निर्दलीय चुनाव लड़े, उनकी सरलता और समर्पण भाव को देखकर लोगों का उन्हें एक बार फिर समर्थन मिला। इस चुनाव में निर्दल होने के बाद भी उन्होंने कांग्रेस के नेता राजाराम किसान को पराजित किया।
अपने लिए एक घर भी नहीं बनवा सके थे तेजभान
तीन बार विधायक रहे कुंवर तेजभान अपने लिए एक घर भी नहीं बनवा सके और पूरा जीवन एक कुटिया में बिता दिया। शहर में उनका एकमात्र ठिकाना वरिष्ठ अधिवक्ता स्वर्गीय भानु प्रताप त्रिपाठी मराल के यहां हुआ करता था। यहां पर वह रुकते थे और पैदल ही पूरे शहर का भ्रमण किया करते थे। पूर्व प्रधानाचार्य डा. शक्तिधर नाथ पांडेय का कहना है कि विधायक बनने के बाद भी इनके स्वभाव में कोई बदलाव नहीं आया। वह अपने जीवन काल में पैदल ही चला करते थे। पैर में खटपटी पहनते थे और शरीर पर गेरुआ वस्त्र। उनके गृह गांव अगई के अजय प्रताप सिंह ने वह स्थान दिखाया जहां उनकी कुटिया थी। अजय ने बताया कि वह आजीवन अविवाहित रहे। उनके परिवार में कोई नहीं है।
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