चार महीने चलाकर बंद किया मॉडल राजकीय इंटर कॉलेज
-विभाग से बगैर अनुमति लिए डीआइओएस ने किया संचालन -अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने हस्तगत नहीं किया था भवन
अंबेडकरनगर : मल्टी सेक्टोरियल डेवलपमेंट प्लान (एमएसडीपी) के तहत तीन करोड़ 15 लाख रुपये की लागत से तैयार मॉडल राजकीय इंटर कॉलेज का शुभारंभ मजाक बन गया। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के बजट से नवनिर्मित भवन में बगैर माध्यमिक शिक्षा विभाग की अनुमति के बीते अप्रैल माह से शिक्षण कार्य का शुरू कर दिया गया। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने भी माध्यमिक शिक्षा विभाग को यह भवन हस्तगत नहीं किया है। ऐसे में चार महीने की पढ़ाई होने के बाद विभाग ने इसका संचालन बंद कर दिया। इससे यहां पंजीकृत करीब 60 बच्चों को दोबारा दाखिले के लिए भटकना पड़ा। हवा में चार माह तक संचालित रहे इस विद्यालय में तैनाती पाए शिक्षकों की उपस्थिति सत्यापित करने तथा वेतन भुगतान को लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं।
एमएसडीपी योजना के तहत वर्ष 2014 में केंद्रीय विद्यालय की तर्ज पर आधुनिक सुविधाओं से लैस मॉडल राजकीय इंटर कॉलेज की आधारशिला रखी गई थी। चार साल बाद वर्ष 2018 में निर्माण पूरा हुआ। इसके बाद जनपद के भ्रमण पर आए शासन से नामित प्रभारी अधिकारी की मौखिक अनुमति पर इसे संचालित करने का जिला विद्यालय निरीक्षक ने लिखित आदेश जारी कर दिया। भवन को हस्तगत किए बगैर ही राजकीय इंटर कॉलेज फरीदपुरकुतुब की प्रधानाचार्या डॉ. तारा वर्मा को इसका अतिरिक्त प्रभार सौंप सहायक अध्यापकों में सत्यवती और बीके द्विवेदी को तैनाती मिली। जैसे-तैसे छह से 12 तक की कक्षाओं में करीब 60 बच्चों को दाखिला देकर शिक्षण कार्य शुरू हुआ। विभाग को इसकी भनक लगी तो डीआइओएस ने विद्यालय को जुलाई में बंद कर दिया। अब विभाग से अनुमति और हस्तगत करने को अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से डीपीआर मांगा गया है।
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विभाग से अनुमति नहीं मिलने तथा भवन हस्तगत नहीं होने की दशा में इसे बंद कर दिया गया है। बच्चे पढ़ने के लिए आते थे, लेकिन पंजीयन नहीं किया गया था। यहां शिक्षकों की तैनाती का लिखित आदेश जारी किया गया था। ऐसे में सेवाएं स्वत: प्रमाणित होती हैं।
विनोद कुमार सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक, अंबेडकरनगर
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अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से सिर्फ बजट जारी किया गया है। माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रस्ताव तथा डीपीआर माध्यमिक शिक्षा विभाग से ही स्वीकृत किया गया है। विभाग की ओर से हस्तगत करने की प्रक्रिया पूरी कर दी गई है। माध्यमिक शिक्षा विभाग से डीपीआर मांगना औचित्यपूर्ण नहीं है।
सिंह प्रताप देव, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, अंबेडकरनगर