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Prayagraj: पितृपक्ष में अनूठी पहल, भ्रूण हत्या की शिकार कन्‍याओं का पिंडदान, अभिशाप रोकने का संकल्प

पितृपक्ष में देश के कोने-कोने से से लोग प्रयागराज के संगम तट पर पितरों के तर्पण और पिंडदान के लिए आ रहे हैं। वहीं अरैल तट पर भापजा के अल्पसंख्या प्रकोष्ठ के सदस्यों ने अनूठी पहल की है। उन्होंने भ्रूण हत्या की शिकार बनीं बेटियों का पिंडदान किया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Updated: Fri, 23 Sep 2022 07:46 AM (IST)
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प्रयागराज के गंगा घाट पर पितृ पक्ष में भ्रूणहत्या की शिकार कन्‍याओं को श्रद्धांजलि दी।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। यूं तो पितृपक्ष में लोग अपने बाबा, दादा, पिता, नाना, नानी, दादी आदि का तर्पण करते हैं। दूसरों का तर्पण कर संगम नगरी प्रयागराज में कुछ लोगों ने अनूठी पहल की है। भ्रूणहत्‍या की शिकार बनीं कन्‍याओं के मोक्ष के लिए अरैल तट पर श्राद्ध और तर्पण किया गया। वहां मौजूद लोगों ने यह भी संकल्प लिया कि भ्रूणहत्‍या की घटनाओं को रोकेंगे।

ईश्‍वर से प्रार्थना की, उन्‍हें सद्गति मिले : पितृपक्ष में देश के कोने-कोने से से लोग गंगा, यमुना के संगम तट पर पितरों के तर्पण और पिंडदान के लिए आ रहे हैं। वहीं अरैल तट पर भापजा के अल्पसंख्या प्रकोष्ठ के सदस्य सरदार पतविंदर सिंह ने अनूठी पहल की है। उन्होंने भ्रूण हत्या की शिकार बनीं बेटियों का पिंडदान अपने सहयोगी शिव प्रकाश उपाध्याय, नन्हे त्रिवेदी, संतोष कुमार मिश्रा, चुन्ना यादव, पंकज दीक्षित, रुदल प्रसाद श्रीवास्तव, पवन सिंह आदि के साथ किया। ईश्वर से प्रार्थना की कि जो बेटियां गर्भ में ही मार दी गईं उन्हें सद्गगति मिले।

सरदार पतविंदर सिंह बाेले- पिंडदान भ्रूणहत्‍या रोकने का संदेश है : सरदार पतविंदर सिंह ने कहा कि लोग अपने पितरों का पिंडदान करते हैं पर यह भूल जाते है कि जो बेटियां दुनिया में नहीं आ सकीं, उन्हें पहले ही मार दिया गया, वे भी तो उन्हीं का हिस्सा थीं। उन्हें याद करते हुए पिंडदान कर रहे हैं। समाज को यह संदेश भी दे रहे हैं कि भ्रूणहत्‍या महापाप है। इसे रोकना होगा। एक तरफ हम 'बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ' की मुहीम चला रहे, दूसरी तरफ उनकी अनदेखी भी हो रही है।

अजन्मी बेटियों के लिए तर्पण कर मन को शांति मिली : चुन्ना यादव, पंकज दीक्षित ने कहा कि अजन्‍मी बच्चियों के लिए श्राद्ध और तर्पण कर मन को शांति मिली है। हम सब को अफसोस है कि भ्रूण हत्या को रोक नहीं पा रहे हैं लेकिन हम सभी को इसके लिए प्रयास करना होगा। भेदभाव को समाप्त करना होगा। संस्कारित होने, मूल्यों को पहचानेंगे तभी इस दिशा में हम बेहतर कर सकेंगे। हम सब को नए भारत में रूढ़िवादी सोच काे छोड़ना पड़ेगा। यह विकृत मानसिकता हमें हमारा ही दुश्मन बना रही है। आखिर क्यों हम यह नहीं सोचते कि जो भ्रूण हत्या हुई वह सिर्फ इसलिए कि कन्या थी। बेटियां चांद पर जा रही हैं। वह जहाज उठा रही हैं फिर भी कन्या होना उनके लिए अपराध बन रहा है, क्यों?

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