Amethi Seat: बदल गई गांधी-नेहरु परिवार के सबसे मजबूत गढ़ की सियासत, भाजपा संगठन को नई धार देने में जुटी स्मृति ईरानी
मोदी सरकार में स्मृति ईरानी को हार के बाद भी मंत्री बनाया गया। इसी के साथ स्मृति ने अमेठी में अपनी सक्रियता बढ़ा दी। स्मृति की सक्रियता का लाभ भाजपा को मिलने लगा और एक के बाद एक चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में आने लगे। गांव-गांव घर-घर स्मृति अपनी नई पहचान बनाने में पूरी तरह सफल रही। 2019 में स्मृति अमेठी में भाजपा का कमल खिलाने में कामयाब हुई।
जागरण संवाददाता, अमेठी। अमेठी में केंद्रीय मंत्री व सांसद स्मृति ईरानी के सामने आम चुनाव 2024 में कई पुराने रिकार्ड को तोड़ने के साथ ही नया इतिहास लिखने की चुनौती भी है। दशकों तक गांधी-नेहरु परिवार के सबसे मजबूत गढ़ के रूप में देश-दुनिया में पहचानी जाने वाली अमेठी की पहचान अब बदल चुकी है।
बदली हुई पहचान को कायम रखने के लिए केंद्रीय मंत्री व सांसद स्मृति ईरानी पिछले चार दिन से अमेठी में भाजपा के संगठन को नई धार देने में जुटी हैं। मतदाता सूची के एक-एक पन्ने पर फोकस के साथ एक-एक गांव व बूथ के मैनेजमेंट पर उनकी पैनी नजर है।
अमेठी में लगातार दूसरी बार दबदबा कायम रखते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के सामने कमल खिलाने की चुनौती पर दिलीप सिंह की रिपोर्ट...
दस सालों में स्मृति ने गांव-गांव, घर-घर बनाई नई पहचान
दशकों तक जिस अमेठी में गांधी-नेहरु परिवार का डंका बजता था। आज उसी अमेठी में भाजपा की स्मृति का जादू चल रहा है। दस साल पहले आम चुनाव 2014 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुकाबला करने अमेठी आई स्मृति ईरानी ने मात्र 23 दिनों में ही यहां के लोगों से कुछ ऐसा नाता जोड़ा कि उन्हें तीन लाख से अधिक मत प्राप्त हुए।
मोदी सरकार में स्मृति ईरानी को हार के बाद भी मंत्री बनाया गया। इसी के साथ स्मृति ने अमेठी में अपनी सक्रियता बढ़ा दी। स्मृति की सक्रियता का लाभ भाजपा को मिलने लगा और एक के बाद एक चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में आने लगे। गांव-गांव, घर-घर स्मृति अपनी नई पहचान बनाने में पूरी तरह सफल रही। आम चुनाव 2019 में स्मृति अमेठी में भाजपा का कमल खिलाने में कामयाब हुई।
इसी के साथ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की जीत का सिलसिला भी चौथी बार थम गया। इससे पहले राहुल गांधी ने 2004, 2009 व 2014 में अमेठी हैट्रिक लगा चुके थे।
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अमेठी के चुनावी रणभूमि में भले ही अभी तक केंद्रीय मंत्री व सांसद स्मृति ईरानी अकेली घोषित योद्धा हों पर उनकी सक्रियता चुनाव को लेकर काफी बढ़ गई है। पिछले चार दिन वह अमेठी में रहकर बूथवार चुनावी लड़ाई में बड़ी जीत के लिए रणनीति बनाने में जुटी रही।गौरीगंज के मेदन मवई गांव में बने अपने आवास पर स्मृति ने एक-एक कर सभी 1923 बूथों के अध्यक्ष व सभी शक्ति केंद्र संयोजकों के साथ बैठकर एक-एक वोट को लेकर बात की। इतना ही नहीं दस में सात मत हासिल करने के लिए सभी को जरूरी मंत्र भी बताए। मोदी व योगी सरकार में गांव-गांव स्मृति के प्रयास से हुए विकास कार्यों की पूरी जानकारी सभी बूथ अध्यक्षों को बूथवार मुहैया करवाई गई।आम चुनाव 2014 में ही बदलने लगा था अमेठी का मूड
वर्ष 1967 में अस्तित्व में आई अमेठी संसदीय सीट में कुल पांच विधानसभाएं हैं। इनमें अमेठी, जगदीशपुर, गौरीगंज व तिलोई अमेठी जिले की हैं, जबकि सलोन विधानसभा रायबरेली जिले की है। बीते तीन चुनावों की बात करें तो अमेठी की जनता का मूड बदला-बदला नजर आया।वर्ष 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चुनावी समर में उतरे राहुल गांधी ने 57.24 फीसदी मतों के अंतर से जीत दर्ज की, लेकिन, 2014 के चुनाव में परिणाम कुछ अलग दिखा। इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरीं स्मृति जूबिन ईरानी मजबूती से लड़ीं। यह बात अलग है कि राहुल गांधी ने जीत दर्ज की, लेकिन मतों का प्रतिशत 25.07 फीसदी घटने के साथ ही जीत के अंतर में 32.83 फीसदी कमी आई।2019 में अमेठी की पांच में से चार विधानसभाओं में स्मृति की हुई थी जीत
वर्ष 2019 के चुनाव में स्मृति ने गांधी परिवार के गढ़ को ध्वस्त कर जीत दर्ज कर ली। संसदीय सीट की पांच विधानसभाओं में से चार पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। ऐसे में इस बार गैर कांग्रेसी सांसद के दोबारा जीतने, जीत का अंतर बढ़ाने, सभी पांचों विधानसभा सीटों से जीत हासिल करने की एक बड़ी चुनौती स्मृति ईरानी के सामने है।अमेठी फैक्ट फाइल
कुल विधानसभा क्षेत्र | 05 |
पुरुष मतदाता | 9,37,147 |
महिला मतदाता | 8,48,878 |
कुल मतदाता | 17,86,125 |
थर्ड जेंडर | 100 |
सर्विस वोटर | 2606 |
मतदेय स्थल | 1923 |
मतदान केंद्र | 1125 |