गंगा समग्र के कार्यों ने दिखाई स्वच्छ भारत की तस्वीर Prayagraj News
गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए गंगा समग्र का गठन 2011 में हुआ था। पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की टीम तैयार कर गंगा किनारे के गांव उसकी भौगोलिक स्थिति की जानकारी जुटाई गई। टीम ने वहां वह कारण तलाशे जिनकी वजह से गंगा मैली हो रही है।
By Rajneesh MishraEdited By: Updated: Sat, 20 Feb 2021 07:22 PM (IST)
प्रयागराज, जेएनएन। तीन नदियों के पवित्र संगम पर शनिवार को एक और अनूठा संगम हुआ। यह था 12 प्रांतों से आए गंगा समग्र के कार्यकर्ताओं का। अलग-अलग स्थानों से होने के कारण उनकी बोली, भाषा और कार्य तो भिन्न रहे, लेकिन लक्ष्य सबका एक है गंगा का अविरल और निर्मल प्रवाह। इसके लिए वह अपने क्षेत्र में काम कर रहे हैैं। क्षेत्र के कार्यों का विवरण प्रांतीय पदाधिकारियों ने बारी-बारी से संघ प्रमुख मोहन भागवत के समक्ष रखा।
गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए 2011 में हुआ था गंगा समग्र का गठन
गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए गंगा समग्र का गठन 2011 में हुआ था। पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की टीम तैयार कर गंगा किनारे के गांव, उसकी भौगोलिक स्थिति की जानकारी जुटाई गई। टीम ने वहां वह कारण तलाशे, जिनकी वजह से गंगा मैली हो रही है। इसका पूरा विवरण गंगा समग्र के 12 प्रातों के पदाधिकारियों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक के समक्ष प्रस्तुत किया। इसमें दिल्ली को 13वें प्रांत के रूप में केंद्रीय टीम की सहमति शामिल किया गया। इन पदाधिकारियों ने अपना परिचय देने के साथ अपने दायित्व वाले प्रांत, उसमें कुल जिले, कुल ब्लाक, कुल गांव, कुल नाले (टैप-अनटैप), कितने श्मशान घाट, कितने स्थानों पर स्वास्थ्य शिविर, कितने स्थानों पर पौधारोपण, कितने गांवों तक अब तक संपर्क आदि का ब्योरा प्रस्तुत किया।
भौगोलिक जानकारी के साथ प्रांतीय पदाधिकारियों ने प्रस्तुत किए आंकड़े प्रांतीय पदाधिकारी जिस तरह से भौगोलिक जानकारी के साथ आंकड़े प्रस्तुत कर रहे थे, उससे परिलक्षित हो रहा था कि उन्होंने निचले स्तर जाकर कड़ी मेहनत से एक-एक जानकारी जुटाई है। हां, उनके दिए गए विवरण के मुताबिक अभी काम कम हुआ है और करना ज्यादा है, लेकिन उनके संकल्प श्रीराम मंदिर निर्माण होने की तरह अडिग थे। इसे उन्होंने बातचीत में बयां भी किया।
ये हैैं गंगा समग्र प्रांतउत्तराखंड, मेरठ, ब्रज, कानपुर, अवध, काशी, गोरक्ष, दक्षिण बिहार, उत्तर बिहार, झारखंड, उत्तर पश्चिम बंगाल, दक्षिण पश्चिम बंगाल।
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