Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

पीएम मोदी के साथ जर्मनी पहुंचा महेवा का मूंज, पीएमओ ने कराया था खासतौर पर तैयार

प्रधानमंत्री मोदी यहां के मूंज क्राफ्ट को जर्मनी में आयोजित जी-7 समूह के सदस्य देशों के शिखर सम्मेलन में ले गए। पीएम मोदी ने अफ्रीकी देश सेनेगल के राष्ट्रपति को मूंज से बने फ्लावर पाट भेंट किए। मूंज क्राफ्ट उन्हें इसलिए दिया गया क्योंकि सेनेगल भी हस्तशिल्प का हब है।

By Ankur TripathiEdited By: Updated: Wed, 29 Jun 2022 07:16 AM (IST)
Hero Image
प्रधानमंत्री ने शिखर सम्मेलन में सेनेगल के राष्ट्रपति को मूंज से तैयार फ्लावर पाट किए भेंट

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। महेवा के प्रसिद्ध मूंज की गूंज अब विदेश तक होने लगी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यहां के मूंज क्राफ्ट को अपने साथ जर्मनी में आयोजित जी-7 समूह के सदस्य देशों के शिखर सम्मेलन में ले गए। पीएम मोदी ने वहां अफ्रीकी देश सेनेगल के राष्ट्रपति मैकी साल को मूंज से बने फ्लावर पाट भेंट किए। मूंज क्राफ्ट उन्हें इसलिए दिया गया, क्योंकि सेनेगल भी हस्तशिल्प का हब माना जाता है। यहां हाथ से बुनाई की परंपरा मां से बेटी के लगाव को दर्शाती है, जो सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और पारिवारिक आजीविका के वाहक के रूप में इसके महत्व को जोड़ता है।

ओडीओपी स्कीम में मूंज को प्रयागराज में दिया जा रहा बढ़ावा

एक जनपद एक उत्पाद के तहत प्रयागराज में मूंज क्राफ्ट को चुना गया है। यहां नैनी के पास महेवा, डांडी व तिगनौता में वर्षों से मूंज की टोकरी, डलिया, पेपर वेट, फ्लावर पाट, पर्स, लैंप, चपाती बाक्स, फ्रूट बास्केट, ब्रेड बास्केट, वाल हैंगिंग, टी पोस्टर, टेबल मैट, सुहाग पिटारा बनाए जाते हैैं।

पीएमओ के निर्देश पर बनवाया गया था अबसार और फिरोजा से पाट

उपायुक्त उद्योग अजय कुमार चौरसिया ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय से पहले मूंज क्राफ्ट के उत्पादों की जानकारी मांगी गई फिर अपर मुख्य सचिव उद्योग नवनीत सहगल ने पांच फ्लावर पाट बनवाने के लिए कहा। बताया कि इसे प्रधानमंत्री जर्मनी ले जाएंगे और वहां सेनेगल के राष्ट्रपति को उपहार देंगे। फिर राज्य हस्तशिल्प पुरस्कार प्राप्त अबसार और उनकी पत्नी फिरोजा को इसके लिए बोला गया। दोनों को जब पता चला कि उनके हाथ से बने मूंज के फ्लावर पाट प्रधानमंत्री दूसरे देश के राष्ट्रपति को भेंट करेंगे तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लगभग एक हफ्ते में दोनों ने पांच फ्लावर पाट तैयार कर लिया। उद्योग विभाग लखनऊ से एक अधिकारी आकर फ्लावर पाट ले गए, जिसे दिल्ली भेजा गया।

महिलाओं को स्वावलंबी बना रहा मूंज क्राफ्ट

मूंज क्राफ्ट ग्रामीण महिलाओं के लिए आय का एक स्थायी स्रोत बनता जा रहा है। मूंज से बने उत्पाद उपयोगितावादी हस्तशिल्प का एक अद्भुत उदाहरण हैैं। सेनेगल की टोकरियों की तरह, मूंज शिल्प भी चमकीले, गहना टोन रंगों का उपयोग करता है। सरपत घास से बने मूंज की बुनाई से तैयार होती है। ओडीओपी के जरिए अब सरकारी पहल से इनकी मांग में भी इजाफा हो रहा है। नई पीढ़ी भी हस्तशिल्प की इस विधा से जुड़ रही है। युवतियों और महिलाओं ने बड़ी संख्या में इस धंधे को अपनाया है। फिरोजा ने ही कई युवतियों के साथ अपने घर में कुछ समय पहले मुरादाबाद की एक कंपनी को डाइनिंग टेबल मैट व बाउल मैट बेचकर लगभग दो लाख रुपये कमाए थे।

यूरोप और अमेरिका में थी मांग

महेवा के शिल्पियों की मानें तो उनके उत्पादों की मांग किसी दौर में यूरोप और अमेरिका तक में थी। यमुना क्रिश्चियन इंटर कालेज की प्रिसिंपल मूंज क्राफ्ट यहां के शिल्पियों से लेकर अमेरिका में अपने परिचितों को भेजती थीं। उनके जाने के बाद सिलसिला थम गया था। अब फिर माल विदेश जाने पर हस्तशिल्पी प्रफुल्लित हैैं।

थर्माकोल व प्लास्टिक का विकल्प

मूंज क्राफ्ट के उत्पाद थर्माकोल और प्लास्टिक के विकल्प के रूप में इस्तेमाल में लाए जा सकते हैं। चूंकि मूंज से ज्यादातर उत्पाद बनाए जा सकते हैं, इसलिए यह थर्माकोल और प्लास्टिक का बेहतर विकल्प हो सकता है। इससे पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कार्य हो सकता है।

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर