Mauni Amavasya 2023: त्रिग्रहीय योग में मौन डुबकी खोलेगी समद्धि के द्वार, आज अमृत के समान होता है जल
Mauni Amavasya 2023 मौनी अमावस्या को हिंदू धर्म में सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। इस दिन लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं। प्रयागराज संगम तट पर भक्त सुबह से गंगा में पुण्य की डुबकी लगा रहे हैं।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। माघ मास की अमावस्या तिथि अर्थात मौनी अमावस्या पर स्नान-दान करने पर मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। मौनी अमावस्या पर पुण्य की डुबकी लगाने के लिए शुक्रवार को दिन व रातभर में श्रद्धालुओं के आने का क्रम जारी रहा। मौनी अमावस्या पर ग्रह-नक्षत्रों का विशेष संयोग बन रहा है। ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार अमावस्या तिथि 21 जनवरी की सुबह 5.08 बजे लगकर रात 2.59 बजे तक रहेगी। उक्त तिथि को मकर राशि में सूर्य, शुक्र, शनि के संचरण से त्रिग्रहीय योग बन रहा है। धनु राशि में चंद्रमा व बुध रहेंगे। इससे ज्ञान व विज्ञान के क्षेत्र में नई उपलब्धि मिलेगी।
ये है स्नान का अमृत काल
शनिवार की सुबह 5.08 से 8.04 बजे तक मकर लग्न होगी।
सुबह 8.04 से 9.35 बजे तक कुंभ लग्न रहेगी।
मन का फैल धुलें तन का नहीं : सदानंद
द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती बताते हैं कि मौनी अमावस्या पर संगम के पवित्र जल में स्नान का मौका सौभाग्यशाली लोगों को प्राप्त होता है। उक्त पावन तिथि पर संगम में मन का मैल धुलना चाहिए तन का नहीं। घर में स्नान करने के बाद संगम में डुबकी लगाएं। स्नान के समय मन में आराध्य व पूर्वजों का स्मरण करते रहें।
मौन रहकर करें स्नान : वासुदेवानंद
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य जगदगुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती के अनुसार मौनी अमावस्या पर पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है। इस दिन मौन व्रत रखकर पवित्र संगम व गंगा के पवित्र जल में स्नान करने से मनोवांछित फल एवं आध्यामिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। स्नान के समय ईश्र्वर का ध्यान करना चाहिए। भूलकर भी छल-कपट, धोखा धड़ी जैसे अनैतिक कार्य नहीं करना चाहिए।
अमृत के समान होता है जल : निश्चलानंद
पुरी पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद बताते हैं कि मौनी अमावस्या पर मां गंगा का पवित्र जल अमृत स्वरूप में हो जाता है। पवित्र बेला में मौन रहकर स्नान करने से परमात्मा से साक्षात्कार की अनुभूति होती है। तन व मन से पवित्र व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। उक्त विधि पर तन, मन और वाणी को पवित्र रखना चाहिए।
देवता भी आते हैं पृथ्वी पर : अविमुक्तेश्वरानंद
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती बताते हैं कि मौनी अमावस्या पर मौन रहकर संगम में स्नान करने से जाने-अनजाने में हुए समस्त पाप नष्ट हो जातें हैं। ये पवित्र पल मनुष्य को आत्मशुद्धि का सुअवसर प्रदान करता है। मौनी अमावस्या पर स्वर्गलोक से देवता भी संगम में स्नान करने आते हैं। वे अलग-अलग रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं।