आर्थिक तंगी से परेशान रिटायर्ड एयरफोर्स कर्मी ने फांसी लगाकर दी जान Prayagraj News
रिटायर्ड एयरफोर्स कर्मी ने होटल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया। सुसाइड नोट में आर्थिक तंगी को कारण बताया है।
By Edited By: Updated: Mon, 09 Sep 2019 08:43 AM (IST)
प्रयागराज, जेएनएन। आर्थिक तंगी से परेशान रिटायर्ड एयरफोर्स कर्मी बिजन दास (55) पुत्र चितरंजन दास ने फांसी लगाकर जान दे दी। होटल प्रयाग के एक कमरे में उनकी लाश मिली। सुसाइड नोट में बिजन दास ने देश में मंदी के लिए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के भ्रष्टाचार को जिम्मेदार बताया है। अपने गायक बेटे विवेक के लिए प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी से मदद की गुहार लगाई है। साथ ही जिला प्रशासन से आग्रह किया कि उसके शव को प्रयागराज में ही दफना दिया जाए।
असम के रहने वाले थे बिजन दास
खुल्दाबाद पुलिस परिजनों को खबर देकर मामले की जांच कर रही है। बिजन दास, असम के दरांग जिले के मंगलदाई थाना क्षेत्र के एचकेबी रोड शांतिपुर के निवासी थे। छह सितंबर को वह इलाहाबाद जंक्शन पहुंचे। दोपहर डेढ़ बजे खुल्दाबाद थाने के बगल स्थित होटल प्रयाग में 214 नंबर कमरे में ठहरे। सफाई कर्मी पहुंचा तो दरवाजा नहीं खुला। 10 बजे चाय और साढ़े 11 बजे नाश्ते वाला पहुंचा, तब भी दरवाजा नहीं खुला तो पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने दरवाजा तोड़ा तो बिजन दास का शव पंखे के चुल्ले में नायलॉन की रस्सी के फंदे से लटका मिला।
होटल के कमरे में शराब की शीशी भी मिली
कमरे से शराब की खाली शीशी, चिप्स का पैकेट, सिगरेट और मोबाइल मिला। टेबल पर पांच पेज का अंग्रेजी में लिखा सुसाइड नोट भी मिला। इंस्पेक्टर खुल्दाबाद रोशन लाल का कहना है आत्महत्या का कारण परिवार की खराब आर्थिक स्थिति है। घरवालों के आने पर ही पता चल सकेगा वह यहां क्यों आए थे।
प्रधानमंत्री को संबोधित सुसाइड नोट लिखा
प्रधानमंत्री को संबोधित सुसाइड नोट में यह लिखा आर्थिक कुप्रबंधन होने पर उसका प्रभाव तात्कालिक नहीं, बल्कि कुछ साल बात होता है। ऐसे में मोदी सरकार को ही अकेले आर्थिक मंदी के लिए दोषी ठहराना गलत है। नोटबंदी और जीएसटी का अस्थाई प्रभाव रहा होगा, लेकिन इस वजह से आर्थिक मंदी नहीं आई। कोयला, टूजी स्प्रेक्ट्रम समेत कई घोटालों के जरिए करोड़ों रुपये का गोलमाल हुआ। इसमें किसी को दोषी ठहराया नहीं गया है, जबकि सबको पता है कि बड़ा घोटाला हुआ है। पी चिदंबरम ने खुद स्वीकार किया है कि गिरफ्तारी से पहले दो बड़े वकीलों के साथ कोर्ट में पैरवी के लिए तैयारी कर रहे थे। मेरी समझ में यह नहीं आता कि जब वह इतने बेदाग और पाक-साफ हैं तो वह नामचीन वकीलों के साथ परामर्श क्यों लेते रहे? इससे साफ है कि वह भी भ्रष्टाचार के भागीदार हैं। वह कितना भागीदार हैं यह जांच का विषय है। जब भी चिदंबरम को मौका मिलता तो मौजूदा सरकार को दोषी ठहराने से बाज नहीं आते। पूर्व में हुए भ्रष्टाचार के दूरगामी दुष्प्रभाव होंगे।
...मोदी जी भरोसा करिए लेकिन मैं लाचार हूं
सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि मोदी जी भरोसा करिए, मैं कभी आत्महत्या नहीं करना चाहता था लेकिन मैं लाचार हूं। सबको खुश रखना मेरे लिए संभव नहीं हो पा रहा है। मैंने अपने बेटे के साथ भी अन्याय किया है। मैं उसे अच्छा बचपन नहीं दे पाया और घर भी नहीं बना पाया। अब मैं न अपने देश के लिए किसी काम का हूं और न परिवार के लिए। मेरा बेटा विवेक अच्छा गायक है। 2010 में वह सारेगामापा के लिटिल चैंप में शामिल हुआ, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसे स्टेज पर नहीं ले जा सका। कृपया मेरे बेटे की मदद करिए। मुझे पता है कि आपके सामने तमाम चुनौतियां हैं लेकिन तब भी आप उसकी मदद करिए। मेरी शारीरिक स्थिति भी ठीक नहीं है। इसीलिए मैं अपनी इहलीला समाप्त कर रहा हूं कि शायद आपसे मेरे बेटे को कोई सहायता मिल जाए।
