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कथाकार मार्कंडेय जन्‍मतिथि 2022: लेखन में सदैव आधुनिक और प्रगतिशील मूल्यों को इस कथाकार ने बढ़ाया था

जौनपुर जिले के बराईं गांव में दो मई 1930 को जन्मे मार्कंडेय की कर्मभूमि प्रयागराज रही है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की। कमलेश्वर और दुष्यंत कुमार उनके अंतरंग मित्र थे। तीनों की जोड़ी को त्रिशूल के नाम से जाना जाता था।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 02 May 2022 10:49 AM (IST)Updated: Mon, 02 May 2022 10:49 AM (IST)
आधुनिक व प्रगतिशील मूल्यों के शिल्पी कथाकार मार्कंडेय की आज जन्‍मतिथि है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। व्यक्तित्व में सादगी, रिश्तों में ईमानदारी व लेखन में निष्पक्षता कथाकार मार्कंडेय की पहचान थी। स्वतंत्र भारत की साहित्य की परिवर्तनकामी परंपरा के समर्थ लेखक रहे मार्कंडेय 'नयी कहानी' के दौर के प्रमुख हस्ताक्षर माने जाते हैं। नयी कहानी के सिद्धांतकारों में शुमार मार्कंडेय ने लेखन में सदैव आधुनिक और प्रगतिशील मूल्यों को बढ़ाया है।

कथाकार मार्कंडेय की कर्मभूमि प्रयागराज थी : जौनपुर जिले के बराईं गांव में दो मई 1930 को जन्मे मार्कंडेय की कर्मभूमि प्रयागराज रही। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की। कमलेश्वर और दुष्यंत कुमार उनके अंतरंग मित्र थे। तीनों की जोड़ी को 'त्रिशूल' के नाम से जाना जाता था।

प्रो. राजेंद्र कुमार बोले- किसानों व मजदूर उनके लेखन के प्रिय विषय थे : मार्कंडेय के साथ रहे वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. राजेंद्र कुमार बताते हैं कि ग्रामीण जीवन, किसानों व मजदूर उनके लेखन के प्रिय विषय थे। इन्हीं के ऊपर तमाम रचनाएं लिखी। मार्कंडेय ने 'कथा' नामक पत्रिका का प्रकाशन कराया। पत्रिका के जरिए नए साहित्यकारों को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने प्रयागराज में 18 मार्च 2010 में अंतिम सांस ली।

रविनंदन सिंह ने कहा- लेखकों के संगठनकर्ता थे मार्कंडेय : सरस्वती पत्रिका के संपादक रविनंदन ङ्क्षसह बताते हैं कि ङ्क्षहदी की जनवादी साहित्य परंपरा के निर्माण में मार्कंडेय जी की अग्रणी भूमिका रही है। वे सिर्फ साहित्यकार ही नहीं थे बल्कि साहित्य और लेखकों के संगठनकर्ता भी थे। साहित्य की प्रगतिशील परंपरा में स्वतंत्र भारत में जिन लेखकों ने साहित्यकारों के संगठन निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने जीवनभर कोई नौकरी नहीं की। अग्निबीज, सेमल के फूल (उपन्यास), पान फूल, महुवे का पेड़, हंसा जाए अकेला, सहज और शुभ, भूदान, माही, बीच के लोग (कहानी संग्रह), सपने तुम्हारे थे (कविता संग्रह), कहानी की बात (आलोचनात्मक कृति), पत्थर और परछाइयां (एकांकी संग्रह) आदि उनकी महत्वपूर्ण कृतियां हैं।


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