Move to Jagran APP

Narendra Giri Death: अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत मामले में पूर्व मंत्री से पूछताछ

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। उनका शव अल्लापुर में बांघबरी गद्दी मठ के कमरे में फंदे से लटका मिला है। खबर मिलते ही पुलिस अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए।

By Ankur TripathiEdited By: Updated: Tue, 21 Sep 2021 10:13 AM (IST)
Hero Image
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालात में मौत हो गई।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। देश भर में अपने बयान से सुर्खियों में रहने वाले अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की सोमवार शाम संदिग्ध हालात में मौत हो गई। उनका शव अल्लापुर में  श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के कमरे में फंदे से लटका मिला था। आइजी रेंज केपी सिंह ने बताया कि वह भी कुछ ही देर में मठ पहुंच गए थे। फिलहाल यह फांसी लगाकर आत्महत्या का मामला लग रहा है। फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल पर जांच की। पता चला कि शिष्यों ने दरवाजा तोड़कर शव को फंदे से उतारा। उनका शव पंखे में बंधे भगवा धोती के फंदे से लटका था। पुलिस को वहां आठ पेज का सुसाइड नोट मिला जिसमें आनंद गिरि समेत तीन लोगों से प्रताड़ित होने का जिक्र है। देर रात एडीजी जोन प्रेम प्रकाश और मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा.एसपी सिंह भी डाक्टरों की टीम के साथ पहुंचे। डाक्टरों ने शव का मुआयना किया और कहा कि नाक से खून रिसा है। गले में कसाव के निशान हैं। बाकी पोस्टमार्टम से साफ होगा। डा. एसपी सिंह का यह भी कहना था कि डाक्टरों की टीम केवल यह देखने गई थी कि शरीर में अकड़न न हो इसलिए पार्थिव शरीर को माइनस 2 डिग्री सेल्सियस टेम्परेचर में रखवा दिया गया है। बाकी पोस्टमार्टम से ही सही वजह पता चलेगी।

आनंद गिरि के खिलाफ लिखा गया मुकदमा

देर रात महंत नरेंद्र गिरि के पुराने शिष्य योग गुरू आनंद गिरि के खिलाफ दफा 306 के तहत एफआइआर थाना जार्जटाउन में दर्ज की गई थी। दफा 306 यानी आत्महत्या के लिए मजबूर कर देना। लेटे हनुमान मंदिर के व्यवस्थापक अमर गिरि की ओर से यह मुकदमा लिखा गया है। इसमें आरोप है कि आनंद की प्रताड़ना की वजह से ही महंत ने अपनी जान दे दी, हालांकि अभी पुलिस अधिकारियों का कहना है कि घटनास्थल पर की गई बारीक जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही महंत की मौत का सही कारण सामने आएगा। 

पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री से पुलिस कर रही पूछताछ

महंत के मौत के मामले में पुलिस सपा सरकार के एक पूर्व दरजा प्राप्त मंत्री से भी पूछताछ कर रही है। पुलिस को पता चला है कि यह पूर्व मंत्री आत्महत्या के लिए मजबूर करने के आऱोपित आनंद गिरि के करीबी हैं और उन्होंने पिछले दिनों गुरू और शिष्य के बीच विवाद गहराने के बाद उनके बीच सुलह कराई थी। 

मौत से पहले का मोबाइल में है वीडियो

पुलिस ने महंत नरेंद्र गिरि का मोबाइल फोन कब्जे में लेकर जांच के लिए फोरेंसिक टीम को दिया है। इस मोबाइल में मौत से पहले का महंत नरेंद्र गिरि का वीडियो है। बताया जा रहा है कि मौत से पहले महंत ने मोबाइल फोन से वीडियो बनाया था जिसमें अपना दुख जाहिर किया है और वही बातें कहीं जो सुसाइड नोट में लिखी हैं।

शिष्य आनंद को हरिद्वार से लाया गया यूपी

इस बीच पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पोस्टमार्टम से मौत की वजह साफ होगी। सुसाइट नोट की हैंड राइटिंग की भी जांच होगी। इस बीच हरिद्वार में महंत के विवादित शिष्य आनंद गिरि और प्रयागराज में दो अन्य शिष्यों मुख्य पुजारी आद्या तिवारी और संदीप तिवारी को पुलिस हिरासत में लिया है। इन तीनों का नाम सुसाइड नोट में है। उधर, आनंद गिरि के बारे में सूचना है कि उसे यूपी पुलिस हरिद्वार से हिरासत में लेकर साथ ले आई है।

