Valmiki Jayanti 2020 : प्रयागराज में है महर्षि वाल्मीकि की तपस्थली, यहां पर्यटन को मिल सकता है बढ़ावा
Valmiki Jayanti 2020 इलाहाबाद विश्वविद्यालय के डॉ.चंडिका प्रसाद शुक्ल और जबलपुर में रानी दुर्गावती संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रो. रहस विहारी द्विवेदी ने अपने शोध में सिद्ध किया है कि महर्षि वाल्मीकि ने लकटहा और पनासा गांव के पास दोनों नदियों के संगम के पास तपस्या की थी।
By Brijesh SrivastavaEdited By: Updated: Sat, 31 Oct 2020 01:53 PM (IST)
प्रयागराज, जेएनएन। महर्षि वाल्मीकि की जयंती शनिवार यानी आज देश भर में मनाई जा रही है। प्रयागराज में भी उत्तर से बहकर आई गंगा और दक्षिण से कल-कल करते आ रही तमसा (टोंस) नदी के पावन संगम तट पर महर्षि वाल्मीकि की तपस्थली है। तमाम शोध में यह सिद्ध हो चुका है कि महर्षि की यह तपोभूमि रही है। यहां पर ही महर्षि ने तपस्या की थी। अलबत्ता इस धर्म स्थल का उतना विकास नहीं हो सका, जितना इस पावन भूमि का महत्व है।
विद्वानों ने किया है शोध
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृति विभाग के अध्यक्ष रहे डॉ.चंडिका प्रसाद शुक्ल और मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित रानी दुर्गावती संस्कृत विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष रहे प्रो. रहस विहारी द्विवेदी ने अपने शोध में सिद्ध किया है कि महर्षि वाल्मीकि ने लकटहा और पनासा गांव के पास दोनों नदियों के संगम के पास तपस्या की थी। इसके अलावा इस आश्रम का पौराणिक कथाओं में भी जिक्र है।
डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने प्रदेश सरकार के संस्कृत विभाग को पत्र लिखा था
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृति विभाग के अध्यक्ष रहे डॉ.चंडिका प्रसाद शुक्ल और मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित रानी दुर्गावती संस्कृत विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष रहे प्रो. रहस विहारी द्विवेदी ने अपने शोध में सिद्ध किया है कि महर्षि वाल्मीकि ने लकटहा और पनासा गांव के पास दोनों नदियों के संगम के पास तपस्या की थी। इसके अलावा इस आश्रम का पौराणिक कथाओं में भी जिक्र है।
डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने प्रदेश सरकार के संस्कृत विभाग को पत्र लिखा था
जमुनापार जागृति मिशन के संयोजक डॉ. भगवत पांडेय ने इस स्थान के विकास के लिए तब केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी से मिले थे। इस पर तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री और तब प्रयागराज से सांसद रहे डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने इस शोध पत्र के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृत विभाग को पत्र लिखा था। उन्होंने इस स्थान को विकसित करने को भी कहा था। इस पर प्रदेश सरकार की ओर से यहां पर एक चबूतरे का निर्माण कराया गया। चबूतरे पर महर्षि की प्रतिमा रखी गई। एक टीन शेड भी बनवाया गया।
प्रदेश सरकार ने महर्षि प्रेरणा स्थल के रूप में विकसित कराने काे किया कार्यप्रदेश सरकार ने इस स्थान को महर्षि प्रेरणा स्थल के रूप में विकसित कराने का कार्य शुरू किया। प्रयागराज-मीरजापुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर नैनी में लेप्रोशी मिशन चौराहे के पास तथा भीरपुर में इस प्रेरणा स्थल को जाने के लिए पर्यटन विभाग की ओर से बोर्ड भी लगवाए गए। सरकार के प्रयास से यहां पर वाल्मीकि मेला का आयोजन शुरू हुआ। रामलीला का मंचन भी आरंभ कराया गया। कुछ वर्षों तक तो यहां के विकास के लिए कार्य हुए मगर अब यह स्थान उपेक्षित हो गया।
प्रदेश सरकार से लोगों को है उम्मीदकवि अशोक बेशरम ने बताया कि इस स्थान के विकास से पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है। प्रदेश सरकार विभिन्न प्राचीन धरोहरों, धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार करा रही है तो इस स्थान के सुंदरीकरण को लेकर स्थानीय लोगों में उम्मीद जगी है।
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