Narendra Giri Death Case: यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव बोले- महंत की मौत मामले में सरकार सीबीआइ जांच के लिए तैयार है
Narendra Giri Death यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि को श्रद्धांजलि देने प्रयागराज पहुंचे। बाघंबरी गद्दी में मीडिया के समक्ष कहा कि निरंजनी अखाड़े के पंच परमेश्वर व अखाड़ा परिषद कहेंगे तो मामले की सीबीआइ जांच कराई जाएगी।
By Brijesh SrivastavaEdited By: Updated: Tue, 21 Sep 2021 11:08 AM (IST)
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के निधन से गमगीन हैं। वह मंगलवार को प्रयागराज पहुंचे। श्रीमठ बाघंबरी गद्दी में उन्हेांने मीडिया के समक्ष कहा कि निरंजनी अखाड़े के पंच परमेश्वर व अखाड़ा परिषद कहेंगे तो मामले की सीबीआइ जांच कराई जाएगी। उन्हांने कहा कि यूपी सरकार सीबीआइ जांच के लिए तैयार है। अभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी प्रयागराज पहुंच चुके हैं। वे श्रीमठ बाघम्बरी मठ में पहुंच चुके हैं। महंत नरेंद्र गिरि के अंतिम दर्शन के बाद मुख्यमंत्री प्रशासन के अफसरों के साथ बैठक करेंगे। मुख्यमंत्री के जाने के तुरंत बाद सीबीआई जांच की भी घोषणा अफसर कर सकते हैं।
प्रयागराज पहुंचने पर डिप्टी सीएम केशव मौर्य सीधे श्रीमठ बाघंबरी गद्दी पहुंचे। वहां हजारों की संख्या में महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य व अनुयायी मौजूद थे। इस दौरान केशव मौर्य ने पत्रकारों के समक्ष कहा कि दो दिन पहले वह महंत नरेंद्र गिरि से मिले थे, तब महंत नरेंद्र गिरि नर्वस नहीं थे, आत्महत्या पर भरोसा नहीं। केशव बोले कि मामले की पूरी जांच होगी। किन परिस्थितियों में सब हुआ अभी कुछ नहीं पता। यदि उन्हें (महंत नरेंद्र गिरि) को कोई पीड़ा थी तो वह साझा कर सकते थे पर उन्होंने ऐसा नहीं किया।
भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि का पार्थिव शरीर संत परंपरा के मुताबिक समाधि दी जाएगी। इसके लिए अखाड़ों के साधु, संतां द्वारा वैदिक रीति रिवाज से संत परंपरा के अनुसार उनका संस्कार किया जाएगा। तत्पश्चात बाघम्बरी मठ के अंदर ही बनी उनके गुरु की समाधि के बगल उन्हें समाधि दी जाएगी। इसके लिए तैयारी पूरी कर ली गई है।
हिंदू धर्म में वर्णित संत परंपरा के मुताबिक भारतीय धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए बने अखाड़ों में साधु-संतों के अंतिम संस्कार की अलग-अलग परंपराएं हैं शैव और वैष्णव संप्रदाय के साधु-संतों को अलग-अलग अंतिम संस्कार की विधियों का वर्णन किया गया है। 13 अखाड़ों में 10 अखाड़े शैव संप्रदाय के हैं जबकि तीन अखाड़े वैष्णव संप्रदाय के हैं, जिसमें साधु-संतों को अग्नि से जलाए जाने का प्रावधान है। जबकि शैव संप्रदाय में आने वाले 10 अखाड़ों के साधु-संतों को जल समाधि या भूमि समाधि देने का वर्णन किया गया है।
जल समाधि साधु-संतों को पद्मासन की मुद्रा में कराया जाता है। हालांकि गंगा में बढ़ते प्रदूषण के चलते महाकुंभ में साधु-संतों के द्वारा एकजुट होकर के जल समाधि न देने का निर्णय लिया गया था। अखाड़ों में रहने वाले अगर कोई भी साधु या संत ब्रह्मलीन होता है तो उसे भूमि समाधि दी जाएगी इस तरह का निर्णय अखाड़ा संप्रदायों के द्वारा लिया गया था।ब्रह्मलीन हो चुके महंत नरेंद्र गिरि को भी भूमि समाज की जाएगी। समाधि से पहले उनके पार्थिव शरीर को आम जनता के दर्शन के लिए रखा जाएगा जिसके बाद पंच परमेश्वर को अखाड़ों के साधु संतों के दिशा निर्देश में वैदिक रीति रिवाज से संस्कार कर उनके पार्थिव शरीर को भूमि समाधि दे दी जाएगी उसके उपरांत उन्हें ब्रह्मलीन किया जाएगा।
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