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अटल के कहने भर से अमेठी ने लिख दी कांग्रेस की हार की कहानी, नरसिम्हा राव की तारीफ में कही थी ये बात

अटल जी को सुनने व उनके साथ कुछ समय बिताने वालों के पास उनसे जुड़ी कहानियां व यादों की लंबी फेहरिस्त है। यही अटल का अटल व्यक्तित्व था जिसने कांग्रेस के गढ़ में भी उनके कहने भर पर पहली बार 1977 में कांग्रेस नेता संजय गांधी को शिकस्त देने की कहानी लिख दी थी। जब जनता लहर के दौरान अटल अमेठी आए तब यहां से संजय गांधी कांग्रेस प्रत्याशी थे।

By Dileep Maan Singh Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Sun, 24 Dec 2023 01:55 PM (IST)
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अटल के कहने भर से अमेठी ने लिख दी कांग्रेस की हार की कहानी
दिलीप सिंह, अमेठी । स्मृति की अमेठी से भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं। सन 1962 से 1996 के बीच पांच दौरों ने अटल को अमेठी का बना दिया। अटल ने यहां दर्जनभर से ज्यादा सभाओं को संबोधित कर खुद को अमेठी से ऐसा जोड़ा कि आज भी यहां उनकी यादों का बसेरा है।

अटल जी को सुनने व उनके साथ कुछ समय बिताने वालों के पास उनसे जुड़ी कहानियां व यादों की लंबी फेहरिस्त है। यही अटल का अटल व्यक्तित्व था, जिसने कांग्रेस के गढ़ में भी उनके कहने भर पर पहली बार 1977 में कांग्रेस नेता संजय गांधी को शिकस्त देने की कहानी लिख दी थी।

1962 में पहली बार जायस आए थे अटल

सन 1962 में रोखा विधानसभा क्षेत्र में जनसंघ के प्रत्याशी चयन के लिए पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी संघ के नाना देशमुख के साथ जिले के जायस नगर में आए थे। कालांतर में रोखा सलोन के नाम से विधानसभा क्षेत्र बन गया और जायस तिलोई का हिस्सा हो गया। जायस में रहने व खाने की अटल की कहानी यहां आम है। पार्टी नेताओं के साथ बैठक के बाद हरि प्रसाद महेश्वरी व द्वारिका प्रसाद महेश्वरी के निवेदन पर अटल जी नाना देशमुख के साथ उनके घर भोजन करने आए थे।

अमेठी में अटल की सभा के बाद बही जनता लहर

1977 में जब जनता लहर के दौरान अटल अमेठी आए, तब यहां से संजय गांधी कांग्रेस प्रत्याशी थे। उनके मुकाबले रणभूमि में उतरे रविद्र प्रताप सिंह के पक्ष में अटल ने अमेठी के रामलीला मैदान में जनसभा की। बताते हैं कि अटल की जनसभा के बाद अमेठी का माहौल बदल गया और यहां भी जनता लहर बह चली।

संजय गांधी को हार के साथ अपनी चुनावी राजनीतिक पारी की शुरुआत करनी पड़ी। इसी क्रम में 1991 व 1996 में भी अटल ने अमेठी में चुनावी जनसभा की थी। पूर्व विधायक दादा तेजभान सिंह कहते हैं कि अटल को सुनने के लिए सैलाब उमड़ता था।

अटल ने कहा, नरसिम्हा राव विद्वान व्यक्ति हैं, उन्हें सुनने जरूर जाना

1996 में अमेठी में अटल की जनसभा के अगले दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की चुनावी जनसभा थी। अटल जी अपनी जनसभा को संबोधित करने के बाद जाते-जाते यह भी कह गए कि कल नवोदय में नरसिम्हा राव जी आ रहे हैं, वह विद्वान हैं। उन्हें सुनने जरूर जाना। कुछ न कुछ हासिल जरूर होगा। राजनीति में यह बात अटल ही कह सकते थे।

जब अटल के कोटे से मिली एंबेसडर कार

बात 1995 की है। गौरीगंज निवासी वरिष्ठ भाजपा नेता बाबू लल्लन सिंह की बेटी सुनीता की शादी में एंबेसडर कार देने की बात तो हो गई। लेकिन, कार कहीं नहीं मिली तो विधायक तेज भान सिंह के साथ लल्लन सिंह व उनके पुत्र ज्ञान सिंह ने अटल जी से मुलाकात कर समस्या बताई और कहा कि अगर आप पत्र लिख दें तो बात बन जाएगी। अटल जी ने हिन्दुस्तान मोटर कंपनी कलकत्ता को पत्र लिखा और कार मिल गई।

अबकी तो मूंछ ऊपर कर दो

1996 में अटल जी शहर के रामलीला मैदान में जनसभा को संबोधित करने से पहले शहर के गेस्ट हाउस में रुके हुए थे। भाजपा नेता गोविंद सिंह चौहान बताते हैं कि दादा तेज भान सिंह की मूछों पर हाथ लगाते हुए अटल ने कहा कि अबकी बार मूंछ ऊपर कर दो। आप तो कांग्रेस के गढ़ में हमेशा से जीतते आ रहे हो, इस बार राजा मोहन सिंह को भी जिता दो।

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