Ayodhya Verdict : राम जन्मभूमि आंदोलन का केंद्र रहा प्रयागराज, संत-महात्मा रणनीति बनाते रहे Prayagraj News
प्रयागराज में तीन बार विश्व हिंदू सम्मेलन हुआ था। साथ ही उठा था राम मंदिर मुद्दा। वहीं विहिप की ओर से 14 में से छह अंतरराष्ट्रीय धर्म संसद यहीं हुई थी।
By Brijesh SrivastavaEdited By: Updated: Sun, 10 Nov 2019 01:21 PM (IST)
प्रयागराज, [ज्ञानेंद्र सिंह]। आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और शैक्षणिक महत्व वाला प्रयागराज राम जन्मभूमि आंदोलन का भी केंद्र रहा। धर्म संसद से लेकर विश्व हिंदू सम्मेलनों के आयोजन भी बड़े स्तर पर हुए, जिनमें मंदिर मुद्दा गर्मजोशी से उठा था। खासतौर पर यहां हर वर्ष आयोजित होने वाले माघ मेले और छह साल व 12 साल में होने वाले कुंभ एवं महाकुंभ में भी इस मुद्दे को लेकर संत-महात्मा रणनीति तय करते रहे हैं।
तीन बार विश्व हिदू सम्मेलन भी हुआ यहां, उठा था राम मंदिर मुद्दाविश्व हिंदू परिषद की स्थापना के बाद प्रयागराज राम जन्मभूमि आंदोलन का केंद्र बना। कीडगंज में परिषद का कार्यालय खुला। वर्ष 1966 में 22 से 24 जनवरी तक तीन दिवसीय पहला विश्व हिंदू सम्मेलन यहां हुआ। वर्ष 1979 को द्वितीय हिंदू सम्मेलन और फिर 11, 12, 13 फरवरी 2007 को तृतीय विश्व हिंदू सम्मेलन हुआ। प्रांत कार्यालय 25 मई-2000 को केसर भवन हुआ। प्रयागराज के अशोक सिंहल को संघ से विहिप की जिम्मेदारी वर्ष 1989 में मिली। यहां धर्म संसद का आयोजन हुआ, जिसमें महंत अवेद्यनाथ, देवरहा बाबा, ज्योतिष पीठ से विष्णु देवानंद, प्रभुदत्त ब्रह्मचारी, कांची कामकोटि पीठ से शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती, उडुप्पी के संत विश्वैरातीर्थ और अशोक सिंहल की मौजूदगी में शिला पूजन का कार्यक्रम तय हुआ था। लगभग 3.5 लाख शिलाएं पहुंची थीं। एक नवंबर, 1989 को उन्हीं शिलाओं से अयोध्या में पूजन हुआ।
प्रयागराज में पांच अंतरराष्ट्रीय धर्म संसद का हुआ आयोजन वर्ष 1995 में राम जन्मभूमि न्यास का निर्माण हुआ, जिसमें प्रयागराज के शांतानंद महाराज, प्रभुदत्त ब्रह्मदत्त ब्रह्मचारी, अशोक सिंहल सदस्य बने। अशोक सिंहल, आरएसएस के तत्कालीन सर संघचालक प्रो. राजेंद्र सिंह 'रज्जू भैया' एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी का यहां ज्यादातर प्रवास होता रहा। यहां 29 से 31 जनवरी 1989, 19-20 जनवरी 2001, 01-02 फरवरी 2006, 30-31 जनवरी 2013 व 30-31 जनवरी 2019 को अंतरराष्ट्रीय धर्म संसद हुई।
शिला पूजन, राम ज्योति, चरण पादुका के कार्यक्रम प्रयागराज में तय हुए थे वर्ष 1989 से अब तक प्रत्येक माघ मेले में संत सम्मेलन हुए। शिला पूजन, राम ज्योति, चरण पादुका के कार्यक्रम प्रयागराज में तय हुए। अशोक सिंहल के साथ यहां के न्यायमूर्ति देवकी नंदन अग्रवाल, डॉ. बीएल अग्रवाल, बैकुंठ नाथ भार्गव, आनंद भूषण शरण, आशा नारायण टंडन, ओम प्रकाश माथुर इन कार्यक्रमों में शामिल होते थे। रणनीति तय करने के लिए उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, विनय कटियार, ओम प्रकाश सेठी, मोतीलाल अक्सर यहां बैठकों में आते थे। अयोध्या में जन्मभूमि आंदोलन में पूर्वी उप्र के साथ दक्षिण भारत, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात के ज्यादातर जत्थे प्रयाग से होकर गुजरे थे, जिनकी प्रयागवासियों ने आवभगत की थी।
महावीर भवन, केसर भवन व आनंदा में बनती थी रणनीतिपन्नालाल मार्ग स्थित विहिप के प्रांत कार्यालय केसर भवन, अशोक सिंहल के आवास महावीर भवन और संघ कार्यालय आनंदा आश्रम में अयोध्या मुद्दे को लेकर अहम रणनीति तय होती थी। महावीर भवन में अब अरुंधति वशिष्ठ अनुसंधान पीठ और वेद विद्यालय का संचालन होता है। केसर भवन में महर्षि भारद्वाज वेद विद्यालय संचालित है।
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