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UP Lok Sabha Result 2024: सामने आ गई स्मृति ईरानी के हारने की बड़ी वजह, काश समझ जाती नेताओं के अंदर की बात

अमेठी के चुनावी रण में केंद्रीय मंत्री व भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी की हार की सबसे अहम वजह बड़बोलेपन व अपनों की अंतर्कलह रही। अमेठी के पांचों विधानसभा क्षेत्रों के सभी बड़े नेताओं का साथ चुनाव में जीत के समीकरण को बिगाड़ने वाला साबित हुआ। नेताओं की भीड़ में भाजपा के आम कार्यकर्ता दूर होते गए और वह चुप होकर अपने घरों में बैठ गए।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Thu, 06 Jun 2024 07:58 PM (IST)
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UP Lok Sabha Result 2024: सामने आ गई स्मृति ईरानी के हारने की बड़ी वजह।

जागरण संवाददाता, अमेठी। अमेठी के चुनावी रण में केंद्रीय मंत्री व भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी की हार की सबसे अहम वजह बड़बोलेपन व अपनों की अंतर्कलह रही। अमेठी के पांचों विधानसभा क्षेत्रों के सभी बड़े नेताओं का साथ चुनाव में जीत के समीकरण को बिगाड़ने वाला साबित हुआ। 

नेताओं की भीड़ में भाजपा के आम कार्यकर्ता दूर होते गए और वह चुप होकर अपने घरों में बैठ गए। पार्टी के बड़े नेता स्मृति को जीत दिलाने से अधिक एक-दूसरे को नीचा दिखाने में जुटे रहे। वहीं स्मृति व उनकी टीम अमेठी में जातीय समीकरण साधने में भी नाकाम रही। 

अमेठी लोकसभा क्षेत्र तीन जिलों अमेठी, रायबरेली व सुलतानपुर में फैला हुआ है। जिसमें गौरीगंज, अमेठी, जगदीशपुर, तिलोई व सलोन सहित कुल पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें तिलोई, सलोन व जगदीशपुर में भाजपा के विधायक हैं।

आम कार्यकर्ता ने भी दिखाई मजबूती 

गौरीगंज व अमेठी में सपा से जीते दोनों विधायक भी अमेठी में स्मृति के पक्ष में अपने परिवार के साथ प्रचार में लगे थे, जिसके चलते आंतरिक रूप से पार्टी में काफी मतभेद हो गए। पार्टी के कई बड़े नेता जबरदस्त भितरघात में लगे रहे। 

अपनों के भितरघात के चलते आम कार्यकर्ता भी अपने गांव व बूथ पर भाजपा के साथ मजबूती से खड़ा नहीं हुआ। जिसकी कीमत स्मृति को हार के रूप में अमेठी में चुकानी पड़ी। 

वहीं चुनावी सभाओं में स्मृति का कांग्रेस नेता राहुल गांधी व उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा पर सीधा हमला भी अमेठी की जनता को पसंद नहीं आया। बसपा उम्मीदवार नन्हे सिंह चौहान पूरे चुनाव प्रचार के दौरान अपनी पहचान बनाने में ही लगे रहे। अमेठी से उनका चुनाव के दौरान कोई ठोस जुड़ाव नहीं बन पाया, जिसके वजह से उन्हें जनता का साथ नहीं मिल पाया।

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