अमेठी में स्मृति के सामने राहुल गांधी नहीं तो कौन? इन नामों की चर्चाएं तेज; अटकलों के बीच कांग्रेस अध्यक्ष ने...
2019 के लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद से राहुल गांधी अमेठी से धीरे-धीरे दूर होते गए। वहीं स्मृति इरानी 2014 से ही यहां खासी सक्रिय रहीं जिसका फायदा उन्हें 2019 में मिला भी। राहुल गांधी कांग्रेस की भारत जोड़ों न्याय यात्रा सहित पिछले 5 सालों में चार बार ही अमेठी आए हैं। अमेठी से राहुल की यही दूरी अब कांग्रेस पर भारी पड़ती दिख रही है।
दिलीप सिंह, अमेठी। दशकों तक जिस अमेठी में गांधी-नेहरु परिवार का डंका बज रहा था। आज उसी अमेठी में वह असमंजस में फसी हुई है। आम चुनाव 2024 के चुनावी रण में केंद्रीय मंत्री व भाजपा उम्मीदवार स्मृति इरानी के सामने कांग्रेस से राहुल गांधी नहीं तो कौन? सवाल उठ खड़ा हुआ है।
हर दिन नए-नए नामों की चर्चा से कांग्रेस कार्यकर्ता हलाकान व परेशान हैं तो भाजपा सहित दूसरे दलों की बेचैनी भी बढ़ी हुई है। सभी की निगाहें 19 मार्च को दिल्ली में होने वाली कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव समिति (सीइसी) की बैठक पर लगी हुई है।
केंद्रीय मंत्री व सांसद स्मृति इरानी आम चुनाव 2014 में पहली बार मतदान के 23 दिन पहले उम्मीदवार के रूप में अमेठी पहुंची। इससे पहले कांग्रेस के राहुल गांधी के मुकाबले आम आदमी पार्टी के कुमार विश्वास ने ताल ठोक रखी थी। कम ही समय में स्मृति ने राहुल गांधी के मुकाबले भाजपा को 3,00,748 मत दिलाकर अमेठी में एक नई संभावना को जन्म दिया।
हार के बाद स्मृति को मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया तो स्मृति ने भी अमेठी से अपना नाता जोड़ लिया। स्मृति की अमेठी में बढ़ती सक्रियता के चलते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आम चुनाव 2019 में अमेठी के साथ केरल के वायनाड से भी चुनावी मैदान में उतरें। उनकी इस चाल का अमेठी में विपरीत असर पड़ा और तीन बार लगातार जीत दर्ज करने वाले राहुल गांधी भाजपा की स्मृति इरानी के मुकाबले 55,120 मतों से चुनाव हार गए।
इस चुनाव में स्मृति को 4,68,514 व राहुल गांधी 4,13,394 मत मिले। हार के बाद राहुल गांधी अमेठी से धीरे-धीरे दूर होते गए। वहीं स्मृति लगातार यहां अपनी सक्रियता बढ़ाती गई। राहुल गांधी कांग्रेस की भारत जोड़ों न्याय यात्रा सहित पिछले पांच सालों में चार बार ही अमेठी आए हैं। अमेठी से राहुल की यही दूरी अब कांग्रेस पर भारी पड़ती दिख रही है।
दशकों तक जिस अमेठी सीट को गांधी-नेहरु परिवार से जोड़कर देखा जा रहा था। आज उसी अमेठी में सपा से गठबंधन के बाद भी चुनावी रणभूमि में उतरने वाले योद्धा की तलाश पूरी होती नहीं दिख रही है। यह बात अलग है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उम्मीदवारी पक्की बता रहे हैं पर बीच-बीच में अलग-अलग नामों की चर्चा से उनकी धड़कन बढ़ती-घटती रहती है।
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