Prayagraj Kumbh: साधु-संतों के शिविरों का बदल गया स्वरूप, देखते रह जाएंगे आप
Prayagraj Kumbh मेले में इस बार साधु-संतों के शिविर बांस-बल्लियों पर नहीं, लोहे के एंगल पर तैयार किए गए हैं। इसके लिए क्रेन की मदद ली गई है।
प्रयागराज। Prayagraj Kumbh इस बार के कुंभ मेले में साधु-संतों के शिविरों का भी स्वरूप बदल गया है। शिविरों में जिन पंडालों को पहले बांस-बल्ली के सहारे खड़ा किया जाता था, वहीं इस बार लोहे के भारी-भरकम एंगलों से पंडाल तैयार गए हैं। इन पंडालों को तैयार करने के लिए क्रेन की मदद ली गई।
सेक्टर 16 में अखाड़ों के शिविरों के साथ सेक्टर नौ से 15 तक तथा अरैल में सेक्टर 19 एवं 20 में जगह-जगह साधु-संतों के शिविर तैयार किए गए हैं। इन शिविरों में ज्यादातर में इस बार लोहे के एंगलों से बड़े-बड़े हॉलनुमा पंडाल तैयार कराए गए हैं। ऊपर से वाटरप्रूफ इन भारी-भरकम पंडालों के भीतर साधु-संतों के रहने के लिए लकड़ी, प्लाई की मदद से अलग-अलग कमरे, कुटिया का भी निर्माण किया गया है।
शिविरों में रामलीला के पंडाल भी
कई शिविरों में धर्म सभा, कथा, प्रवचन, रामलीला आदि के लिए भी इसी तरह के पंडाल बनाए गए हैं, जबकि इसके पहले के कुंभ मेलों में साधु-संतों के पंडाल बांस-बल्लियों से तैयार होते थे। पंडालों को तैयार करने में बड़ी संख्या में मजदूर भी लगाए जाते थे, जो दिन-रात काम करके पंडाल तैयार करते थे, लेकिन इस बार मजदूर कम और ज्यादातर लोहे के एंगल वाले पंडाल क्रेन की मदद से तैयार हुए हैं।
निरंजनी और आनंद अखाड़े के शिविर में धर्मध्वजा पूजन
श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी एवं श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा के शिविर में दिसंबर के आखिरी हफ्ते में ही धर्मध्वजा पूजन हुआ। निरंजनी अखाड़े में महंत नरेंद्र गिरि तथा उप महंतों की मौजदूगी में श्रीमहंत राधे गिरि एवं श्रीमहंत मनीष भारती ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच विधि-विधान से पूजन किया। इस दौरान 52 हाथ लंबी धर्मध्वजा लगाई गई।
इसी तरह आनंद अखाड़े में धर्मध्वजा लगाने के पहले विधि विधान से पूजन-अर्चन किया गया। इस मौके पर श्रीमहंत आशीष गिरि, श्रीमहंत राजेश्वर बल, श्रीमहंत प्रकाश गिरि, श्रीमहंत राजरतन गिरि, श्रीमहंत ओंकार गिरि, श्रीमहंत नरेश गिरि, श्रीमहंत राधेश्यामपुरी, श्रीमहंत राकेश गिरि, श्रीमहंत केशवपुरी, श्रीमहंत अम्बिकापुरी आदि संत-महात्मा मौजूद थे।