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फर्जी आधार में असद का 'सलमान', गुलाम का 'तौफीक' था नाम; पहचान छिपाने के लिए शूटरों ने किया था जुगाड़

स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की मुठभेड़ में ढेर हुए पांच-पांच लाख के इनामी शूटर असद और गुलाम के बारे रोजाना नए-नए तथ्य सामने आ रहे हैं। अब दिल्ली पुलिस की जांच में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Thu, 04 May 2023 10:17 AM (IST)
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फर्जी आधार में असद का 'सलमान', गुलाम का 'तौफीक' था नाम

ताराचंद्र गुप्ता, प्रयागराज: स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की मुठभेड़ में ढेर हुए पांच-पांच लाख के इनामी शूटर असद और गुलाम के बारे रोजाना नए-नए तथ्य सामने आ रहे हैं। अब दिल्ली पुलिस की जांच में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। पता चला है कि उमेश पाल और उनके दो सरकारी गनर की हत्या के बाद फरारी काटते वक्त दोनों शूटरों ने फर्जी आधार कार्ड बनवा लिया था।

बाटला हाउस के पते पर बनवाए थे फर्जी आधार कार्ड

इसमें असद का नाम सलमान मंसूरी और गुलाम का नाम तौफीक अली रखा गया था। दोनों फर्जी आधार कार्ड दिल्ली के बाटला हाउस के पते पर बनवाए गए थे। फर्जीवाड़ा असलहा तस्करी के आरोप में पकड़े गए खालिद के एक दोस्त की मदद से किया गया था।

सूत्रों का कहना है कि उमेश और दो सिपाहियों की गोली मारकर हत्या करने के बाद माफिया अतीक का बेटा असद शूटर गुलाम के साथ बाइक से कानपुर पहुंचा था। इसके बाद दोनों बस से नोएडा पहुंचे और बोटेनिकल गार्डन पार्क के पास उतरे। वहां अतीक के खास और पुराना गुर्गा कार लेकर पहुंचा फिर हत्यारोपितों को साउथ दिल्ली में छोड़कर चला गया।

पुलिस ने घोषित किया था असद और गुलाम पर इनाम

इसी बीच प्रयागराज पुलिस और एसटीएफ की टीम ने तलाश तेज करते हुए इनाम घोषित किया तो असद, गुलाम अपनी पहचान छिपाने के लिए जतन करने लगे। तभी अशरफ के एक साथी ने दिल्ली में मौजूद गुर्गा से कहा कि यूपी से गए दो ‘मेहमान’ को सुरक्षित ठिकाना चाहिए। तब जीशान, खालिद और जावेद दिल्ली के मजीदिया अस्पताल पर पहुंचकर असद व गुलाम को लेकर सुरक्षित स्थान पर ले गए।

इसके बाद खालिद ने अपने साथी की मदद से दोनों का फर्जी आधार कार्ड बनवाया ताकि दोनों की पहचान छिपी रहे और वह पुलिस की गिरफ्त से बच सकें। बताया गया है कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने असलहा तस्करी में पकड़े गए जीशान सहित अन्य से पूछताछ की थी तब असद व गुलाम के दिल्ली में पनाह लेने का पता चला था। बाद में फर्जी आधार कार्ड बनाने की बात सामने आई थी, जिसे सही पाया गया।

उमर, अली से अफरोज के बेटों की दोस्ती पुलिस सूत्रों की मानें तो अफरोज का इंतकाल होने के बाद उनके बेटों की दोस्ती अतीक के बेटे उमर व अली से हो गई थी। अफरोज विदेशों में श्रमिकों को भेजता था। उसकी मौत के बाद बेटे भी यही काम करते हैं। दिल्ली पुलिस की जांच में ऐसे और भी कई तथ्य सामने आए हैं, जिसके आधार पर अतीक के नेटवर्क का पता चला है।

कहा जा रहा है कि दिल्ली स्थित माफिया अतीक की बेनामी संपत्ति के रखवाली उसके दिल्ली में रहने वाले खास लोग करते हैं, जिनके बारे में अब जांच एजेंसी छानबीन कर रही है।

अतीक के कहने पर ड्राइवर ने की थी मदद

असद जब दिल्ली जा रहा था तब माफिया अतीक ने सफीकुर्ररहमान नामक खास ड्राइवर से बेटे को साउथ दिल्ली तक पहुंचाने के लिए कहा था। अतीक के कहने पर ड्राइवर शूटरों को कार से ले गया और एक लाख रुपये भी दिया था। जांच में यह भी पता चला है कि जब अतीक सांसद था, तब वह ओखला निवासी स्व. अफरोज के घर पर आया जाया करता था।

वर्ष 2007 में अफरोज का साथी सफीकुर्ररहमान बीमार हुआ तो उसके इलाज के लिए अतीक के पीए ने लेटर हेड पर लिखकर अस्पताल में इंतजाम कराया था। यहीं से अतीक व सफीकुर्ररहमान के बीच दोस्ती हुई थी।