आठ सप्ताह से नहीं लगा हाट, बर्बादी की कगार पर बुनकर
टांडा के छज्जापुर में हर सप्ताह लगने वाला हाट (बाजार)
अंबेडकरनगर : टांडा के छज्जापुर में हर सप्ताह लगने वाला हाट (बाजार) लाकडाउन के चलते पिछले आठ शनिवार से नहीं लग पाया है। बिक्री नहीं होने से तैयार माल डंप पड़ा है। यहां टांडा, मुबारकपुर ही नहीं बल्कि कानपुर, खलीलाबाद सहित कई स्थानों से बुनकर व्यापारी लुंगी, गमछा, चादर, पितांबरी, स्टाल, लेडीज स्कार्फ, कुर्ता-पैजामा व पैंट-शर्ट के कपड़ों की बिक्री करने आते हैं।
बुनकर नगरी टांडा टेरीकाट कपड़ों के उत्पादन के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहां तैयार कपड़े सस्ते और टिकाऊ माने जाते हैं। इसके व्यापार के लिए यहां प्रत्येक शनिवार को छज्जापुर मुहल्ले में हाट लगता है। इसमें कानपुर, अमरोहा, खलीलाबाद, जहांगीरगंज, नरियांव, नेवरी, हंसवर, भूलेपुर, हीरापुर, इल्तिफातगंज सहित कई स्थानों से व्यापारी अपना माल बेचने आते हैं। आठ सप्ताह से प्रत्येक शनिवार को लगने वाला हाट नहीं लगा। ऐसे में बुनकरों के इस बाजार में पूरी तरह सन्नाटा फैला है। बुनकर मोहम्मद अरशद अंसारी ने बताया कि लाकडाउन में सभी बाजार बंद हैं। बाजार खुलने के बाद यहां टेरीकाट के कपड़ा व्यवसाय को गति मिलने की उम्मीद है।
अरबी रुमाल की खपत ठप : टांडा में हजारों मीटर प्रतिदिन तैयार होने वाला अरबी रुमाल खाड़ी देशों में चीन को भी मात देता है। प्रतिदिन लाखों का कारोबार करने वाले पावरलूम पर खटर-पटर तो लाकडाउन में भी सुनाई पड़ रही है, लेकिन यहां उत्पादित कपड़ों की खपत ठप है। ऐसे में बुनकर व्यवसायी तैयार कपड़ों को डंप कर रहे हैं। यहां प्रति सप्ताह करोड़ों रुपये का व्यापार होता रहा है। बुनकर व्यवसायी अनाम अंसारी बताते हैं कि पावरलूम पर कपड़ों का उत्पादन चलता रहेगा। लाकडाउन खत्म होने के बाद कारोबार गति पकड़ने की संभावना है।