यूपी उपचुनाव में इस चर्चित सीट पर 'खेला' कर सकती है बसपा, मायावती के खेमे में सेंध लगाने में जुटी सपा-भाजपा
बसपा का गढ़ रहे अंबेडकरनगर के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में भले ही इसके मजबूत पिलर उखड़ चुके हैं लेकिन इसका जनाधार आज भी चुनावी परिणाम को बदलने की ताकत रखता है। ऐसे में भाजपा और सपा की नजर बसपाई जनाधार पर लगी है। उपचुनाव में पहली बार उतरी बहुजन समाज पार्टी के अपने कोर वोटरों के जनाधार को सहेजने में तीसरे मोर्चे पर डटी।
अरविंद सिंह, अंबेडकरनगर। बहुजन समाज पार्टी का गढ़ रहे अंबेडकरनगर के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में भले ही इसके मजबूत पिलर उखड़ चुके हैं, लेकिन इसका जनाधार आज भी चुनावी परिणाम को बदलने की ताकत रखता है। ऐसे में भाजपा और सपा की नजर बसपाई जनाधार पर लगी है। वहीं, बसपा अपने जनाधार को समेटने की जुगत में जुटी है। वर्ष 2017 के चुनाव में 84,358 वोट और वर्ष 2022 में 93,524 वोट पाकर उम्मीदवार विजेता घोषित हुए थे। ऐसे में अनुसूचित जाति के यहां लगभग 95 हजार मतदाता अकेले ही विजय दिला सकते हैं।
भाजपा-सपा में सीधी टक्कर
त्रिकोणीय चुनावी समीकरण अब सत्तादल भाजपा एवं मुख्य प्रतिद्वंदी दल सपा के बीच आमने-सामने की टक्कर के बीच दिखने लगा है। दोनों दलों के स्थानीय, आसपास के जनपदों तथा प्रांतीय कद्दावर नेता भी उपचुनाव को धार देने में कूद पड़े हैं। दोनों दलों के अपने-अपने जनाधार के बाद भी जीतने के लिए बसपाई जनाधार की जरूरत होगी। ऐसे में भाजपा-सपा के बीच कांटे की टक्कर को चुनावी परिणाम को जीत में बदलने के लिए बसपा के कोर वोटरों का सराहा चाहिए। लिहाजा दोनों दलों की नजर बसपा के वोटरों पर टिकी है।
यह दोनों दल बसपाई खेमे में सेंध लगाने में जुटे हैं। बसपा के अपने पुराने घर से लाभ लेने में सपा प्रत्याशी शोभावती वर्मा के पति सांसद लालजी वर्मा पुरानी पाइप लाइन का सहारा लेने की जुगत में हैं। उधर विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं से आच्छादित करके भाजपा भी बसपाई जनाधार में घुसने की कोशिश कर रही है। भाजपा प्रत्याशी धर्मराज निषाद भी अब अपने पुराने घर बसपा से लाभ की संजीवनी जुटा रहे हैं। वहीं जातीय समीकरण साधने में एकमुश्त अनुसूचित जाति के वोटों पर सबकी नजर टिकी है।
पहली बार बसपा लगा रही दांव
उपचुनाव में पहली बार उतरी बहुजन समाज पार्टी के अपने कोर वोटरों के जनाधार को सहेजने में तीसरे मोर्चे पर डटी। बसपा प्रदेश अध्यक्ष गांव-गांव डेरा डाल अपने वोट समेटने में लगे हैं। सपा तथा भाजपा की सेंधमारी से अपना वोट बैंक बचाने में सफलता बसपा को विजय के लक्ष्य तक पहुंचा सकती है। वहीं, बसपा के मजबूती से लड़ने तथा जनाधार को समेटने से चुनावी परिणाम और भी रोमांचक होगा। बसपा की पकड़ धीमी पड़ने से मतदाताओं का रुख ही भाजपा और सपा की जीत तय करने वाला होगा।
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