Tej Bahadur Sapru, इन्होंने प्रयागराज के नैनी कारागार में बंद स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के लिए चलवाई थी विशेष रेलगाड़ी
तेजबहादुर सप्रू अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विधिवेत्ता नेशनल लिबरल फेडरेशन के नेता तथा तीन दशकों तक हाईकोर्ट बार के नेता थे। तेजबहादुर सप्रू और उनके मित्र जयकर ने अंग्रेजों से बातचीत शुरू करने और गतिरोध समाप्त करने के लिए यरवदा और नैनी जेल के बीच काफी भाग दौड़ की थी।
By Brijesh SrivastavaEdited By: Updated: Fri, 05 Mar 2021 09:03 AM (IST)
प्रयागराज, जेएनएन। आजादी के आंदोलन में प्रयागराज की अलग-अलग विभूतियोंं ने अपने तरीके से योगदान दिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट में उस समय के नामचीन वकीलों ने क्रांतिवीरों की पैरवी करके उन्हें अंग्रेजों के चुंगल से छुड़ाया था। अंग्रेज हुकूमत में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को एक मेज पर वार्ता के लिए बैठाने का काम किया था। इन्हीं में इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक प्रभावशाली वकील थे तेजबहादुर सप्रू। उन्होंने यरवदा जेल में बंद महात्मा गांधी से नैनी कारागार में बंद नेहरू से एक मसले पर बातचीत के लिए विशेष रेलगाड़ी चलवाई थी। इस ट्रेन में कई सेनानी गए थे।
सप्रू ने लिया था गोलमेज सम्मेलन में भागइलाहाबाद हाईकोर्ट में अपर स्थाई अधिवक्ता रहे विजय शंकर मिश्र बताते हैं कि सर तेजबहादुर सप्रू अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विधिवेत्ता, नेशनल लिबरल फेडरेशन के नेता तथा तीन दशकों तक हाईकोर्ट बार के नेता थे। उन्होंने गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया था। वे स्वतंत्रता आंदोलन तथा संवैधानिक विकास में कहीं प्रत्यक्ष तो कहीं अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए थे। उन्होंने वकालत शुरू करने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। अपने परिश्रम, बुद्धिकौशल तथा कानून के ज्ञान के कारण उनकी गणना भारत के शीर्ष वकीलों में होती थी।
सविनय अवज्ञा आंदोलन में गतिरोध समाप्त करने का किया था प्रयासविजय शंकर बताते हैं कि 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान सर तेजबहादुर सप्रू और उनके मित्र जयकर ने अंग्रेजों से बातचीत शुरू करने और गतिरोध समाप्त करने के लिए यरवदा और नैनी जेल के बीच काफी भाग दौड़ की थी। 23-24 जुलाई 1930 को वे यरवदा जेल में महात्मा गांधी से मिले और 27-28 जुुलाई 1930 को नैनी सेंट्रल जेल मेंं मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू से भेंट की। उन्हीं के प्रयास से 13 अगस्त 1930 को विशेष रेलगाड़ी से मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू तथा अन्य को नैनी जेल से वार्ता के लिए यरवदा जेल ले जाया गया था।
महात्मा गांधी से नहीं मिलते थे विचारअधिवक्ता विजय शंकर मिश्र बताते हैं कि तेजबहादुर सप्रू के विचार महात्मा गांधी से नहीं मिलते थे। उनका रहस्यवाद तथा आध्यात्मिकता, कठोर बुद्धिवादी सोच वाले सप्रू को समझ में नहीं आती थी। पर बाद में वे गांधी की वैयक्तिक महानता और सांप्रदायिक सदभावना के लिए किए गए प्रयासों के कारण उनके मुरीद हो गए।
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