कई दिन से तनाव में थे और ज्यादा झुंझलाने लगे थे महंत 

पुलिस को शिष्यों से बातचीत में पता चला है कि पिछले पांच दिन से महंत नरेंद्र गिरि खासे तनाव और चिंता में दिख रहे थे। वह बात-बात पर झुंझलाने भी लगे थे। इस बीच जांच में जुटी पुलिस ने श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के मुख्य गेट और भीतर लगे अलग अलग सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच और शिष्यों से पूछताछ शुरू की है।

आनंद गिरि ने कहा, हत्या की गई है, होनी चाहिए जांच

आइजी जोन ने बताया कि सुसाइड नोट में महंत ने लिखा है कि वह सम्मान से जीवन जीते रहे लेकिन अब अपमानित होकर जीना पड़ रहा है। सुसाइड नोट में शिष्य से दुखी होने की बात है।  इस बीच खबर है कि महंत से विवाद के बाद सुर्खियों में आए शिष्य नरेंद्र गिरि ने इस घटना को कत्ल करार दिया है और कहा कि यह बड़ी साजिश है। उन्हें प्रताडित कर अपनी जान देने  मेरा नाम सुसाइड नोट में लिखने के लिए मजबूर किया गया। मैंने तो माफी मांग ली थी और गुरू जी ने माफ भी कर दिया था।  इस घटना की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। मैंने खुद और गुरू जी की हत्या की आशंका जाहिर की थी। आनंद गिरि ने पुलिस के एक बड़े अधिकारी और एक भू- माफिया को इस साजिश के पीछे बताते हुए जांच कराने की बात कही है।  

मठ पर जुटे भक्त, पुलिस संभालती रही 

महंत की मौत की खबर फैलने पर शहर भर से उनके भक्त मठ पर जुट गए। पुलिस को भीड़ को संभालने के लिए मशक्कत करनी पड़ी। रात नौ बजे तक बाघम्बरी मठ के भीतर पुलिस अधिकारी और फोरेंसिक टीम ही रही। रात करीब पौने दस बजे फोरेंसिक टीम मठ से निकली। पार्थिव शरीर रखने के लिए डीप फ्रीजर मंगाया गया।

शिष्य आनंद  गिरि से विवाद रहा चर्चित

संगम तट स्थित लेटे हनुमान मंदिर के महंत स्वामी नरेंद्र गिरि और उनके शिष्य चर्चित योग गुरू आनंद गिरि के बीच पिछले दिनों विवाद सुर्खियों में रहा है। आनंद गिरि को अखाड़ा परिषद तथा मठ बाघम्बरी गद्दी के पदाधिकारी के पद से निष्कासित कर दिया गया था। तब दोनों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी किए थे। तमाम साधु संत ने महंत नरेंद्र गिरि का समर्थन किया था। नरेंद्र गिरि ने कहा था कि आनंद  गिरि माफी मांगे तब उनके बारे में कुछ सोचा जा सकता है। बाद में आनंद  गिरि ने माफी मांग ली थी। हालांकि, उनका निष्कासन वापस नहीं किया गया।

सुबह होगा पोस्टमार्टम, आ रहे हैं सीएम

 

रात करीब साढ़े सात बजे शव वाहन मठ के भीतर पहुंच गया था। पुलिस अधिकारियों की बातों से अनुमान है कि सुबह महंत के पार्थिव शरीर का पोस्टमार्टम कराया जाएगा। इसकी तैयारी की जा रही है। सीएमओ को जिला प्रशासन से इस बारे में निर्देश दिया जा चुका है। तब तक शव को डीप फ्रीजर में रखा जाएगा। सुबह नौ बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ भी प्रयागराज आ रहे हैं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या रात में आ रहे हैं।

कल ही डिप्टी सीएम ने लिया था आशीर्वाद

महंत नरेंद्र गिरि पिछले करीब दो दशक से साधु संतों के बीच अहम स्थान रखते थे। प्रयागराज आगमन पर बडे़ नेता हों या फिर आला पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी, वे महंत से आशीर्वाद लेने और लेटे हनुमान जी का दर्शन करने जरूर जाते रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद सहित अन्य मंत्री और सांसद तथा विधायक मंदिर और बाघम्बरी मठ पहुंचते रहे हैं। कल यानी रविवार को भी डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने मंदिर जाकर महंत से आशीर्वाद लिया था। पिछले दिनों डीजीपी मुकुल गोयल भी मंदिर में दर्शन पूजन करने गए थे। 

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।