Lok Sabha Election 2024: यूपी की इस सीट पर बसपा को 'योद्धा' की तलाश, रितेश पांडेय के भाजपा में जाने के बाद बदली सियासत
अंबेडकरनगर सीट पर बसपा अभी तक प्रत्याशी का चयन नहीं कर सकी है। भाजपा व सपा के घोषित प्रत्याशी पहले हाथी की सवारी कर चुके हैं ऐसे में बसपा यहां ऐसा योद्धा तलाश रही है जो दोनों का मुकाबला कर जीत के क्रम को बनाएं रखे। पार्टी की ओर से जरूर कुछ दावेदार सामने आए हैं लेकिन मायावती अभी किसी ठोस निर्णय पर नहीं पहुंच सकी हैं।
अभिषेक मालवीय, अंबेडकरनगर। कभी बसपा का गढ़ रहा अंबेडकरनगर अब सपा के दुर्ग में बदल चुका है। यहां की पांचों विधानसभा सीटों पर सपा का कब्जा है। बसपा के पास एक मात्र सांसद की सीट थी, जो अब रितेश पांडेय के भाजपा में चले जाने के बाद हाथों से फिसल गई है। लोकसभा सीट को बचाने और जीत के क्रम को बरकरार रखने के लिए बसपा योद्धा तलाश रही है, जिससे गढ़ की एक दीवार को फिर से मजबूत किया जा सके।
लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। यहां छठवें चरण में 25 मई को मतदान होना है। बसपा छोड़कर आए सांसद रितेश पांडेय को भाजपा ने यहां अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। सपा ने भी कांग्रेस संग इंडिया गठबंधन की ओर से कटेहरी विधायक लालजी वर्मा को प्रत्याशी घोषित किया है। दोनों दलों के प्रत्याशी भी चुनाव प्रचार में दम-खम के साथ जुट गए हैं।
बसपा अब तक नहीं कर सकी प्रत्याशी का चयन
वहीं, बसपा अभी तक यहां प्रत्याशी का चयन नहीं कर सकी है। भाजपा व सपा के घोषित प्रत्याशी पहले हाथी की सवारी कर चुके हैं ऐसे में बसपा यहां ऐसा योद्धा तलाश रही है जो दोनों का मुकाबला कर जीत के क्रम को बनाएं रखे। पार्टी की ओर से जरूर कुछ दावेदार सामने आए हैं और उन्होंने दावेदारी भी पेश की है, लेकिन बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती अभी किसी ठोस निर्णय पर नहीं पहुंच सकी हैं।बसपा यहां वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव दौरान सबसे अधिक कमजोर हुई थी, जब उसके कद्दावर नेता सपा में चले गए। वर्तमान में बसपा छोड़ सपा में जाने वाले रामअचल राजभर अकबरपुर, लालजी वर्मा कटेहरी, त्रिभुवन दत्त आलापुर और राकेश पांडेय जलालपुर से विधायक हैं। हालांकि, अपनी नींव को दोबारा मजबूत करने के लिए बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल, जोनल कोआर्डिनेटर घनश्याम चंद्र खरवार लगातार कैंप किए हैं। कैडर सम्मेलन कर सभी को वापस पार्टी से जोड़ने की कवायद चल रही है। बसपा के जिलाध्यक्ष सुनील सांवत ने बताया कि होली त्योहार के आसपास पार्टी अपना प्रत्याशी घोषित करेगी। बसपा यहां मजबूती से चुनाव लड़ेगी। किसी के आने व चले जाने से पार्टी कमजोर नहीं हुई है।
पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा को मिला था सपा गठबंधन से फायदा
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा को यहां सपा के साथ गठबंधन का फायदा मिला था। इसी की बदौलत बसपा के प्रत्याशी रितेश पांडेय को 95 हजार वोटों से जीत मिली थी। वहीं भाजपा के प्रत्याशी मुकुट बिहारी उपविजेता बने थे। उस चुनाव में बसपा कैडर के साथ ही सपा के वोट भी शामिल थे, लेकिन इस बार सपा-कांग्रेस सहित अन्य दलों का गठबंधन है। वहीं बसपा अलग-थलग चुनाव मैदान में उतरी है। ऐसे में यहां रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा।बसपा के थे तीन विधायक
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान तीन विधानसभा सीटों पर बसपा का कब्जा था। कटेहरी से लालजी वर्मा, अकबरपुर से रामअचल राजभर व जलालपुर से रितेश विधायक थे। वहीं टांडा व आलापुर सीट भाजपा के पास थी। टांडा से भाजपा की संजू देवी व आलापुर अनीता कमल विधायक थी। लोकसभा चुनाव में इसी का फायदा बसपा को मिला था। यह भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव 2024: टिकट के फेर में उलझी सियासत, इस सीट पर वेट एंड वॉच कर रही सपा; भाजपा ने भी नहीं खोले पत्ते
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