आयुष्मान आरोग्य केंद्रों पर चौथे दिन भी ताला लटका रहा। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की हड़ताल के कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारी 28 अगस्त से हड़ताल पर चले गए हैं। संचारी रोगों की रोकथाम और 30 वर्ष से अधिक आयु वालों की स्क्रीनिंग करने वाले ये अधिकारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं।
जागरण संवाददाता, बाजारशुकुल, (अमेठी)। गांवों में खुले आयुष्मान आरोग्य आश्रमों पर चौथे दिन भी ताला लटकता रहा। इन केंद्रों पर नियुक्त सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी 28 अगस्त से हड़ताल पर चले गए हैं। इन केंद्रों पर ताला लटकने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
संचारी रोगों की रोकथाम व 30 वर्ष से ऊपर आयु वालों की स्क्रीनिंग कर उनमें रोगों का पता लगाने के उद्देश्य से नियुक्त यह सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। सामूहिक इस्तीफा देते हुए लखनऊ में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और मरीज प्राइवेट डाक्टरों के यहां इलाज कराने को मजबूर हैं।
यहां संचालित हैं यह केंद्र
क्षेत्र में दारानगर, शेखपुर भड़रा, फुंदनपुर, बरसंडा, आशीशपुर, बाहरपुर, सेवरा, शिवली, खेममऊ, काजीपुर, व्यौरेमऊ, गयासपुर, उरेरमऊ में यह आरोग्य मंदिर संचालित हैं। पिछले चार दिनों से इन गांवों की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गयी है। लोग प्राइवेट डाक्टरों से इलाज कराने को मजबूर हैं।
मांगों को लेकर हैं लामबंद
इन केंद्रों पर ग्रामीणों को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से नियुक्त सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी अपनी मांगों को लेकर लामबंद हैं। वैसे तो यह 14 अगस्त से ही सरकार का विरोध कर रहे हैं। इन सब ने पोर्टल पर कोई भी सूचना देना बंद कर दिया था किंतु 28 अगस्त से यह पूर्णतया केंद्रों पर ताला जड़कर हड़ताल पर चले गए हैं। इनकी सबसे बड़ी मांग बायोमैट्रिक हाजिरी की है। नियमित किए जाने को लेकर भी यह आंदोलित हैं।
मांगी रिपोर्ट
मुख्य चिकित्साधिकारी डा. अंशुमान सिंह ने जिलेभर के स्वास्थ्य अधीक्षकों को पत्र प्रेषित कर 14 अगस्त से 27 अगस्त तक सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा एएमएस एप पर उपस्थिति न दर्ज किए जाने को लेकर रिपोर्ट तलब की है।
अस्पताल आकर कराए इलाज
सीएचसी के प्रभारी अधीक्षक डा. सुधीर वर्मा बताते हैं कि जब तक हड़ताल खत्म नहीं होती है तब तक लोग अस्पताल में इलाज कराएं। इस संबंध में वह कर ही क्या सकते हैं। मांगे शासन स्तर की हैं।
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