SDM Jyoti Maurya: ‘बेटी पढ़ाओ-बीवी नहीं’ कहानी में आधी हकीकत आधा फसाना, पति-पत्नी के बीच कौन है तीसरा शख्स?
एसडीएम ज्योति मौर्या… यह एक ऐसा नाम है जो न केवल लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है बल्कि इस नाम से जुड़े प्रकरण के कारण इसका असर लोगाें पर भी दिखने लगा है। जिस किसी के पास भी इस प्रकरण की थोड़ी सी भी जानकारी जिस भी रूप में पहुंच रही है वे उसी समझ के साथ सोशल मीडिया पर भला बुरा कहने से नहीं चूक रहे।
By Shivam YadavEdited By: Shivam YadavUpdated: Sat, 08 Jul 2023 07:03 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क: एसडीएम ज्योति मौर्या… यह एक ऐसा नाम है जो न केवल लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है, बल्कि इस नाम से जुड़े प्रकरण के कारण इसका असर भी लोगाें पर दिखने लगा है। जिस किसी के पास भी इस प्रकरण की थोड़ी सी भी जानकारी जिस भी रूप में पहुंच रही है, वे उसी समझ के साथ सोशल मीडिया पर भला बुरा कहने से नहीं चूक रहे। कुछ लोग ज्योति मौर्या को गलत बता रहे हैं तो वहीं कुछ लोग उनके पति आलोक को गलत बता रहे हैं। हालांकि, इस मामले में बिना सच्चाई जानें कुछ भी राय बनाना या टिप्पणी करना उचित नहीं है।
SDM ज्योति मौर्या का विवाद क्या है?
वाराणसी की रहने वाली ज्योति मौर्या इस समय बरेली की चीनी मिल में जनरल मैनेजर के पद पर तैनात हैं। ज्योति मौर्या के पति आलोक मौर्या ने उन पर तलाक लेने का दबाव और जान से मारने की धमकी, हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है। पति आलोक ने ज्योति पर अवैध संबंध के भी आरोप लगाए हैं। आलोक का आरोप है कि उनकी पत्नी ज्योति का गाजियाबाद में तैनात जिला कमांडेंट होमगार्ड मनीष दुबे के साथ अफेयर है। आलोक ने इस मामले में प्रयागराज के धूमनगंज थाने और होमगार्ड मुख्यालय में भी तहरीर दी है।
कहां से निकली ‘बेटी पढ़ाओ-बीवी नहीं’ की बात?
ज्योति मौर्या और आलोक मौर्या की शादी साल 2010 में हुई थी। इन दोनों की शादी का कार्ड भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। कार्ड में आलोक के नाम के साथ ग्राम विकास अधिकारी और ज्योति के नाम के साथ अध्यापिका लिखा है। आलोक माैर्या का दावा है कि शादी के बाद उसने ज्योति को पढ़ाया और जब वह एसडीएम बन गई तो उसका साथ छोड़ रही हैं। आलोक के इन दावे जब सोशल मीडिया पर वायरल हुए तो लोगों ने मामले को ‘बेटी पढ़ाओ-बीवी नहीं’ का टाइटल दे दिया।वहीं, ज्योति मौर्या ने भी प्रत्यारोप में कहा है कि आलोक ने धोखे में रखकर उसके साथ शादी की थी, वह ग्राम विकास अधिकारी नहीं थे, बल्कि एक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं।
ज्योति मौर्या कब बनी एसडीएम?
साल 2015 में ज्योति मौर्या का सिलेक्शन यूपी पीसीएस की परीक्षा में हुआ। उसके बाद उनकी तैनाती कौशांबी, प्रयागराज, जौनपुर, प्रतापगढ़ और लखनऊ मेंरही है। यह विवाद सामने आने के बाद उनको इस समय बरेली की चीनी में प्रबंधक का जिम्मा दिया गया है। बता दें कि अलोक और ज्योति की दो जुड़वा बेटियां हैं, जो फिलहाल, ज्योति के साथ ही रह रही हैं।
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