उमेश पाल का पड़ोसी बना हत्याकांड का अहम मोहरा, कभी साथ में टेंपो चलाने वाले सजर ने किया विश्वासघात
साजिश की कड़ियां जोड़ते हुए पुलिस और एसओजी ने सूबेदारगंज के निकट अतीक गिरोह के पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। उनमें एक नाम मोहम्मद सजर तो उमेश पाल के परिवार और करीबियों के लिए चौंकाने वाला रहा।
By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaUpdated: Fri, 24 Mar 2023 09:00 AM (IST)
जागरण संवाददाता, प्रयागराज: उमेश पाल हत्याकांड में मंगलवार को पुलिस ने सूबेदारगंज के निकट पांच मददगारों को गिरफ्तार किया। इनमें जयंतीपुर सुलेमसराय का मोहम्मद सजर भी था। अब सजर के बारे में चौंकाने वाली बात यह है कि वह उमेश पाल का पड़ोसी है। कुछ ही दूरी पर उसका मकान है। हर दिन उमेश और उसका एक-दो बार सामना हो जाता था। बरसों पहले वह भी उमेश पाल की तरह टेंपो चलाता था।
किसी ने कल्पना नहीं की थी कि वह भी कत्ल में एक मोहरा हो सकता है लेकिन यही बात सच निकली है। अतीक और अशरफ ने साल 2005 में राजू पाल हत्याकांड के बाद दुश्मन बने उमेश पाल को हटाने के लिए साजिश रची और उसकी हत्या करके ही माने। बमुश्किल महीने भर में साजिश तैयार की और रेकी कराने के बाद 24 फरवरी की शाम सुलेमसराय में गोलियां और बम बरसाकर उमेश पाल के साथ ही दो गनर का भी कत्ल कर दिया।
सनसनीखेज हत्याकांड अब तक मीडिया में सुर्खियों में बना हुआ है। हत्याकांड में पुलिस दो अपराधियों को ढेर कर चुकी है, जबकि कई गिरफ्तार हुए हैं। साजिश की कड़ियां जोड़ते हुए पुलिस और एसओजी ने सूबेदारगंज के निकट अतीक गिरोह के पांच लोगों को गिरफ्तार किया। उनमें दो अतीक के घरेलू कर्मचारी और ड्राइवर हैं तो बाकी तीन अलग-अलग जगह के रहने वाले थे।
उनमें एक नाम मोहम्मद सजर तो उमेश पाल के परिवार और करीबियों के लिए चौंकाने वाला रहा। सजर का घर जयंतीपुर मोहल्ले में उमेश पाल के एकदम करीब है। वे एक-दूसरे को बचपन से जानते थे। उमेश पाल के बारे में बताया गया कि दो दशक पहले वह आटो चलाते थे, तब मोहम्मद सजर भी आटो चलाता था। इस वजह से भी रोज मिलना-जुलना होता था।
इधर, राजू पाल हत्याकांड के बाद उमेश ने सार्वजनिक तौर पर ज्यादा उठना-बैठना बंद कर दिया था। उमेश कोर्ट से घर और कहीं बहुत जरूरी काम से ही आते-जाते थे। उन्हें अतीक गैंग से जान का खतरा था और इस वजह से वह सजग भी रहते थे। इसके बावजूद सारी सजगता पड़ोसी सजर के विश्वासघात के आगे नाकाफी साबित हुई।
अब पता चला कि पान और किराने की दुकान पर खड़ा दिखने वाला सजर असल में उमेश की लोकेशन अतीक गैंग को बताता रहता था। उस आखिरी दिन भी सजर ने ही मुखबिरी करते हुए असद द्वारा दिए गए आइफोन पर अतीक, अशरफ और शूटरों को लोकेशन दी, जिसके बाद शूटआउट अंजाम दिया गया था। उसकी कारगुजारी से सभी स्तब्ध और आक्रोशित हैं। परिवार के लोग तो कहते हैं कि ऐसा पड़ोसी भगवान किसी को नहीं दे।
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