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पुरी पीठाधीश्‍वर शंकराचार्य निश्‍चलानंद सरस्‍वती बाेले- साढ़े तीन वर्ष में भारत बनेगा हिंदू राष्ट्र

पुरी पीठाधीश्‍वर शंकराचार्य निश्‍चलानंद सरस्‍वती ने कहा कि भारत जब खंडित हो सकता है तो अखंडित भी होगा। दुनिया के सारे लोग कभी सनातनी हिंदू थे। भारत को काटकर पाकिस्तान बांग्लादेश सहित अन्य जितने भी राष्ट्र बने हैं उन्हें अनुभूति होने लगी है कि बंटवारा उनके हित में नहीं है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Updated: Mon, 06 Jun 2022 02:38 PM (IST)
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पुरी पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने प्रयागराज में विविध मुद्दों पर दैनिक जागरण से बातचीत की।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। सदियों पहले भारत हिंदू राष्ट्र था। आने वाले साढ़े तीन वर्ष में हिंदू राष्ट्र की संकल्पना पुन: साकार होगी। इसका स्वरूप तैयार होने लगा है। समस्त स्थिति स्वत: अनुकूल हो जाएगी। यह दावा है पुरी पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का। उन्होंने प्रयागराज में कहा कि हिंदू राष्ट्र के साथ अखंड भारत की संकल्पना जरूर साकार होगी। भारत जब खंडित हो सकता है तो अखंडित भी हो सकता है।

शंकराचार्य से दैनिक जागरण की बातचीत के प्रमुख अंश...

प्र. आप कहते हैं कि साढ़े तीन वर्ष में भारत हिंदू राष्ट्र बनेगा, ऐसा दावा किस आधार पर कर रहे हैं?

-मेरे पास पुरी में कुछ वर्ष पहले मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह आए थे। मैंने उनसे कहा था कि कश्मीर से धारा-370 हटाकर ही भारत को सुरक्षित किया जा सकता है। उस समय मेरी बातें सुनकर अमित शाह भी अचरज में पड़ गए थे। बाद में परिस्थति बदली और अमित शाह ने ही वही काम पूरा किया। ठीक उसी प्रकार भारत हिंदू राष्ट्र की संकल्पना भी होगी। मौजूदा सामाजिक व राष्ट्रीय परिस्थिति उसके अनुकूल बन रही है। धैर्य रखिए, आप भारत को हिंदू राष्ट्र बनते स्वयं देख लेंगे।

प्र. आप अखंड भारत बनाने की बात भी करते हैं। ये कैसे संभव होगा?

-भारत जब खंडित हो सकता है तो अखंडित भी होगा। दुनिया के सारे लोग कभी सनातनी हिंदू थे। भारत को काटकर पाकिस्तान, बांग्लादेश सहित अन्य जितने भी राष्ट्र बने हैं, उन्हें अनुभूति होने लगी है कि बंटवारा उनके हित में नहीं है। उनकी आर्थिक, सामाजिक व धार्मिक स्थिति अत्यंत खराब है। वो चिंतन करने लगे हैं कि भारत के साथ रहकर उनकी स्थिति ज्यादा अच्छी थी। यही परिस्थिति अखंड भारत का स्वरूप साकार करेगी।

प्र. काशी के ज्ञानवापी में हिंदू अपना दावा कर रहे हैं। इस पर आपका क्या मत है?

-आक्रांताओं ने हमारे मठ-मंदिर तोड़े हैं। इस सत्यता को मुसलमानों को स्वीकार कर लेना चाहिए। मैं असहिष्णुता के पक्ष में नहीं हूं, लेकिन जहां हमारे भगवान का आधार है उसका दावा छोड़ना भी नहीं चाहिए। मक्का में भी मस्केश्वर महादेव का मंदिर है। ज्ञानवापी सहित ऐसे अन्य धर्म स्थलों पर मुसलमानों को अपना दावा छोड़कर उसे हिंदुओं को सौंपना चाहिए। मानवाधिकार के तहत हिंदुओं को न्याय मिलना चाहिए।

प्र. कुतुब मीनार सहित कई मस्जिदों में शिवलिंग अथवा अन्य देवी-देवताओं के मंदिर होने का दावा किया जा रहा है। क्या यह उचित है?

-दावा हवा में नहीं होना चाहिए। उसके अनुरूप तथ्य व प्रमाण होना जरूरी है। अगर प्रमाण है तो दावा करने में पीछे नहीं रहना चाहिए।

प्र. देश में कामन सिविल कोड पर बहस छिड़ी है। इसके कोई पक्ष में हैं, कोई विरोध में खड़ा है। आप समर्थन करते हैं या विरोध?

-कामन सिविल कोड का स्वरूप क्या होगा? पहले उसे सामने लाना चाहिए। जब उसका हर बिंदू सामने आएगा तभी मैं कुछ बोलने की स्थिति में होउंगा। बिन कुछ जाने-समझे मैं कोई बयान नहीं दे सकता।

प्र. कश्मीर में हिंदुओं को चिह्नित करके मारा जा रहा है। क्या सरकार की नीति कश्मीर पर विफल हो गई?

-हिंदुओं को चिह्नित करके मारना बड़ी साजिश है। इससे निपटने के साथ सरकार को उचित कदम उठाना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि हिंदुओं को पर्याप्त सुरक्षा दिलाई जाए। साथ ही सेवानिवृत्त पुलिस, प्रशासन व अन्य क्षेत्रों के ईमानदार व कर्तव्य निष्ठ अधिकारियों की मदद ली जाए। ऐसा करने से समस्या को जड़ से खत्म करने में सहायता मिलेगी। साथ ही पलायन कर चुके हिंदुओं काे पुन: बसाने की दिशा में तेजी से काम शुरू करना होगा।

प्र. अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण चल रहा है, उसकी प्रगति से संतुष्ट हैं?

-श्रीराम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण सुखद है। नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्रित्व काल में रामालय ट्रस्ट बना था। ट्रस्ट ने मंदिर से कुछ दूरी पर मस्जिद बनाने का प्रस्ताव था। वैष्णव संतों, शंकराचार्यों उसमें हस्ताक्षर कर दिया था, लेकिन मैंने नहीं किया। इसी कारण वो प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ा। अगर मैं हस्ताक्षर कर देता तो मस्जिद भी पास में बन गई होती तो भविष्य में पुन: विवाद खड़ा हो जाता। आज वैसी स्थिति नहीं है।

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