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सनातनी वैभव के साथ निकली श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की पेशवाई, उमड़े संत-महात्मा

श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की पेशवाई मंगलवार को निकली। इसमें शामिल साधु और संतों के साथ ध्वजा-पताका पेशवाई की भव्यता बढ़ा रहे थे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Updated: Tue, 01 Jan 2019 06:48 PM (IST)
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सनातनी वैभव के साथ निकली श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की पेशवाई, उमड़े संत-महात्मा
प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज कुंभ मेला के तहत श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की भव्य पेशवाई मंगलवार की सुबह निकली। पेशवाई में श्रद्धा, परंपरा और वैभव का समावेश दिखा। इसमें साधु और संत शामिल रहे। जिन मार्गों से पेशवाई निकली, वहां के लोगों ने महात्माओं का नमन किया।

  श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की पेशवाई की शुरुआत बाघंबरी गद्दी के पास स्थित जमातबाग से हुई। पेशवाई में अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रवींद्र पुरी, श्रीमहंत रामसेवक गिरि, महामंडलेश्वर विशोकानंद, महामंडलेश्वर शिवचैतन्य, महामंडलेश्वर हरिहरानंद, स्वामी देवानंद सरस्वती, स्वामी गिरधर गिरि, स्वामी विद्या गिरि, स्वामी ईश्वरानंद, महंत जमुना पुरी, महंत वासुदेव गिरि,  महंत कैलाश भारती, महंत रमेश गिरि आदि संतों ने किया। महात्मा दही व मिष्ठान ग्रहण करके ध्वजा-पताका, घोड़ा, हाथी, ऊंट, प्राचीन अस्त्र-शस्त्र के साथ पेशवाई में शामिल रहे।

 
महात्‍माओं को नमन करने जुटे लोग
श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी अखाड़ा की पेशवाई में समग्रता दिखी। शंख का कर्णप्रिय उद्घोष, डमरू की डमक, बैंडबाजा का मधुर गान था। ध्वज-पताका की अद्भुत छटा और नागा संन्यासियों के दिव्य स्वरूप का दर्शन पाकर निहाल रहे नर-नारी। भक्तिभाव में डूबे नर-नारी व बच्चों ने हर-हर महादेव का उद्घोष कर संतों का आशीष लिया। परंपरागत तरीके से भव्यता से निकली पेशवाई में महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत व महंतों के दर्शन को सड़कों के किनारे जनसैलाब उमड़ पड़ा। सनातन एवं भारतीय संस्कृति की आकर्षक छटा का हिस्सा बनकर भारतीय के साथ विदेशी श्रद्धालु भी भावविभोर नजर आए।

नागा संन्‍यासियों ने दिखाया करतब

बाघंबरी रोड स्थित जमातबाग में मंगलवार की सुबह नागा संन्यासियों ने करतब दिखाया। आराध्य कपिलमुनि की प्रतिमा चांदी की पालकी में विराजमान करके पेशवाई निकाली गई। कपिलमुनि के चित्रों वाली अखाड़ा की विशाल ध्वजा सबसे आगे चल रही थी, उसके पीछे करतब दिखाते नागा संन्यासी थे। चांदी के सिंहासन, रत्नजडि़त छत्र-चंवर धारण करके अखाड़ा के आचार्य पीठाधीश्वर विशोकानंद भारती सबसे आगे चल रहे थे। इनके पीछे विश्वगुरु महामंडलेश्वर महेश्वरानंद विदेशी श्रद्धालुओं के साथ सबको आशीष देते हुए चल रहे थे। काशी से आए दर्जनभर डमरू वादकों ने माहौल शिवमय बना दिया।
 
दारागंज स्थित अखाड़ा मुख्‍यालय पर हुआ पूजन
बक्शीबांध होते हुए पेशवाई दारागंज स्थित अखाड़ा मुख्यालय पहुंची। नागा संन्यासियों ने अंदर प्रवेश करके अखाड़ा के आराध्य भैरव प्रकाश व सूर्य प्रकाश (भाला) का विधिवत पूजन किया। फिर उन्हें लेकर आगे-आगे चलने लगे। दारागंज, त्रिवेणी बांध होते हुए पेशवाई सेक्टर 16 स्थित अखाड़ा के शिविर पहुंची। वहां धर्मध्वजा के पास भैरव प्रकाश व सूर्य प्रकाश के साथ आराध्य की पालकी स्थापित करके पूजन हुआ। इसके बाद महात्मा अपना शिविर दुरुस्त करने में जुट गए।

भारतीय रंग में रंगे रहे विदेशी
श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की पेशवाई में शामिल होने आयीं यूरोप के स्लोवानिया निवासी नारंगी देवी की वेषभूषा कुछ ऐसी ही थी। नारंगी देवी नाम उनके गुरु विश्वगुरु महामंडलेश्वर महेश्वानंद ने दिया है। वह पुराना नाम बताना उचित नहीं समझती। कहती हैं वह पूरी तरह से सनातनी रंग में रंग चुकी हैं, अतीत में क्या थी वह बताना उचित नहीं समझती हूं। नारंगी देवी की तरह विदेशों से कई व्यक्ति कुंभ का हिस्सा बनने प्रयाग आए हैं। संस्कार, अनुशासन और भक्तिभाव से ओतप्रोत होकर वह गुरु महेश्वरानंद के रथ के चारों ओर चल रहे थे। इन्हीं भक्तों में इंग्लैंड निवासी राधा भी हैं। वह पहली बार प्रयाग आयी हैं। यहां आकर भारतीय रंग में रंगी नजर आयी। खुशी का इजहार करते हुए कहती हैं इंडियन कल्चर इज ग्रेट...।
 

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