...मेरे शव को यहीं दफना दिया जाए
बिजन दास ने सुसाइड नोट में लिखा है कि मैं जिला प्रशासन से गुजारिश करता हूं कि मेरे शव को यहीं दफना दिया जाए। मेरे परिवार या मेरे बेटे को नहीं बुलाया जाए। मैं नहीं चाहता कि मेरा बेटा शव देखे। मैंने 1500 रुपये रखे हैं, जो मेरे शव का अंतिम संस्कार करने वाले को दे दिया जाए। मेरे पास और पैसा नहीं है। असुविधा के लिए खेद है।
असम के रहने वाले थे बिजन दास
खुल्दाबाद पुलिस परिजनों को खबर देकर मामले की जांच कर रही है। बिजन दास, असम के दरांग जिले के मंगलदाई थाना क्षेत्र के एचकेबी रोड शांतिपुर के निवासी थे। छह सितंबर को वह इलाहाबाद जंक्शन पहुंचे। दोपहर डेढ़ बजे खुल्दाबाद थाने के बगल स्थित होटल प्रयाग में 214 नंबर कमरे में ठहरे। सफाई कर्मी पहुंचा तो दरवाजा नहीं खुला। 10 बजे चाय और साढ़े 11 बजे नाश्ते वाला पहुंचा, तब भी दरवाजा नहीं खुला तो पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने दरवाजा तोड़ा तो बिजन दास का शव पंखे के चुल्ले में नायलॉन की रस्सी के फंदे से लटका मिला।
होटल के कमरे में शराब की शीशी भी मिली
कमरे से शराब की खाली शीशी, चिप्स का पैकेट, सिगरेट और मोबाइल मिला। टेबल पर पांच पेज का अंग्रेजी में लिखा सुसाइड नोट भी मिला। इंस्पेक्टर खुल्दाबाद रोशन लाल का कहना है आत्महत्या का कारण परिवार की खराब आर्थिक स्थिति है। घरवालों के आने पर ही पता चल सकेगा वह यहां क्यों आए थे।
प्रधानमंत्री को संबोधित सुसाइड नोट लिखा
प्रधानमंत्री को संबोधित सुसाइड नोट में यह लिखा आर्थिक कुप्रबंधन होने पर उसका प्रभाव तात्कालिक नहीं, बल्कि कुछ साल बात होता है। ऐसे में मोदी सरकार को ही अकेले आर्थिक मंदी के लिए दोषी ठहराना गलत है। नोटबंदी और जीएसटी का अस्थाई प्रभाव रहा होगा, लेकिन इस वजह से आर्थिक मंदी नहीं आई। कोयला, टूजी स्प्रेक्ट्रम समेत कई घोटालों के जरिए करोड़ों रुपये का गोलमाल हुआ। इसमें किसी को दोषी ठहराया नहीं गया है, जबकि सबको पता है कि बड़ा घोटाला हुआ है। पी चिदंबरम ने खुद स्वीकार किया है कि गिरफ्तारी से पहले दो बड़े वकीलों के साथ कोर्ट में पैरवी के लिए तैयारी कर रहे थे। मेरी समझ में यह नहीं आता कि जब वह इतने बेदाग और पाक-साफ हैं तो वह नामचीन वकीलों के साथ परामर्श क्यों लेते रहे? इससे साफ है कि वह भी भ्रष्टाचार के भागीदार हैं। वह कितना भागीदार हैं यह जांच का विषय है। जब भी चिदंबरम को मौका मिलता तो मौजूदा सरकार को दोषी ठहराने से बाज नहीं आते। पूर्व में हुए भ्रष्टाचार के दूरगामी दुष्प्रभाव होंगे।
...मोदी जी भरोसा करिए लेकिन मैं लाचार हूं
सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि मोदी जी भरोसा करिए, मैं कभी आत्महत्या नहीं करना चाहता था लेकिन मैं लाचार हूं। सबको खुश रखना मेरे लिए संभव नहीं हो पा रहा है। मैंने अपने बेटे के साथ भी अन्याय किया है। मैं उसे अच्छा बचपन नहीं दे पाया और घर भी नहीं बना पाया। अब मैं न अपने देश के लिए किसी काम का हूं और न परिवार के लिए। मेरा बेटा विवेक अच्छा गायक है। 2010 में वह सारेगामापा के लिटिल चैंप में शामिल हुआ, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसे स्टेज पर नहीं ले जा सका। कृपया मेरे बेटे की मदद करिए। मुझे पता है कि आपके सामने तमाम चुनौतियां हैं लेकिन तब भी आप उसकी मदद करिए। मेरी शारीरिक स्थिति भी ठीक नहीं है। इसीलिए मैं अपनी इहलीला समाप्त कर रहा हूं कि शायद आपसे मेरे बेटे को कोई सहायता मिल जाए।
...मेरे शव को यहीं दफना दिया जाए
बिजन दास ने सुसाइड नोट में लिखा है कि मैं जिला प्रशासन से गुजारिश करता हूं कि मेरे शव को यहीं दफना दिया जाए। मेरे परिवार या मेरे बेटे को नहीं बुलाया जाए। मैं नहीं चाहता कि मेरा बेटा शव देखे। मैंने 1500 रुपये रखे हैं, जो मेरे शव का अंतिम संस्कार करने वाले को दे दिया जाए। मेरे पास और पैसा नहीं है। असुविधा के लिए खेद है।
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