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महाभारत काल से संबंधित लाक्षागृह में मिली सुरंग, कौतूहलवश लोगों की भीड़ Prayagraj News

महाभारत काल से संबंधित लाक्षागृह में एक सुरंग मिलने से लोगों में रोमांच और उत्‍सुकता बनी है। दूर-दूर से इसे देखने के लिए लोग आ रहे हैं। महाभारत काल से जुड़े यहां से कई अवशेष मिले हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Updated: Tue, 10 Sep 2019 01:52 PM (IST)
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महाभारत काल से संबंधित लाक्षागृह में मिली सुरंग, कौतूहलवश लोगों की भीड़ Prayagraj News
प्रयागराज, जेएनएन। शहर से करीब 40 किमी की दूरी पर स्थित हंडिया विकास खंड का लाक्षागृह गांव महाभारत काल की यादों को अपने में समेटे हुए है। यहां सोमवार को एक लंबी सुरंग दिखाई दी। इस सुरंग की जानकारी मिलने पर यहां स्थानीय लोगों को भीड़ लग गई। लोगों में उत्सुकता बनी रही थी कि आखिर यह सुरंग कहां से निकली है और कहां तक जाती है। मंगलवार को भी इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते रहे।

महाभारत काल के कई अवशेष लाक्षागृह से मिल चुका है, उपेक्षित है स्थल 

हंडिया के लाक्षागृह गंगा घाट पर किला कोट व टीला मौजूद है। बरसात के कारण टीला की मिट्टी ढह जाने के कारण सोमवार को करीब छह फीट चौड़ा सुरंग दिखाई देने लगी। क्षेत्र में सुरंग की बात चर्चा में आने पर ग्रामीण वहां पहुंचने लगे। लाक्षागृह पर्यटन स्थल विकास समिति के ओंकार नाथ त्रिपाठी ने इस संबंध में बताया कि महाभारत काल के समय के कई अवशेष यहां मिले हैं, जिसे संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है। केंद्र व राज्य सरकार से कई बार इसे पर्यटल स्थल बनाए जाने की मांग की जा चुकी है। कई नेताओं ने सहयोग भी दिया लेकिन कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला। वहीं उपेक्षित पड़े इस पौराणिक स्थल पर ध्यान न दिए जाने पर स्थानीय लोगों में आक्रोश भी है।

पौराणिक स्थल से जुड़े प्रकरण

 लाक्षागृह गांव भारत वर्श ही नही बरन पूरे विश्व मे पौराणिक स्थल से जाना जाता है। इतिहास कारों एवं महाभारत की कथाओं में हंडिया के लाक्षागृह गांव के बारे मे कई विद्वनों के मत हैं। बताते हैं कि कौरव-पांडवों के बीच मतभेदों के कारण दुर्योधन ने पांडवों को जलाकर मारने के लिए अपने राज मिस्त्री शिल्पकार त्रिलोचन द्वारा लाख का भवन का निर्माण कराया था। उसे पांडवों को भेट स्वरूप देने के बाद महल का दरवाजा बंद कर बाहर से आग लगाने की योजना बनाई गई थी।  हालांकि पांडवों के गुप्तचरों द्वारा जानकारी मिलने पर उन्होंने लाक्षागृह में निर्मित भवन में से परानीपुर गांव गंगा इस पास से उस पार तक सुरंग बना डाली थी। इसके बाद खुद आग लगाकर महल छोड़ कर माता कुंती और द्रोपदी के साथ उसी सुरंग द्वारा जान बचा कर निकल गए थे।

किला कोट व टीला यहां है मौजूद

पौराणिक कथाओं पर आधारित आज भी हंडिया के लाक्षागृह गंगा घाट पर किला कोट व टीला मौजूद है। बरसात के कारण टीला की मिट्टी ढह जाने के कारण  सोमवार को सुरंग दिखाई देने लगी है।  इसे देखने के लिए हजारों की भीड़ जुटी है।

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