हाल पीडीए में लापरवाही का, एक प्लाट की कर दी दो रजिस्ट्री, 17 साल बाद भी कब्जा नहीं
एयरफोर्स में तैनात रहमान ने वर्ष 2002 में देव प्रयागम आवास योजना फेज टू में 60 स्क्वायर मीटर का प्लाट लिया था। उन्हें प्लाट नंबर 296 आवंटित हुआ। बाद में उनका स्थानांतरण अमृतसर उसके बाद दिल्ली हो गया। इस दौरान वह लगातार पत्राचार करते रहे।
By Ankur TripathiEdited By: Updated: Wed, 18 Aug 2021 06:15 PM (IST)
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) में जमीन आवंटन से जुड़े कई मामलों से लंबित है। मंगलवार को मामलों के निस्तारण के लिए कैंप लगाया गया तो कई लोगों ने अपनी समस्या बताई। इसी दौरान एक मामला ट्रांसपोर्ट नगर का आया। वहां पर एक प्लाट की रजिस्ट्री दो लोगों को कर दी गई। इसमें से एक को प्लाट नहीं मिला और वह 17 साल से पीडीए के चक्कर लगा रहे हैं। आज भी उन्हें संतोषजनक उत्तर नहीं मिला।
17 साल से लगा रहे हैं चक्कर भुसौली टोला निवासी प्रदीप कुमार ने बताया कि उनके पिता गोविंद राय के नाम टीपी नगर आवास योजना में वर्ष 2004 में 27 वर्ग मीटर का भूखंड संख्या 75 आवंटित हुआ था। इसी भूखंड की रजिस्ट्री दो लोगों को कर दी गई थी। जिनकी रजिस्ट्री पहले हुई थी, उन्हें कब्जा दे दिया गया। उन्हें प्लाट नंबर 63 पर कब्जा दिया गया। हालांकि, आवंटी आया तो उसको भी खाली करना पड़ा। तब से प्लाट के लिए चक्कर लगा रहे हैं। कुछ दिनों पहले पिता का भी निधन हो गया। ऐसे ही कई मामले पीडीए वीसी के सामने आए। पीडीए वीसी अरविंद चौहान ने संबंधित जोनल अधिकारी को कहा कि सप्ताहभर में इसका निस्तारण किया जाए। अगर उस जगह प्लाट नहीं मिला तो दूसरी जगह दी जाए।
19 साल से नहीं मिला कब्जा एयरफोर्स में तैनात रहमान ने वर्ष 2002 में देव प्रयागम आवास योजना फेज टू में 60 स्क्वायर मीटर का प्लाट लिया था। उन्हें प्लाट नंबर 296 आवंटित हुआ। बाद में उनका स्थानांतरण अमृतसर उसके बाद दिल्ली हो गया। इस दौरान वह लगातार पत्राचार करते रहे। पटल सहायक से भी बात होती थी। बताया गया कि प्लाट पर अतिक्रमण है, जिसे हटवाकर कब्जा दिया जाएगा। आवेदन देने के बाद मंगलवार को लेखपाल के साथ प्लाट का निरीक्षण कराया गया। मौके पर अतिक्रमण मिला।
गलत नंबर कर दिया आवंटित टीपी नगर में रीता श्रीवास्तव के नाम 1994 में प्लाट नंबर 446 आवंटित हुआ। कब्जा 452 पर दिया गया। यह प्लाट बंशी लाल का था। उन्होंने अपना प्लाट बेच दिया था। रीता ने बताया कि उन्होंने मकान बनवा लिया था, लेकिन प्लाट नंबर गलत आवंटित कर दिया गया था। उसके संशोधन के लिए आवेदन दिया। एक सप्ताह में मामले के निस्तारण के लिए कहा गया है।
सहमति जताने के बाद भी नहीं मिला प्लाट उच्च न्यायालय के समीप के रहने वाले राजेश जोशी ने करीब तीन दशक पहले झलवा में प्लाट नंबर एक और दो लिए थे। उसकी रजिस्ट्री भी हो गई थी। विद्युत विभाग ने प्लाट में एचटी लाइन का टावर लगा दिया। 2017 में प्राधिकरण से पत्र गया, जिसमें दो प्लाटों के बारे में सहमति जताने का उल्लेख था। प्लाट नंबर 16 ए पर सहमति जताई, मगर प्लाट नहीं मिला। इसी प्रकार जंग बहादुर यादव और चंद्र प्रकाश ने टीपी नगर में क्रमश: 60 एवं 108 वर्ग मीटर का भूखंड 2016 में लिए थे। इन्हें भी कब्जा नहीं मिला। तुलसीपुर साउथ हाउसिंग स्कीम फेज-टू में दो सौ वर्ग गज जमीन के फ्री होल्ड के लिए असफाक अहमद 1996 से चक्कर काट रहे हैं। उन्होंने भी आवेदन दिए। अरविंद चड्ढा ने नक्शे में गड़बड़ी संबंधी आवेदन दिए। कैंप में जोनल अधिकारी शिवानी सिंह, अर्चना ओझा, नगर निगम के नजूल प्रभारी राजकुमार गुप्ता आदि शामिल थे।
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