पुण्यतिथि पर विशेष: अपने गांव में सरपंची के बाद आचार्य बने थे महावीर प्रसाद द्विवेदी
21 दिसंबर आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की पुण्यतिथि है जिन्होंने सदियों पहले नारी शक्ति को सम्मान दिया। प्रयागराज में 21 दिसंबर को महिला सशक्तिकरण का अनूठा आयोजन हो रहा है जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शामिल होंगे। संयोग यह भी है कि प्रयागराज से साहित्यिक पत्रिका सरस्वती का प्रकाशन हुआ।
By Ankur TripathiEdited By: Updated: Tue, 21 Dec 2021 07:10 AM (IST)
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। अद्भुत लेखक और विलक्षण व्यक्तित्व के रूप में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की पहचान है। ऐतिहासिक पत्रिका ''सरस्वती के जरिए उन्होंने हिंदी साहित्य को नई दिशा दी। सन 1903 से 1920 तक सरस्वती का संपादन कर ''द्विवेदी-युग का प्रवर्तन सर्वमान्य आचार्य के रूप में समादृत हैं। कम लोग जानते हैं कि संपादन करने से पहले आचार्य महावीर अपने गांव के सरपंच थे। सरपंच करते हुए नारी शक्ति को प्रोत्साहित करने के लिए काफी काम किया था। यही नहीं, अपनी पत्नी की मूर्ति भी स्थापित करवाई थी। ऐसा उदाहरण बहुत कम देखने को मिलता है।
सौ साल पहले पत्नी की प्रतिमा कराया था प्रतिष्ठित
रायबरेली जनपद के दौलतपुर गांव में 15 मई 1864 को जन्मे महावीर प्रसाद द्विवेदी ने हिंदी भाषा-साहित्य के क्षेत्र में अपनी कीर्ति-पताका फहरायी ही, सामाजिक सरोकारों की दृष्टि से भी उनका कोई सानी नहीं था। आज से 100 वर्ष पहले वह दौलतपुर के विलेज मुंसिफ और दौलतपुर ग्राम के पहले सरपंच के दायित्वों का बखूबी निर्वहन कर चुके थे। उस समय उन्होंने स्थानीय नागरिकों की सुविधा के लिए स्कूल, कांजी हाउस, चिकित्सा-सुविधा की व्यवस्था करायी थी। आचार्य द्विवेदी नारी को सम्मान देने के साथ आगे बढऩे को प्रोत्साहित करते थे। इसके लिए दौलतपुर ग्राम में अपने निवास के समक्ष स्थापित मंदिर में अपनी दिवंगत पत्नी की संगमरमर की प्रतिमा को स्थापित करवाया था। पत्नी की प्रतिमा को मंदिर में प्रतिष्ठापित कराने पर उनका उस समय उपहास भी किया गया था, लेकिन वह अविचल अपने चिंतन को मूर्तरूप देने के लिए प्रतिबद्ध रहे। साहित्यिक चिंतक व्रतशील शर्मा कहते हैं कि नारी सम्मान की बात तो बहुतेरे होंगे, लेकिन आचार्य महावीर प्रसाद की तरह अद्र्धांगिनी की प्रतिमा प्रतिष्ठित कराने वाला कोई बिरला व्यक्ति मिलेगा। बताते हैं कि सरस्वती पत्रिका का संपादन करने के पूर्व आचार्य महावीर रेल विभाग में कार्यरत थे। मुंबई, झांसी आदि नगरों में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे। झांसी में पदस्थ रहते हुए ही उन्होंने अपने स्वाभिमान के चलते अंग्रेज अधिकारी का विरोध करते हुए रेल विभाग की नौकरी से त्याग पत्र दे दिया। रायबरेली में 21 दिसंबर 1938 को उन्होंने अंतिम सांस ली थी।
आज बन रहा है अद्भुत संयोग
21 दिसंबर आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की पुण्यतिथि है, जिन्होंने सदियों पहले नारी शक्ति को सम्मान दिया। प्रयागराज में 21 दिसंबर को महिला सशक्तिकरण का अनूठा आयोजन हो रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शामिल होंगे। संयोग यह भी है कि प्रयागराज से साहित्यिक पत्रिका सरस्वती का प्रकाशन हुआ।
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