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भविष्य दृष्टा भी थे महाकवि मलिक मोहम्मद जायसी

- 499 वीं जयंती पर विशेष : अपनी मृत्यु के बारे में पहले ही कर दी थी घोषणा, जिले के जायस नगर में लिया

By JagranEdited By: Updated: Thu, 06 Jul 2017 12:20 AM (IST)
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भविष्य दृष्टा भी थे महाकवि मलिक मोहम्मद जायसी

- 499 वीं जयंती पर विशेष : अपनी मृत्यु के बारे में पहले ही कर दी थी घोषणा, जिले के जायस नगर में लिया था जन्म

अमेठी :

जायस नगर धरम अस्थानू।

नगर एक नांव आदि उदयमानू।।

तहां दिवस दस पहुंने आएउं।

भा बैराग बहुत सुख पाएउं।।

अपने आखिरी कलाम में जिले के जायस नगर का इस तरह जिक्र करने वाले महाकवि मलिक मोहम्मद जायसी भविष्य दृष्टा भी थे। मान्यता है कि उन्होंने अपनी मृत्यु के बारे में पहले ही घोषणा कर दी थी। जायसी ने अमेठी नरेश को बता दिया था कि मेरी मृत्यु आपके ही हाथों होगी। एक दिन जब राजा शिकार पर थे तभी उन्होंने सिंह की गर्जना सुनी। राजा ने बाण चलाया जो संत जायसी के हृदय को भेद गया। उसी स्थल पर उनकी समाधि भी बनाई गई है।

-शेरशाह के विवाह में थे मुख्य अतिथि जायसी

जब शेरशाह दिल्ली का सुलतान बना तो उसने जौनपुर से दिल्ली जाते हुए हसनपुर में कैंप किया। हसनपुर के ¨हदू राजा ने शेरशाह का भव्य स्वागत करते हुए उससे अपनी बेटी की शादी भी कर दी। उस शादी में जायसी बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित थे। जायसी की कुरूपता पर व्यंग करते हुए शेरशाह हंस पड़ा, जिस पर जायसी ने उससे पूछा मोका हंससि की कोहार¨ह। शेरशाह ने इनकी बुद्धिमत्ता देखकर जबाब दिया कि दरसन सुख लहि तोहर¨ह।

-स्मारक स्थल पर साहित्य चर्चा के बजाय क्रिकेट

जायसी की पुण्य स्मृति में बनाया गया पुस्तकालय व शोध संस्थान बच्चों के क्रिकेट का मैदान बना हुआ है। साफ सफाई तो दूर लोग इसका शौंचालय के रूप में प्रयोग करते हैं। इस बदहाली की ओर नगर पालिका परिषद ने भी कभी ध्यान देने की जरूरत ही नहीं समझी।

..अफसोस कोई फूल ही नहीं

इतिहास की लेखनी को प्रेम से पूरित स्याही में डुबोकर मुगल काल में शिक्षा की नगरी जायस को विश्व पटल पर अंकित करने वाले महाकवि मलिक मोहम्मद जायसी अपने ही नगर में बेगाने हो चुके हैं। बुधवार को जयंती की पूर्वसंध्या पर जब जायस के लोगों से मिल जायसी के बारे में बातचीत हुई तो युवा तो पूरी तरह से प्रेम के पीर महाकवि से अंजान दिखे। यहां के बच्चों को बस इतना मालूम है, कि उनके नाम पर नगर में एक कालेज है। जहां कभी जायसी की किलकारियां गूंजी थी, वहां अब शाम को शराब व कबाब की महफिलें सजती हैं। ऐसे हालात को देख सिर्फ यही कहा जा सकता है कि ''अपने लहू से सींचा था जिसने हर इक पौधे को।

उसी के वास्ते अफसोस कोई फूल नहीं।।''

संक्षिप्त परिचय

वास्तविक नाम मुहम्मद

जन्म स्थान कंचाना, जायस

जन्म छह जुलाई

पिता शेख ममरेज या मलिक राजे असरफ

भाई मलिक शेख मुजफ्फर या मलिक शेख हाफिज

पीर सैयद असरफ

रचनाएं लगभग 21

प्राप्त तीन(पदमावत, अखरावट, आखिरी कलाम)

अप्राप्य 17(सखरावत, चंपावत, मटकावत, इतरावत, चित्रावट, खुर्वानामा, मोराईनामा, मुकहरानामा, मुरकरानामा, पनोस्तीनामा, मुहरानामा, नैनावत, स्फुट, छंद, कहारनाम, मेखरावटनामा, घनावट, सोरठ, परमार्थ जपनी)

मृत्यु 14 अक्टूबर

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