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Good News: दो साल बाद लगने जा रहा NCZCC में एक दिसंबर से राष्ट्रीय शिल्प मेला

एक दिसंबर से 12 दिनी राष्ट्रीय शिल्प मेला लगना है जिसमें देश के अनेक राज्यों से शिल्पियों और हुनर के उस्तादों का जमघट होगा। बुधवार को एनसीजेडसीसी में निदेशक प्रोफेसर सुरेश शर्मा की उपस्थिति में दुकानों के आवंटन के लिए लाटरी प्रक्रिया हुई

By Ankur TripathiEdited By: Updated: Thu, 25 Nov 2021 05:20 PM (IST)
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दुकानों के आवंटन के लिए निकाली गई लाटरी, 12 दिवसीय मेला लगेगा
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। कोविड-19 की शुरुआत से अब तक उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी) में छाई उबासी की धुंध छंटने वाली है। यहां एक दिसंबर से 12 दिनी राष्ट्रीय शिल्प मेला लगना है जिसमें देश के अनेक राज्यों से शिल्पियों और हुनर के उस्तादों का जमघट होगा। बुधवार को एनसीजेडसीसी में निदेशक प्रोफेसर सुरेश शर्मा की उपस्थिति में दुकानों के आवंटन के लिए लाटरी प्रक्रिया हुई। इसके साथ ही शिल्प मेले की तस्वीर भी रूपरंग लेने लगी है। ऐसे दो साल बाद अब शहर के लोगों को शानदार  शिल्प मेले में जाकर शाम गुजारने और खरीदारी के साथ ही विविध खानपान का लुत्फ उठाने का मौका  मिलने वाला है।

कोविड-19 के बाद पहली बार होगा देश भर के शिल्पियों का शानदार जमघट

एनसीजेडसीसी का राष्ट्रीय शिल्प मेला देश भर में विख्यात है क्योंकि इसमें हस्तशिल्प की एक से एक कारीगरी का नमूना तो देखने को मिलता ही है, एक दूसरे राज्य की लोक संस्कृति और सांस्कृतिक आयोजनों की झलक भी संगम की तरह मिलकर प्रवाहित होती है। शायद इसीलिए इसमें स्थानीय लोगों के अलावा सुदूर क्षेत्रों में भी रहने वाले लोग पहुंचते हैं। किसी को खरीदारी करनी होती है तो कुछ लोगों को देश की सांस्कृतिक धारा में गोते लगाने का शौक होता है। राजस्थान, हरियाणा के लोक कलाकारों की कला भी देखते ही बनती है। ऐसे ही राष्ट्रीय शिल्प मेले की रूपरेखा पूरी तरह से बन चुकी है और एक से 12 दिसंबर तक एनसीजेडसीसी के शिल्प हाट में इसका आयोजन होना है। निदेशक प्रोफेसर सुरेश शर्मा ने बताया कि मेले में दुकानों के आवंटन के लिए लाटरी प्रक्रिया अपनायी गई है। क्योंकि आवेदकों की संख्या काफी अधिक थी और जगह सीमित है। बताया कि मेले में भागीदारी के लिए विभिन्न राज्यों से शिल्पी अपने क्षेत्रीय उत्पादों के साथ जल्द ही आ जाएंगे। कोविड से पहले एक दिसंबर से लगने वाले राष्ट्रीय शिल्प मेले में रोज हजारों लोग पहुंचकर खऱीदारी और खानपान का आनंद लेते रहे हैं।

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