यूपी की इस सीट पर BJP-सपा के बीच टक्कर, पर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने को जूझती रही BSP; मचा सियासी घमासान
लोकसभा चुनाव में संतकबीरनगर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा जिले की आलापुर विधानसभा क्षेत्र में चल रहे सियासी घमासान में भाजपा व सपा के बीच आमने-सामने का मुख्य मुकाबला दिखा लेकिन कैडर वोटों के साथ बसपा भी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए जूझती रही। तीनों दलों के महारथियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। वोटिंग के साथ इनका भाग्य ईवीएम में कैद हो गया।
दिलीप सिंह, जहांगीरगंज। लोकसभा चुनाव में संतकबीरनगर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा जिले की आलापुर विधानसभा क्षेत्र में चल रहे सियासी घमासान में भाजपा व सपा के बीच आमने-सामने का मुख्य मुकाबला दिखा, लेकिन कैडर वोटों के साथ बसपा भी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए जूझती रही। तीनों दलों के महारथियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। वोटिंग के साथ इनका भाग्य ईवीएम में कैद हो गया।
परिसीमन के बाद वर्ष 2009 में पहली बार संतकबीरनगर संसदीय क्षेत्र की खजनी, खलीलाबाद, मेंहदावल, धनघटा के बाद पांचवीं विधानसभा अंबेडकरनगर की आलापुर विधानसभा जुड़ी। तभी से उसी संसदीय सीट का हिस्सा है। शनिवार को हुए मतदान में यहां के अधिकांश बूथों पर सुबह तो लोगों में वोट डालने का जुनून देखने को मिला, जिसमें युवाओं की भागीदारी स्पष्ट दिखी।
वहीं बुजुर्ग, महिलाएं भी बूथों पर पर कतारबद्ध दिखाई दी। ज्यादातर स्थानों पर दोनों प्रमुख दलों के बीच मुकाबला दिखा तो वही कहीं भाजपा तो कहीं सपा भारी रही, लेकिन इनके बीच बसपा के मतदाता में भी खामोशी के साथ मानसिक उत्साह देखने को मिला। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रवीण निषाद यहां से सांसद तो बन गए, लेकिन आलापुर उनकी जीत में बड़ी बाधा बन थी।
तत्समय यहां पड़े करीब 62 प्रतिशत मतों में यहां से वह सपा-बसपा गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर बसपा के ही पूर्व सांसद भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी यहां करीब 22 हजार मतों से आगे थे। यहां प्रवीण निषाद दूसरे नंबर पर रहे। बाकी के चार अन्य विधानसभा क्षेत्र में मिली बढ़त ने मजबूती दी और प्रवीण निषाद सांसद बन गए। इस बार राजग गठबंधन से भाजपा के चुनाव चिन्ह से प्रवीण निषाद ही खुद की सीट बरकरार रखने की जद्दोजहद में लगे रहे।
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