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NCZCC के शिल्प हाट में दीपावली मेले में उमड़े शहरी, लोक गीतों की धुन के साथ व्यंजनों का लाजवाब स्वाद

NCZCC का मुक्ताकाशी मंच मंगलवार शाम लोक गायकों की प्रस्तुतियों से नहा उठा। देशभक्ति से ओतप्रोत गीत और बिरहा गायन भी खूब रहा। उधर शिल्पहाट में शिल्प उत्पाद के स्टाल और खूशबू उड़ाते व्यंजनों का स्वाद चखने को भी लोग उतावले रहे।

By amardeep bhattEdited By: Ankur TripathiUpdated: Tue, 18 Oct 2022 08:56 PM (IST)
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एनसीजेडसीसी का मुक्ताकाशी मंच मंगलवार शाम लोक गायकों की प्रस्तुतियों से नहा उठा।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। एनसीजेडसीसी का मुक्ताकाशी मंच मंगलवार शाम लोक गायकों की प्रस्तुतियों से नहा उठा। देशभक्ति से ओतप्रोत गीत और बिरहा गायन भी खूब रहा। उधर शिल्पहाट में शिल्प उत्पाद के स्टाल और खूशबू उड़ाते व्यंजनों का स्वाद चखने को भी लोग उतावले रहे।

प्रयागराज और वाराणसी के कलाकारों ने प्रस्तुतियों से मन मोहा

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की शुरुआत प्रयागराज के रविशंकर एवं दल ने वाद्यवृंद वादन से की। उन्होंने शुरूआत राग चारू केसी पर आधारित राष्ट्रीय गीत 'ए मेरे प्यारे वतन' से की। इसके बाद 'माई तेरी चुनरी लहरायै और पशुरी' गीत को पेश किया। दूसरी प्रस्तुति बिरहा गायन की रही।

गायिका त्रेतिमा कुमारी ने वंदना ‘देवरिया आया वीणा वाली मइया मन हमार चाहत है भरले समाज के बीच लगाइ तोहार प्यार चाहत से किया। उसके बाद उन्होंने दिलवा के हमारे पियसिया बुझाइ है जेहली सबरी राम व काहै कांटा जीवन तोहरा बबुआ तनि याद करा माई कै दुलार बबुआ की भावूपूर्ण प्रस्तुति दी।

उपशास्त्रीय संगीत के ख्यातिलब्ध गायक बनारस घराना के ऋषि एवं वरूण मिश्रा ने रागपट्दीप में ‘ बभन न बिचारो मोरा सगुन व दादरा चांद मारे फिरनिया कै बाण से' पेश किया तो तालियों से पूरा पंडाल गूंज उठा।

तानपुरा पर श्रद्धा मिश्रा व शिवांशी ने संगत की। अंतिम प्रस्तुति प्रयागराज के लोक गायक धीरज पांडेय ने दी। उन्होंने पचरा मिमिया के गछिया पर सोने के झुलवनां और बड़ा नीक राघव जी कै गउवां और छुक-छुक रेलियां से आइहै मोर सजनवां गाकर श्रोताओं की वाहवाही पायी।

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