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खतरे में है आदि गंगा गोमती का अस्तित्व

अमेठी : त्रेतायुग से अपनी अविरल पवित्र जलधारा से समाज की तरण तारिणी बनी मा आदि गंगा गोमती क

By JagranEdited By: Updated: Sat, 31 Mar 2018 12:17 AM (IST)
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खतरे में है आदि गंगा गोमती का अस्तित्व

अमेठी : त्रेतायुग से अपनी अविरल पवित्र जलधारा से समाज की तरण तारिणी बनी मा आदि गंगा गोमती का अस्तित्व आज खतरे में पड़ गया है। गिरते जलस्तर व कम बरसात के चलते जहां गोमती की धारा थमती सी जा रही है। वहीं शैवालों व जलकुंभियों की भरमार होने से स्थिति और भी विकराल हो गई है।

रामावतार में जिस आदि गंगा गोमती में भगवान श्री हरि ने वन से लौटते समय स्नान किया था आज उस गंगा गोमती में जल का अभाव सा हो गया है। जल का प्रवाह धीमा होने व ग्रामीणों की जागरूकता में कमी के चलते आज गोमती का जल प्रदूषित होता जा रहा है। स्थित ऐसी हो गई कि गोमती नदी नाले के रूप में तब्दील होती जा रही है। इसमें जमा कचड़ा उगी जलकुंभी व गंदे नालों द्वारा आकर गिरने वाला वाला कीचड़ व बदबू युक्त पानी गोमती के पावन जल को इस कदर प्रदूषित कर रहा है कि धीरे-धीरे लोग गोमती नदी के जल से किनारा करने लगे हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीराम चरितमानस में कई बार गोमती की चर्चा कर जहा इसके महात्म को बढ़ाया था वहीं लोगों की आस्था को भी जोड़े रखा था। गोमती सौम्यता, सुंदरता व मंदहास करती जल धारा आज स्थिर होती जा रही है। समाज में बढ़ते जल दोहन से न केवल पेयजल की समस्या बढ़ रही है अपितु देश व समाज की धरोहर स्वरूप नदियों का अस्तित्व भी खतरे में है। क्षेत्र के लोग भी गोमती के अस्तित्व व उसमें हो रहे प्रदूषण को लेकर कम चिंतित नही हैं फि र भी वह बेबस हैं। वहीं जनप्रतिनिधयों के साथ ही शासन प्रशासन भी अस्तित्व बनाए रखने के लिए कोई ठोस पहल नहीं कर रहा है, जिसके चलते आज आदि गंगा गोमती पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।