By JagranEdited By: Updated: Sat, 24 Jul 2021 11:44 PM (IST)
अमेठी : ग्राम्य विकास विभाग द्वारा चलाई जा रही महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना कागजों पर कुछ और है। जमीन पर कुछ और। पिछले वर्ष सरकार ने इस योजना से महिलाओं को रोजगार की गारंटी देने के उद्देश्य से गांवों में बने महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को मनरेगा के कामों में मेट बनाने का प्राविधान किया था। ब्लाक में 67 महिलाओं का मेट के पद पर चयन भी कर दिया गया। कितु यह सब कागजों तक ही सीमित है। भौतिक स्तर पर इसकी सच्चाई यह है कि एक वर्ष बीत गए। इन्हें मेट की जिम्मेदारी तक नहीं दी गई। चयनित महिला मेटों से बात करने पर पता चला कि उनसे एक वर्ष पहले पूछा गया था। कितु उसके बाद उनसे न तो किसी ने संपर्क किया है। न ही उन्हें इस काम की जिम्मेदारी ही दी गई है। जिला से जारी सूची में शामिल कई महिला मेट तो काम ही नहीं करना चाहती हैं।
- इन समूहों से होना है चयन
ग्राम पंचायतों में गठित समूहों की महिलाओं को मेट बनाया जाना है। इसकी पात्रता के लिए कम से कम छह महीने पुराना समूह होना चाहिए। ग्राम पंचायत में मनरेगा से होने वाले कामों पर लगने वाले मजदूरों की हाजिरी व देखरेख के लिए इन्हें नियुक्त किया गया है। समूह की जिस महिला का मेट के लिए चयन होगा। उसे शिक्षित होना जरूरी है। उसके पास स्मार्ट फोन और उसे चलाने की जानकारी होनी चाहिए। - स्वीकृति मिली पर प्रधान जी संतुष्ट नहीं
एडीओ आईएसबी द्वारा प्रेषित सूची को भले ही जिला समन्वयक मनरेगा से स्वीकृति मिल गई हो। कितु इससे ग्राम प्रधान संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि ग्राम पंचायतों से पूछे बगैर महिला मेट नियुक्त की गई हैं। जब तक उनसे जानकारी नहीं ली जाएगी। तब तक वह थोपे गए मेट से काम नही लेंगे। - इनकी भी सुनिए
खंड विकास अधिकारी राजीव गुप्ता बताते हैं कि जिले से जारी मेट सूची का सत्यापन कराने के बाद ही उन्हें जिम्मेदारी दी जानी है। नियुक्ति में किसी प्रधान का हस्तक्षेप नहीं है। गांव की स्वयं सहायता समूह की महिला को ही इस पद पर रखा जाना है।
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