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Amethi में स्‍मृति‍ ईरानी की हार के पीछे ये तीन हैं बड़े कारण, पांचों व‍िधानसभा क्षेत्रों में भी झेलनी पड़ी शि‍कस्‍त

भाजपा का पूरा फोकस लाभार्थी और दलित वोटर पर था। लेकिन अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित जगदीशपुर व सलोन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। सलोन में भाजपा विधायक अशोक कोरी के परिश्रम के बावजूद स्थिति यह हो गई कि वहां हार का अंतर सबसे बड़ा रहा। सलोन विधानसभा क्षेत्र से स्मृति 52318 वोटों से हार गई।

By Dileep Maan Singh Edited By: Vinay Saxena Updated: Thu, 06 Jun 2024 12:32 PM (IST)
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अमेठी के चुनावी रण में स्मृति ईरानी को पांचों विधानसभा क्षेत्रों में करना पड़ा हार का सामना।

जागरण संवाददाता, अमेठी। अमेठी (Amethi) के चुनावी रण में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) को पांचों विधानसभा क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा। अमेठी विधानसभा से शुरू हुई गुटबाजी चुनाव प्रचार के दौरान एक के बाद एक विधान सभा क्षेत्र में फैलती गई। स्मृति की हार के पीछे दलित वोटरों का भाजपा के प्रति रुझान न होना और अगड़ों की नाराजगी भी बड़ी वजह रही। वहीं, पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं को नजर अंदाज करना भी भाजपा को भारी पड़ा।

चुनावी वर्ष में स्मृति ने अमेठी की जनता में गहरी पैठ बनाने के लिए विकास के मुद्दों के साथ तमाम प्रकार के आयोजन भी किए। दीपावली पर भारी मात्रा में उपहार वितरण के साथ ही साड़ी और कंबल वितरण कराया। इससे पहले अमेठी खेलकूद प्रतियोगिता के माध्यम से युवा खिलाड़ियों को मौका देने का प्रयास और बाद में महिला मैराथन के माध्यम से आधी आबादी को जोड़ने की पुरजोर कोशिश की, बावजूद इसके उनके खिलाफ चुनाव में एक जबरदस्त नकारात्मक माहौल बना।

विपक्ष द्वारा उन्हें आक्रामक नेता के तौर पर प्रस्तुत किया गया। भाजपा इसकी काट भी न खोज सकी, जिसका परिणाम बड़े अंतर के साथ उनकी हार के रूप में सामने आया। विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस पार्टी को महज एक सीट पर अपनी जमानत बचाने में सफलता मिली थी। वहीं, आम चुनाव में कांग्रेस को सपा का मजबूत साथ मिला और वह गांव-गांव, बूथ-बूथ भाजपा के मुकाबले मजबूती से खड़ी हो गई। वहीं भाजपा अंत समय तक गुटबाजी व बड़बोलेपन का शिकार बनी रही। जिसका नुकसान स्मृति को चुनाव में उठाना पड़ा।

अमेठी राज परिवार से तल्खी से विरोध में बना माहौल

विधानसभा चुनाव 2022 में अमेठी विधान सभा सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजय सिंह की हार के लिए भी अप्रत्यक्ष रूप से स्मृति और उनकी टीम को जिम्मेदार ठहराया गया। लोकसभा चुनाव के दौरान डा. संजय सिंह और उनकी पूरी टीम खामोश रही। स्मृति की टीम ने गायत्री प्रजापति के परिवार को मिलाकर इस विरोध को कम करने की कोशिश जरूर की, लेकिन बात नहीं बनी।

भाजपा लाभार्थी व दलित वोटर पर रहा फोकस, वह कर गए किनारा

भाजपा का पूरा फोकस लाभार्थी और दलित वोटर पर था। लेकिन अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित जगदीशपुर व सलोन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। सलोन में भाजपा विधायक अशोक कोरी के परिश्रम के बावजूद स्थिति यह हो गई कि वहां हार का अंतर सबसे बड़ा रहा।

सलोन विधानसभा क्षेत्र से स्मृति 52318 वोटों से हार गई। संविधान खत्म करने वाली बात का भी मतदाताओं पर असर रहा। जगदीशपुर में 18118 और तिलोई में 15519 वोटों से स्मृति की हार हुई। जबकि तिलोई में स्वास्थ्य राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह व जगदीशपुर में सुरेश पासी भाजपा के विधायक हैं और विधान सभा चुनाव में दोनों ने ही बड़ी जीत दर्ज की थी।

इस बार अगड़े भी भाजपा से खिसके

2019 के चुनाव में ब्राह्मण और क्षत्रिय वोटरों ने स्मृति का खुल कर साथ दिया था। 2024 में यह नहीं हो सका और ज्यादातर ब्राह्मण और क्षत्रिय बहुल बूथों पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

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