...ये है इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना यानी पुराना यमुना पुल, अगस्त में 155 साल पूरा करेगा Prayagraj News
क्या आप जानते हैं कि प्रयागराज में पुराना यमुना ब्रिज इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना है। अंग्रेजी शासनकाल में इसे बनाया गया था। रेलवे नैनी यमुना पुल को संवारने का काम करेगा।
By Brijesh SrivastavaEdited By: Updated: Tue, 03 Mar 2020 01:52 PM (IST)
प्रयागराज, [रमेश यादव]। क्या आप जानते हैं कि दिल्ली-हावड़ा रूट पर नैनी में यमुना नदी में बने पुराना पुल इसी डेढ़ सौ वर्ष पूरा करने वाला है। इसी स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त को इंजीनियरिंग का यह बेजोड़ नमूना 155 साल का हो जाएगा। 1859 में पुल का निर्माण शुरू हुआ था और 15 अगस्त 1865 में ट्रेनों का आवागमन शुरू हुआ था। 3150 फीट लंबे पुल के निर्माण पर उस दौरान 44 लाख 46 हजार तीन सौ रुपये खर्च हुए थे।
रेलवे संवारेगा नैनी में यमुना पर बने पुल को
यमुना के पुराने नैनी पुल से रोजाना 200 से अधिक सवारी और माल गाडिय़ों गुजरती हैं। यमुना पर ही ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का पुल भी बन रहा हैै उसकी लंबाई एक किलोमीटर से ज्यादा है। रेलवे नैनी में पुराने यमुना पुल को संवारने का कार्य करेगा।
पुल के 13 नंबर के पिलर को इसलिए कहते हैं हाथी पांव पिलर17 पिलर (स्पैन) पर खड़े पुल के निर्माण के वक्त बहाव काफी तेज था। जलस्तर नौ फीट नीचे कर कुआं खोदा फिर राख और पत्थर की फर्श बिछाकर पत्थर की चिनाई की गई थी, जिसका व्यास 52 फीट था। उसके ऊपर पिलर का निर्माण कराया गया। इसलिए 13 नंबर पिलर को हाथी पांव पिलर कहा जाता है।
बोले प्रयागराज मंडल के जनसंपर्क अधिकारीप्रयागराज मंडल के जनसंपर्क अधिकारी सुनील कुमार गुप्ता कहते हैं कि 15 अगस्त को नैनी के यमुना पुल को 155 साल पूरे हो जाएंगे। इसलिए पुल को संवारा जा रहा है। अगले महीने काम शुरू होगा। वैसे नियमित रूप से पुल पर पटरी व अन्य चीजों की मरम्मत होती रहती है। विशेष अवसरों पर पुल को सजाया भी जाता है। विशेष लाइटिंग की जाती है।
आंकड़ों पर एक नजर डालें 06 साल लगे थे पुल को बनने में14 पिलर पर बना है नैनी का यमुना ब्रिज14 स्पैन है 61 मीटर लंबे02 स्पैन है 12.20 मीटर लंबे01 स्पैन है 9.18 मीटर लंबा67 फीट लंबे और 17 फीट चौड़ा है प्रत्येक पिलर30 लाख क्यूबिक ईंट और गारा से बना है पुल42 फीट तक गहरी है पिलर की नींव4300 टन वजन है पुल पर रखे गर्डर का
01 करोड़ 46 लाख तीन सौ रुपये खर्च हुए थे गर्डर पर 1913 में पुल पर बिछाई गई थीं डबल लाइन1928-29 में पुराने गर्डर की जगह नए गर्डर लगाए गए2007 में लकड़ी के स्लीपर की जगह स्टील चैनल स्लीपर लगाए गए2019 के कुंभ के दौरान पुल पर लगाई गई एलईडी और फसाड लाइट।
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